
Last Updated on 12/10/2021 by Sarvan Kumar
वैश्य हिंदू वर्ण व्यवस्था के चार वर्णों में से एक है। वैश्य हिन्दू जाति व्यवस्था के अंतर्गत वर्णाश्रम का तृतीय एवं महत्त्वपूर्ण स्तंभ है। वैश्य वर्ण में कई जाति या उप-जातियाँ होतीहैं, जिनमे विशेष रूप से अग्रहरि, अग्रवाल, बार्नवाल, गहौइस, कसौधन, महेश्वरी, खांडेलवाल, महावार, लोहानस, ओसवाल, रौनियार, आर्य वैश्य आदि है। अग्रेयवंशी क्षत्रिय ही वर्तमान में अग्रवाल हैं। आज इस समुदाय के बहुसंख्यक लोग वाणिज्य व्यवसाय से जुड़े हुए हैं और इनकी गणना विश्व के सफलतम उद्यमी समुदायों में होती है। पिछले दो हजार वर्षों से इनकी आजीविका का आधार वाणिज्य होने से इनकी गणना क्षत्रिय वर्ण होने के बावजूद वैश्य वर्ग में होती है और स्वयं अग्रवाल समाज के लोग अपने आप को वैश्य समुदाय का एक अभिन्न अंग मानते हैं। आइए जानते हैं अग्रवाल समाज का इतिहास, अग्रवाल शब्द की उत्पति कैसे हुई?
अग्रवाल/बनिया समाज की वर्तमान सामाजिक स्थिति
बनिया, जिसका अर्थ व्यापारी या व्यवसाय है, संस्कृत शब्द वनिज या वाणिज्य से आया है। यही कारण है कि बनिया लोगों का हिसाब-किताब पर कड़ी पकड़ है क्योंकि वे पीढ़ियों से ऐसा करते आ रहे हैं। लाभ कमाना उनके खून में है, और वे पैसा बनाने की संभावनाओं से कभी नहीं चूकते । टाॅप 10 सबसे धनी भारतीयों में से 8 बनिया हैं।
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वे भारत की कुल जनसंख्या का केवल 7% हैं। राष्ट्रीय स्वास्थ्य सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार, 44% बनिया संपन्न समुदाय से हैं। यदि हम औद्योगिक कंपनियों के लोगों देखें तो हमें ज्यादातर अग्रवाल, माहेश्वरी, मित्तल, गोयल, लाला, जिंदल, गुप्ता, सेठ, साहू, लोढ़ा, महाजन, साहूकार, ओसवाल, बंसल, सेठ, गर्ग आदि ही दिखाई देंगे। ये सभी बनिया समुदाय के हैं।
प्रसिद्ध और सबसे अमीर बनिया व्यवसायी
लक्ष्मी मित्तल (आर्सेलर मित्तल)
घनश्याम दास बिड़ला (बिड़ला समूह)
सुनील भारती मित्तल (एयरटेल)
अनिल अग्रवाल (वेदांता)
नरेश गोयल (जेट एयरवेज)
अंबानी (मुस्केश और अनिल अंबानी)
रुइया बंधु (शशि और रवि रुइया, एस्सार ग्रुप)
जिंदल ग्रुप (ओपी जिंदल द्वारा स्थापित, अब पत्नी सावित्री जिंदल की अध्यक्षता में)
गौतम अडानी (अडानी ग्रुप)
दिलीप सांघवी (सन फार्मा)
उदय कोटक( कोटक बैंक)
सुभाष चंद्र गोयल (ज़ी)
बनिया की जनसंख्या
हालांकि कोई हालिया डेटा उपलब्ध नहीं है, बनिया जातियां भारत की हिंदू आबादी का अनुमानित 6% या 7% (या 55 मिलियन से 65 मिलियन लोग) हैं। बनिया समुदाय पूरे भारत के शहरों, कस्बों और गांवों में पाए जाते हैं, लेकिन उत्तर-पश्चिम में राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र में इनकी सघनता सबसे अधिक है।
अग्रवाल समाज का इतिहास
महाराजा अग्रसेन के वंशज
महाराजा अग्रसेन अग्रवाल जाति के पितामह थे। धार्मिक मान्यतानुसार इनका जन्म आश्विन शुक्ल प्रतिपदा को मर्यादा पुरुषोतम भगवान श्रीराम की 34वीं पीढ़ी में सूर्यवंशी क्षत्रिय कुल के प्रतापनगर के महाराजा वल्लभ सेन के घर में द्वापर के अंतिम काल और कलियुग के प्रारंभ में आज से लगभग 5,187 वर्ष पूर्व हुआ था।
वर्तमान में राजस्थान व हरियाणा राज्य के बीच सरस्वती नदी के किनारे प्रतापनगर स्थित था। राजा वल्लभ के अग्रसेन और शूरसेन नामक 2 पुत्र हुए। अग्रसेन महाराज वल्लभ के ज्येष्ठ पुत्र थे

महाराजा अग्रसेन ने ही अग्रोहा राज्य की स्थापना की थी। उन्होंने कुशलतापूर्वक राज्य का संचालन करते हुए विस्तार किया तथा प्रजाहित में काम किए। वे धार्मिक प्रवृत्ति के पुरुष थे।
धर्म में उनकी गहरी रुचि थी और वे साधना में विश्वास करते थे इसलिए उन्होंने अपने जीवन में कई बार कुलदेवी लक्ष्मीजी से यह वरदान प्राप्त किया कि जब तक उनके कुल में लक्ष्मीजी की उपासना होती रहेगी, तब तक अग्रकुल धन व वैभव से संपन्न रहेगा। उनके 18 पुत्र हुए जिनसे 18 गोत्र चले। गोत्रों के नाम गुरुओं के गोत्रों पर रखे गए।
शहाबुद्दीन गौरी ने 1194-95 में इस नगर पर कब्जा कर लिया। एक बार अग्रोहा में बड़ी भीषण आग लगी। उस पर किसी भी तरह काबू न पाया जा सका। उस अग्निकांड से हजारों लोग बेघरबार हो गए और जीविका की तलाश में भारत के विभिन्न प्रदेशों में जा बसे, पर उन्होंने अपनी पहचान नहीं छोड़ी। वे सब आज भी ‘अग्रवाल’ ही कहलवाना पसंद करते हैं और उसी 18 गोत्रों से अपनी पहचान बनाए हुए हैं। आज भी वे सब महाराज अग्रसेन द्वारा निर्देशित मार्ग का अनुसरण कर समाज की सेवा में लगे हुए हैं।
अगर नामक सुगंधित लकड़ी का बड़े पैमाने पर व्यापार
जाति के नामकरण के सम्बन्ध में एक मत यह प्रचलित है कि इस जाति के पूर्वज प्राचीन काल मे ‘अगर’ नामक सुगंधित लकड़ी का बड़े पैमाने पर व्यापार करते थे। इसी से ये लोग ‘अगरवाल’ नाम से प्रसिद्ध हुए। कौटिल्य के अर्थशास्त्र में भी इस बात का पता चलता है कि प्राचीन भारत में पूजा पद्धति में अगर का उपयोग बहुतायत से किया जाता था और इसका व्यापार बहुत सामान्य बात थी। यह लकड़ी वणिक जाति के द्वारा ही बहुत बड़ी मात्रा में देश में तथा विदेश में बेची जाती थी। यह मानने योग्य बात है कि वैश्य जाति के हजारों परिवार अगर का व्यापार करते होंगे ऐसे में यह उनका परिचय बन गया। यह लकड़ी खरीदने के लिए उन्हें पूरे भारत में जाना पड़ता था और उसको बेचने के लिए भी यह जाति पूरे देश का भ्रमण करती होगी। वैश्य जाति के जिस वर्ग का अगर के व्यपार से अधिक सम्बन्ध था, संभवतः उन्हें अग्रवाल कहा जाने लगा।
अग्रवालों के 18 गोत्रों के नाम
अग्रवालों के एक प्रमुख संगठन, अखिल भारतीय अग्रवाल सम्मेलन ने गोत्र की एक मानक सूची बनाई है। 18 gotra in Agarwal in Hindi जो इस प्रकार हैः
गोयल, गर्ग , कुच्छल, कंसल, बिंदल , धरान , सिंघल, जिंदल, मित्तल , टिंगल, तायल, भांडाल , नागल, मंगल, ऐरन, मधुकुल और गोयन.
अग्रवालों का देश के इकोनॉमी में बड़ा योगदान
एक सर्वे के अनुसार देश के कुल इंकम टैक्स का 24 प्रतिशत से अधिक हिस्सा अग्रसेन के वंशजों का है। कुल सामाजिक एवं धार्मिक दान में 62 प्रतिशत हिस्सा अग्रवंशियों का है। देश की कुल जनसंख्या का मात्र 1 प्रतिशत अग्र-वंशज है, लेकिन देश के कुल विकास में उनका 25 प्रतिशत सहयोग रहता है।
E- commerce क्षेत्र में अग्रवाल
ऐसे तो अग्रवाल समुदाय के लोग हर तरह के व्यवसाय में हैं पर ई-कॉमर्स बिजनेस में तो उन्होंने पूरी तरह से डोमिनेंट किया हुआ है । भारत में जितने भी ई-कॉमर्स स्टार्टअप हुआ है उनमें से ज्यादातर अग्रवाल समाज के टैलेंटेड युवाओं के द्वारा ही किया गया है, उनमें से कुछ नाम इस प्रकार हैं।
सचिन बंसल और बिन्नी बंसल – फ्लिपकार्ट( Flipkart.com).
मुकेश बंसल फाउंडर और सीईओ- मिंत्रा (Myntra.com).
रोहित बंसल कोफाउंडर और सीईओ – स्नैपडील
( Snapdeal.com ).
पियूष बंसल – फाउंडर और सीईओ लेंसकार्ट (Lenskart.com).
मनमोहन अग्रवाल – फाउंडर और सीईओ येभी
( Yebhi.com).
दिनेश अग्रवाल – फाउंडर और सीईओ इंडियामार्ट (Indiamart.com)
भविष अग्रवाल फाउंडर और सीईओ ओला कैब्स (Olacabs.com)
गौरव अग्रवाल – सीईओ सवारी कार रेंटल्स (savaari.com)
संदीप अग्रवाल – फाउंडर और सीईओ शॉपक्लूज
( Shopclues.com)
अनु अग्रवाल- फाउंडर नापतोल ( Naaptol.com)
रितेश अग्रवाल- फाउंडर और सीईओ ओयो रूम्स
( Oyorooms.com).
दीपेंद्र गोयल – फाउंडर और सीईओ जोमैटो (zomato.com)
आशीष गोयल – फाउंडर और सीईओ अर्बन लैडर (Urbanladder.com)
अग्रवाल किस धर्म को मानते हैं?
अधिकांश अग्रवाल हिंदू धर्म के वैष्णव संप्रदाय का पालन करते हैं, हालांकि कुछ जैन धर्म में परिवर्तित हो गए हैं।
अग्रवाल कौन सी भाषा बोलते हैं?
राजस्थानी, मारवाड़ी और पश्चिमी हिंदी की अन्य बोलियाँ या उस क्षेत्र की भाषा जहाँ पर वे रहते आए हैं।
बनिया जाति के उपसमूह
बनिया में छह उपसमूह हैं- बीसा या वैश्य अग्रवाल, दासा या गाटा अग्रवाल, सरलिया, सरावगी या जैन, माहेश्वरी या शैव और ओसवाल।

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