Sarvan Kumar 28/05/2018

Last Updated on 16/04/2020 by Sarvan Kumar

बिहार के प्रसिद्ध स्थल: वैसे तो बिहार का पूरे भारत मे गौरवशाली इतिहास रहा है। मौर्य साम्राज्य से लेकर, महावीर, भगवान बुद्ध ,चाणक्य, आर्यभटट्ट जैसे महान लोगों की जन्मभूमि और कर्मभूमि बिहार की धरती रहा है। यूं तो इतिहास का हवाला देकर बहुत से गौरवशाली कार्य गिनाया जा सकता है मगर हम अभी मधुबनी पेंटिंग और 4 पांच प्रसिद्ध स्थलों की  बात करने वाले हैं, जो वर्तमान में बिहार और देश की शोभा बढ़ा रहा है।

बिहार के प्रसिद्ध स्थल

1.सोनपुर का मेला

हर साल के कार्तिक पूर्णिमा, नवंबर-दिसंबर महीने में यह विशाल मेला शूरू होता है और लगभग एक महीने तक चलता है। इसको एशिया का सबसे बड़ा पशु मेला होने का दर्जा प्राप्त है। बिहार की राजधानी पटना से लगभग 25 किमी. तथा वैशाली जिले के मुख्यालय हाजीपुर से 3 किलोमीटर दुरी पर सोनपुर में गंडक के तट पर यह मेला लगता है। सोनपुर का यह मेला हरिहर क्षेत्र मेला तथा छत्तर मेला आदि नाम से भी विख्यात है। यह मेला इतना प्रसिद्ध है कि विदेशी भी इस महीने यहां हजारो की संख्या में इसका लुत्फ उठाने बिहार आते हैं।

2.राजगीर

बिहार राज्य के नालंदा जिले में राजगीर आता है और यह पटना से 100 किमी. दक्षिन-पूर्व में पहाड़ियों और घने जंगलों के बीच बसा है।यह न केवल एक प्रसिद्ध धार्मिक तीर्थस्थल है बल्कि एक सुन्दर हेल्थ रेसॉर्ट के रूप में भी लोकप्रिय है।यहां हिन्दु, जैन और बौद्ध तीनों धर्मों के धार्मिक स्थल है। मलमास महीने में यहां विशाल मेला लगता है। इस महीने में राजगीर से बाहर के लोग काफी तादाद में यहां भ्रमण करने आते हैं।

3.श्री तख्त हरमंदर साहिब

सिखों के लिए हरमंदिर साहब पाँच प्रमुख तख्तों में से एक है। यह सिखों के 10वें गुरु गोविन्द सिंह का जन्म स्थल है। गुरु गोविन्द सिंह का जन्म 26 दिसम्बर 1666 में  माता गुजरी के गर्भ से हुआ था। गुरू गोबिंद सिंह का बचपन पटना की गलियों में हीं बीता है। पटना में इनका जंयती प्रकाशोत्सव रूप में मनाया जाता है। इस दिन बिहार के पटना में लाखो प्रयटकों की भीड़ उमड़ती है।

4.राजेन्द्र कृषि विश्वविद्यालय

राजेन्द्र कृषि विश्वविद्यालय, बिहार के समस्तीपुर जिले के पूसा में स्थित है। यह सिर्फ बिहार का हीं गौरव नही बल्कि पूरे देश की शोभा बढ़ा रहा है। कृषि संबंधित और मौसम जानकारी संबधित क्षेत्र में यह विश्वविद्यालय अपना अहम स्थान बनाने में सफल हुआ है।

मधुबनी पेंटिंग

कहा जाता है कि त्रेता युग के राजा जनक के शासनकाल में इस चित्रकला का विकास हुआ है। यह भी कहा जाता है कि राजा जनक ने अपनी बेटी सीता के विवाह के दौरान इस चित्रकला से अपने नगर की सुंदरता प्रदान की थी। तब से पीढी दर पीढी यह कला चली आ रही है। पहले तो इस कला में सिर्फ महिला हीं निपुण थी मगर अब यह पुरूषों ने भी शुरू कर दिया है, मधुबनी पेंटिंग आज मिथिला से निकलकर वैश्विक स्तर पर उभर आया है। इसने अपने ख्यातियों से बिहार के प्रतिष्ठा में चार चांद लगाने का काम किया है।

 

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