
Last Updated on 22/08/2020 by Sarvan Kumar
नेहरू भारत के महान नेता माने जाते हैं. किसी भी अन्य भारतीय नेता से वे कहीं ज्यादा पॉपुलर थे. वो समाज के हर वर्ग में पैठ रखते थे. वो स्त्री, पुरुष, बूढ़े , बच्चें सभी के बीच लोकप्रिय थे. लेकिन भ्रष्टाचार , परिवारवाद, मुस्लिम तुष्टिकरण, हिन्दू -मुस्लिम मसले और कश्मीर समस्या के कारण बाद के दिनों में इतनी लोकप्रियता के बाद भी उनकी छवि धूमिल होती रही और उनका कद छोटा होता चला गया. जानकरी टुडे लेकर आया है उनके जीवन की कुछ खास बातें जो आप पहली बार जानेंगे.
जानिए नेहरू के बारे में 8 अनकही बातें

1. 1952 में लोकसभा चुनाव के दौरान वे खडगपुर आये. उनको सुनने के लिए दूर -दूर से लोग आये. उनको सुनने वालों में तेलगु बोलने वाले लोग भी आये थे. उनके भाषण के दौरान आंध्रप्रदेश से आयी एक महिला को प्रसव पीड़ा होने लगी . लोगों ने एक सुरक्षा घेरा बना कर महिला का सफल प्रसव कराया. आज तक ये जानकारी तो नहीं मिली की पैदा होने वाला बच्चा लड़का है या लड़की . लेकिन उस बच्चे का नाम रखा गया. जवाहरलाल !
2. 1952 के जनरल इलेक्शन प्रचार के दौरान नेहरू ने 25000 मील की यात्रा की थी . ये दूरी उन्होंने 18000 मील एयर से , 5200 मील कार से 1600 ट्रैन से और 90 बोट से तय किया था. उनके इस यात्रा की तुलना समुद्रगुप्त अकबर अशोक के शाही अभियान से की जाती है.
3 मार्क्ससिस्ट नेहरू को पसंद नहीं करते थे . बुद्धिजीवी उनकी सेकंड क्लास डिग्री का मजाक उड़ाते थे .
4. कश्मीर समस्या के लिए लोग उनको जिम्मेदार मानते हैं. लोगों का मानना है की कश्मीर को बचाया जा सकता था, देश को १०% विकास दर के रास्ते पर लाया जा सकता था. वे चाहते तो भ्रष्टाचार मिटा सकते थे, पड़ोसी देशों से रिश्ते सुधार सकते थे.
उनपर एक और इलज़ाम है , मुस्लिम तुष्टिकरण का. लोगों का मानना है की उनके नीतियों के कारण ही देश में हिन्दू -मुस्लिम समस्या का जन्म हुआ जो अबतक बना हुआ है. इन सब कारणों से नेहरू की छवि धूमिल होती रही.
5. कहा जाता है की माँ-बाप के पापों को उनके बच्चों को भोगना पड़ता है. लेकिन नेहरू को उनकी बाद की पीढ़ियों, इंदिरा गाँधी, संजय गाँधी, राजीव गाँधी, सोनिया गाँधी और कांग्रेस की बांकी सरकारों के पापों को मरने के बाद भी भोगना पड़ रहा है.वे देश को उदारवादी लोकतांत्रिक मूल्यों पर खड़ा करना चाहते थे . नेहरू प्रेस की आज़ादी के पक्षधर थे . नेहरू का मानना था की एक मज़बूत लोकतंत्र के लिए विपक्ष का मज़बूत होना ज़रूरी है. नेहरू अपने विपक्षियों की बातों को सुनते थे , समझते थे और आदर करते थे. वे जीवन भर प्रेस की आज़ादी और मज़बूत विपक्ष का बढ़ावा देते रहे. जिन उदार लोकतांत्रिक मूल्यों को वे जीवन भर सींचते रहे उसे उनकी बेटी इंदिरा गाँधी ने पूरी तरह से बर्बाद कर दिया. इंदिरा गाँधी ने प्रेस की आज़ादी छीन ली और विपक्ष की कुचलने का काम किया.
इंदिरा ,नेहरू के बिलकुल विपरीत थी. वो अपना मनमानी करना चाहती थी. नेहरू कार्यपालिका के ऑटोनोमी में विश्वास रखते थे. वही इंदिरा को अपने वफादार नौकरशाहों और जजों को ही तरजीह देती थीं.यानी की इंदिरा के शासनकल में कार्यपालिका और न्यायपालिका दोनों ही स्वतंत्र नहीं थी. नेहरू का कांग्रेस एक विकेन्द्रीकृत लोकतांत्रिक संस्था थी जबकि इंदिरा का कांग्रेस तानाशाही वन वुमन शो. देखा जाये तो कांग्रेस में वंशवाद नेहरू से ज्यादा इंदिरा कारण आया.
7.लार्ड माउंटबेटेन ने नेहरू के बारे में कहा था की अगर नेहरू की मौत 1958 में हो जाती तो वे 20वीं शताब्दी के सबसे महान नेता होते. दरअसल 1958 से लेकर 1964 तक देश में कई घोटाले और दूसरे गलत काम हुए जिससे उनकी छवि को काफी नुकसान पहुंचा.
8 . लेडी एडविना और नेहरू के रिश्ते के बारे में तरह -तरह की बातें की जाती हैं , अटकलें लगायी जाती है और कई तरह के सवाल किये जातें हैं . इन बातों का कोई निश्चित जबाब देना मुश्किल है. पर जिस दिन लेडी एडविना की मौत की खबर आयी हैदराबाद हाउस में नार्मल मीटिंग कर रहे थे. वे बिलकुल सहज थे और ऐसा लगा जैसे उन्हें एडविना की मौत से कुछ असर ही नहीं हुआ हो.

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