
Last Updated on 20/09/2020 by Sarvan Kumar
भारतीय रेलवे
भारतीय रेलवे एशिया के सबसे बड़ी तथा विश्व की चौथी सबसे बड़ी रेल व्यवस्था है। भारतीय रेलवे दुनिया में सबसे ज्यादा रोजगार देने वाला विभाग है। भारत में सर्वप्रथम रेल व्यवस्था की शुरुआत 16 अप्रैल 1853 में मुंबई से थाने (34 किलोमीटर) के बीच आरंभ हुई थी। भारत में उस समय ट्रेन की शुरूआत देश की एक बड़ी उपलब्धि थी। पहली ट्रेन को भाप के इंजन के जरिये चलाया गया था। इस 14 बोगी की ट्रेन को 3 इंजन खींच रहे थे, जिनका नाम था- सुल्तान, सिंध और साहिब। इस ट्रेन को 21 बंदूकों की सलामी देकर रवाना किया गया था। इस ऐतिहासिक रेल यात्रा के गवाह 400 यात्री बने।
रेलवे में कितने प्रकार की पटरियां हैं?
भारतीय रेलवे अलग-अलग चौड़ाई के रेल मार्गों पर चलती है। वर्तमान समय में भारत में तीन प्रकार के रेल पटरियां हैं बड़ी लाइन या ब्रॉड गेजः जिसमें दो पटरियों के बीच की दूरी 1.675 मीटर होती ह। छोटी लाइन या मीटर गेजः दो पटरियों के बीच दूरी 1.0 मीटर होती है। सकरी लाइन या नैरोगेज: दो पटरियों के बीच 0.610 मीटर होती है। भारत में भूमिगत मेट्रो रेल सुविधा कोलकाता और नई दिल्ली में है।
भारतीय रेलवे में कुल कितने डिवीजन है?
भारत में कुल 17 रेलवे जोन है 73 डिवीजन है, उत्तरी रेलवे सबसे बड़ा रेलवे जोन है। प्रत्येक डिवीजनों का नेतृत्व एक डिवीजनल रेलवे प्रबंधक (DRM) करता है, जो क्षेत्र के महाप्रबंधक (GM) को रिपोर्ट करता है. रेल मार्ग एवं रेल प्रणाली के दृष्टिकोण से भारत का विश्व में दूसरा स्थान है। कोलकाता और मुंबई दो ऐसे नगर हैं जहां दो या दो से अधिक रेलवे जोन के मुख्यालय हैं। कोंकण रेलवे परियोजना महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक को जोड़ती है। पूर्व मध्य रेलवे का मुख्यालय हाजीपुर है। सिक्किम और मेघालय में रेलमार्ग नहीं है
भारत की सबसे पहली हैरिटेज ट्रेन का नाम “फेयरी क्वीन” था। इस ट्रेन में विश्व का सबसे पुराना भाप इजंन लगाया गया था।
जाने कैसे ट्रेनों में हुई टॉयलेट की शुरूआत
1909 में ट्रेनों में यात्रियों के लिए टॉयलेट की सुविधा शुरू की गई। अखिल चंद्रसेन के एक यात्री जो पश्चिम बंगाल के रहने वाले थे वह लघुशंका के लिए गए और इस दौरान उन्हें उनकी ट्रेन छोड़ कर चली गई। अखिल चंद्र सेन ने रेलवे स्टेशन को एक खत लिखा और इसकी शिकायत की। रेलवे ने उनकी शिकायत का सुनवाई करते हुए सभी रेल यात्रियों के लिए टॉयलेट की सुविधा शुरू की। इससे पहले ट्रेनों में शौचालय नहीं हुआ करते थे और वर्ष 1891 में केवल प्रथम श्रेणी के डिब्बों को इस सुविधा से जोड़ा गया था।

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