Ranjeet Bhartiya 03/02/2023
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Last Updated on 13/03/2023 by Sarvan Kumar

हजारों वर्षों की अपनी यात्रा में भारत ने कई राजवंशों का उत्थान और पतन देखा है. यहां हम ऐसे ही एक प्राचीन राजवंश की बात करेंगे जिसने भारत के कई क्षत्रिय वंशों को जन्म दिया है. एक ऐसा वंश जिसमें अनेक प्रतापी राजा हुए जिन्होंने न केवल भारत के एक बड़े क्षेत्र पर शासन किया बल्कि विदेशी आक्रमणकारियों से भारतीय संस्कृति और हिन्दू धर्म की रक्षा की. परन्तु बड़े दुर्भाग्य की बात है कि अधिकांश लोग इस महान वंश की गौरव गाथा से अपरिचित हैं. आइए जानते हैं भर वंश के बारे में.

भर वंश

भर भारत में निवास करने वाली एक अत्यंत प्राचीन जाति है. इस समुदाय का इतिहास ऋग्वैदिक काल से प्रारम्भ होता है. जब हम अपनी परंपराओं, उपलब्ध साहित्यों को देखते हैं तो ऋग्वैदिक काल से लेकर मोहम्मदन शासन काल तक भर राजाओं की कड़ी मिलती है. भर जाति के इतिहास को कई काल खंडों में विभाजित किया जा सकता है जैसे कि प्राचीन काल या ऋग्वैदिक काल, महाभारत काल, मध्ययुगीन या भारशिव काल, मुस्लिम आक्रमणकारी काल या उत्तर भारशिव काल, ब्रिटिश काल, आजादी के बाद की अवधि या वर्तमान काल. भर वंश के बारे में निम्नलिखित बातों का उल्लेख मिलता है-

•भर जनजाति ऋग वैदिक काल से अस्तित्व में थी और भरत जनजाति के रूप में जानी जाती थी. ऋग्वैदिक काल में इसी भरत कबीले में सुदास नाम के राजा हुए जिन्होंने प्राचीन भर वंश की स्थापना की थी.

•भारशिव वंश’ की स्थापना 150 से 234 ईस्वी की अवधि के दौरान हुई थी. यह नागवंशी क्षत्रिय थे जो शिव के उपासक थे. उन्होंने भारतीय इतिहास के ‘अंधकार युग’ के दौरान उत्तर भारत और मध्य भारत के बड़े हिस्से पर शासन किया. पद्मावती और मथुरा में उनकी राजधानी थी.

•मध्यकाल में भरो ने अवध क्षेत्र में छोटे-छोटे रियासतों का गठन किया था. बाद में राजपूतों और मुस्लिम आक्रमणकारियों ने उन्हें पराजित कर उनके राज्यों पर अधिकार कर लिया.

•यदि हम मुस्लिम काल की बात करें मुस्लिम आक्रमणकारियों ने भरों और उनके राजाओं के खिलाफ बहुत कठिन लड़ाई लड़ी. उनमें श्रावस्ती के महान राजा सुहेलदेव बहुत प्रसिद्ध हैं जिन्होंने मोहम्मद गजनी के भतीजे सैय्यद सालार मसूद से हिंदुओं, उनकी संस्कृति और धर्म की रक्षा की थी.

•इतिहासकारों का मानना ​​है कि डलमऊ के शासक महाराजा दलदेव भर वंश के अंतिम महत्वपूर्ण शासक थे, जिन्हें जौनपुर के मुस्लिम शासक इब्राहिम शाह सिरकी ने धोखे से पराजित करके और मार डाला था.

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