
Last Updated on 10/09/2020 by Sarvan Kumar
हिन्दू धर्म सनातन परम्परा का बेजोड़ उदाहरण। हिन्दू धर्म को किसी ने बनाया नहीं यह तो सदियों से चल रही परम्परा है। हिन्दू कौन है यह चर्चा का विषय हो सकता है। आमतौर पर यह देखा गया है जो भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश की पूजा करते हैं वे हिन्दू है।भगवान राम, कृष्ण, मां दुर्गा, काली को मानने वाले और महाभारत, रामायण, गीता का पाठ करने वाले हिन्दू हैं पर ऐसा नहीं है। हिन्दू एक कर्म प्रधान धर्म है यहाँ पूजा करने के लिए आप बाध्य नहीं हैं। माननीय उच्चतम न्यायालय के अनुसार हिन्दू एक जीवन शैली है। आप हिन्दू है या नहीं यह आप तय नहीं करते ये तो दूसरे धर्म के मानने वाले हैं जो आपको हिन्दू कह देते हैं। एक उचित सभ्यता और संस्कृति को मानने वाले हिन्दू हो सकते हैं अर्थात हिन्दू तो कोई भी हो सकता है। आज हम आपको बताना चाहेंगे हिंदुओं से जुड़े महाभारत, रामायण और दूसरे ग्रंथो से ली गई रोचक जानकारियाँ जिसे जानना आपके लिये बेहद महत्वपूर्ण है।
पाण्डव कितने भाई थे?
पाण्डव पाँच भाई थे जिनके नाम हैं
1.युधिष्ठिर 2.भीम 3.अर्जुन 4.नकुल 5.सहदेव।
पाण्डु के उपरोक्त पाँचों पुत्रों में से युधिष्ठिर, भीम और अर्जुन की माता कुन्ती थीं तथा, नकुल और सहदेव की माता माद्री थी । इन पांचों के अलावा , महाबली कर्ण भी कुंती के ही पुत्र थे, परन्तु उनकी गिनती पांडवों में नहीं की जाती है।
धृतराष्ट्र और गांधारी के सौ पुत्रों के क्या नाम था?
धृतराष्ट्र और गांधारी के सौ पुत्र कौरव कहलाए जिनके नाम हैं
*1. दुर्योधन 2. दुःशासन 3. दुःसह*
*4. दुःशल 5. जलसंघ 6. सम*
*7. सह 8. विंद 9. अनुविंद*
*10. दुर्धर्ष 11. सुबाहु। 12. दुषप्रधर्षण*
*13. दुर्मर्षण। 14. दुर्मुख 15. दुष्कर्ण*
*16. विकर्ण 17. शल 18. सत्वान*
*19. सुलोचन 20. चित्र 21. उपचित्र*
*22. चित्राक्ष 23. चारुचित्र 24. शरासन*
*25. दुर्मद। 26. दुर्विगाह 27. विवित्सु*
*28. विकटानन्द 29. ऊर्णनाभ 30. सुनाभ*
*31. नन्द। 32. उपनन्द 33. चित्रबाण*
*34. चित्रवर्मा 35. सुवर्मा 36. दुर्विमोचन*
*37. अयोबाहु 38. महाबाहु 39. चित्रांग 40. चित्रकुण्डल41. भीमवेग 42. भीमबल*
*43. बालाकि 44. बलवर्धन 45. उग्रायुध*
*46. सुषेण 47. कुण्डधर 48. महोदर*
*49. चित्रायुध 50. निषंगी 51. पाशी*
*52. वृन्दारक 53. दृढ़वर्मा 54. दृढ़क्षत्र*
*55. सोमकीर्ति 56. अनूदर 57. दढ़संघ 58. जरासंघ 59. सत्यसंघ 60. सद्सुवाक*
*61. उग्रश्रवा 62. उग्रसेन 63. सेनानी*
*64. दुष्पराजय 65. अपराजित*
*66. कुण्डशायी 67. विशालाक्ष*
*68. दुराधर 69. दृढ़हस्त 70. सुहस्त*
*71. वातवेग 72. सुवर्च 73. आदित्यकेतु*
*74. बह्वाशी 75. नागदत्त 76. उग्रशायी*
*77. कवचि 78. क्रथन। 79. कुण्डी*
*80. भीमविक्र 81. धनुर्धर 82. वीरबाहु*
*83. अलोलुप 84. अभय 85. दृढ़कर्मा*
*86. दृढ़रथाश्रय 87. अनाधृष्य*
*88. कुण्डभेदी। 89. विरवि*
*90. चित्रकुण्डल 91. प्रधम*
*92. अमाप्रमाथि 93. दीर्घरोमा*
*94. सुवीर्यवान 95. दीर्घबाहु*
*96. सुजात। 97. कनकध्वज*
*98. कुण्डाशी 99. विरज*
*100. युयुत्सु*
इन 100 भाइयों के अलावा कौरवों की एक बहन भी थी जिसका नाम दुशाला था जिसका विवाह जयद्रथसे हुआ था।
श्री मद्-भगवत गीताके बारे में
1. किसको किसने सुनाई?
श्रीकृष्ण ने अर्जुन को सुनाई।
2. कब सुनाई?
आज से लगभग 7 हज़ार साल पहले सुनाई।
3.भगवान ने किस दिन गीता सुनाई?
रविवार के दिन।
4. कौन सी तिथि को?
एकादशी।
5. कहाँ सुनाई?
कुरुक्षेत्र की रणभूमि में।
6. कितनी देर में सुनाई?
लगभग 45 मिनट में।
7. क्यूं सुनाई?
कर्त्तव्य से भटके हुए अर्जुन को कर्त्तव्य सिखाने के लिए और आने वाली पीढियों को धर्म-ज्ञान सिखाने के लिए।
8. गीता में कितने अध्याय है?
कुल 18 अध्याय
9. गीता में कितने श्लोक है?
700 श्लोक
10. गीता में क्या-क्या बताया गया है?
ज्ञान-भक्ति-कर्म योग मार्गो की विस्तृत व्याख्या की गयी है, इन मार्गो पर चलने से व्यक्ति निश्चित ही परमपद का अधिकारी बन जाता है।
11.गीता को अर्जुन के अलावे और किन -किन लोगो ने सुना?
धृतराष्ट्र एवं संजय ने
12. अर्जुन से पहले गीता का पावन ज्ञान किन्हें मिला था?
भगवान सूर्यदेव को
13. गीता की गिनती किन धर्म-ग्रंथो में आती है?
उपनिषदों में
14. गीता किस महाग्रंथ का भाग है?
गीता महाभारत के एक अध्याय शांति-पर्व का एक हिस्सा है।
अधूरा ज्ञान खतरनाक होता है इन्हें जानें।
33 करोड नहीं 33 कोटी देवी देवता हैं हिंदू धर्म में
कोटि का मतलब प्रकार होता है। देवभाषा संस्कृत में कोटि के दो अर्थ होते है कोटि का मतलब प्रकार होता है और एक अर्थ करोड़ भी होता है। हिन्दू धर्म का दुष्प्रचार करने के लिए ये बात उडाई गयी की हिन्दुओ के 33 करोड़ देवी देवता हैं और अब तो मुर्ख हिन्दू खुद ही गाते फिरते हैं की हमारे 33 करोड़ देवी देवता हैं।
कुल 33 प्रकार के देवी देवता हैं हिंदू धर्म में

12 प्रकार हैं आदित्य:
अंशुमान, अर्यमा, इन्द्र, त्वष्टा, धाता, पर्जन्य, पूषा, भग, मित्र, वरूण, विवस्वान,और विष्णु
8 प्रकार हैं वासु:
धर, ध्रुव, सोम, अप अनिल, अनल, प्रत्युष और प्रभाष।
11 प्रकार है रुद्र:
पिनाकी, शम्भू, गिरीश, स्थाणु, भर्ग, भव, सदाशिव, शिव, हर, शर्व और कपाली।
2 प्रकार हैँ अश्विनी कुमार
नासत्य और दस्त्र
कुल :- 12+8+11+2=33 कोटी
दो पक्ष हैं
कृष्ण पक्ष एवं शुक्ल पक्ष।
तीन ऋण हैं
देव ऋण , पितृ ऋण और ऋषि ऋण।
चार युग हैं
सतयुग ,त्रेतायुग , द्वापरयुग और कलियुग।
चार धाम हैं
द्वारिका , बद्रीनाथ, जगन्नाथ पुरी ,रामेश्वरम धाम।
चार पीठ हैं
शारदा पीठ ( द्वारिका ), ज्योतिष पीठ ( जोशीमठ बद्रिधाम )
,गोवर्धन पीठ ( जगन्नाथपुरी ) ,शृंगेरीपीठ !
चार वेद हैं
ऋग्वेद ,अथर्वेद ,यजुर्वेद और सामवेद।
चार आश्रम हैं
ब्रह्मचर्य ,गृहस्थ ,वानप्रस्थ ,संन्यास।
चार अंतःकरण हैं
मन ,बुद्धि ,चित्त और अहंकार।
पंच गव्य हैं(गौ से प्राप्त होने वाले पाँच द्रव्य)
गाय का घी,दूध, दही ,गोमूत्र, गोबर।
पंच देव हैं

गणेश, विष्णु ,शिव ,देवी ,सूर्य।
पंच तत्त्व हैं
पृथ्वी ,जल,अग्नि ,वायु और आकाश।
छह दर्शन हैं
वैशेषिक, न्याय,सांख्य ,योग ,पूर्व मिसांसा , और उत्तर मीमांसा मिसांसा
सप्त ऋषि हैं
विश्वामित्र ,जमदाग्नि ,भारद्वाज ,गौतम ,अत्री ,वशिष्ठ और कश्यप
सप्त पुरी हैं
अयोध्या पुरी ,मथुरा पुरी , माया पुरी ( हरिद्वार ) ,काशी ,
कांची , ( शिन कांची – विष्णु कांची ), अवंतिका और द्वारिका पुरी।
आठ योग हैं
यम , नियम , आसन , प्राणायाम , प्रत्याहार , धारणा ,
ध्यान एवं समाधि।
आठ लक्ष्मी हैं
आदिलक्ष्मी, धनलक्ष्मी, धान्यलक्ष्मी, गजलक्ष्मी, सन्तानलक्ष्मी, वीरलक्ष्मी, विजयलक्ष्मी, विद्यालक्ष्मी।
नव दुर्गा के नाम
शैल पुत्री ,ब्रह्मचारिणी ,चंद्रघंटा ,कुष्मांडा ,स्कंदमाता ,कात्यायिनी ,
कालरात्रि ,महागौरी एवं सिद्धिदात्री।
दस दिशाएं हैं
उर्ध्व, ईशान, पूर्व, आग्नेय, दक्षिण, नैऋत्य, पश्चिम, वायव्य, उत्तर और अधो।
मुख्य ११ अवतार हैं
मत्स्य , कूर्म ,वराह ,नरसिंह ,वामन ,परशुराम ,श्री राम , कृष्ण , बलराम , बुद्ध एवं कल्कि।
बारह मास हैं
चैत्र ,वैशाख , ज्येष्ठ ,अषाढ ,श्रावण ,भाद्रपद ,अश्विन , कार्तिक ,
मार्गशीर्ष ,पौष ,माघ ,फागुन।
बारह राशियों के नाम
मेष ,वृषभ ,मिथुन ,कर्क ,सिंह ,कन्या , तुला , वृश्चिक ,धनु ,
मकर ,कुंभ और मीन
बारह ज्योतिर्लिंग हैं
सोमनाथ, मल्लिकार्जुन , महाकाल , ओमकारेश्वर ,बैजनाथ रामेश्वरम ,विश्वनाथ ,त्र्यंबकेश्वर ,केदारनाथ , घुष्नेश्वर ,भीमाशंकर और नागेश्वर
पंद्रह तिथियाँ हैं
प्रतिपदा ,द्वितीय ,तृतीय ,चतुर्थी , पंचमी ,षष्ठी ,सप्तमी , अष्टमी , नवमी ,दशमी ,एकादशी ,द्वादशी ,त्रयोदशी ,चतुर्दशी , पूर्णिमा ,
अमावास्या।
19 स्मृतियां हैं
मनु ,विष्णु , अत्री ,हारीत , याज्ञवल्क्य ,उशना ,अंगीरा ,यम आपस्तम्ब ,सर्वत ,कात्यायन ,ब्रहस्पति ,पराशर ,व्यास , शांख्य ,
लिखित दक्ष ,शातातप , वशिष्ठ।

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