
Last Updated on 27/06/2023 by Sarvan Kumar
खानपान एक व्यक्तिगत मामला है. लेकिन कोई भी व्यक्ति केवल एक व्यक्ति नहीं होता बल्कि वह किसी धर्म, संप्रदाय या जाति का हिस्सा होता है. इस प्रकार से कई धार्मिक, सांप्रदायिक, जातिगत, सांस्कृतिक कारक हैं जो व्यक्ति के खानपान को निर्धारित करते हैं. इसी क्रम में हम यहां जानेंगे कि क्या ब्राह्मण बीफ खा सकते हैं?
क्या ब्राह्मण बीफ खा सकते हैं?
“क्या ब्राह्मण गोमांस खा सकते हैं?” इस बारे में जाने से पहले हमें कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं और ऐतिहासिक तथ्यों पर गौर करना होगा. खाने की आदतों (eating habits) को “सचेत, सामूहिक और दोहराए जाने वाले व्यवहार के रूप में परिभाषित किया गया है जो लोगों को सामाजिक, धार्मिक और सांस्कृतिक प्रभावों और धारणाओं के अनुसार कुछ खाद्य पदार्थों या आहारों के चयन, खरीद और उपयोग के लिए प्रेरित करता है तथा कुछ खाद्य पदार्थों से निषेध करने के लिए प्रेरित करता है. आमतौर हिंदू बीफ नहीं खाने का दावा करते हैं. लेकिन इस मुद्दे पर विवाद होते रहे हैं. भीमराव अंबेडकर ने गोमांस खाने के संबंध में एक निबंध लिखा था, जिसका शीर्षक था- ‘क्या हिंदुओं ने कभी गोमांस नहीं खाया?’ इस लेख में उन्होंने हिंदू धार्मिक शास्त्रों के प्रसिद्ध विद्वान पीवी काणे का हवाला देते हुए उन्होंने लिखा है कि गाय को पवित्र मानने से पहले गाय को मारा जाता था. बाजसनेई संहिता में कहा गया है कि गाय का मांस खाना चाहिए. अम्बेडकर ने यह भी लिखा है कि ऋग्वैदिक काल में भोजन के लिए गाय को मारा जाता था, जो ऋग्वेद से ही स्पष्ट हो जाता है.
गाय को माता का दर्जा
आइए अम्बेडकर साहब के विचारों से आगे बढ़ते हैं और इस चर्चा को दूसरी दिशा में मोड़ते हैं तथा हिंदू मान्यताओं के अनुसार इस विषय पर चर्चा करते हैं. हिंदू धर्म में शाकाहार पर विशेष जोर दिया जाता है और शाकाहारी प्रथाएं हिंदुओं को अन्य समुदायों से अलग करती हैं. वैदिक काल से ही गाय का हिंदू समुदाय में महत्वपूर्ण स्थान रहा है. गाय को श्रद्धा की दृष्टि से देखा जाता है और गाय को माता का दर्जा दिया जाता है. बीफ (गोमांस) खाना आमतौर पर हिंदू आहार का हिस्सा नहीं रहा है और ज्यादातर हिंदू इससे परहेज करते हैं. ब्राह्मणों की बात करें तो हिंदू धर्म में गाय का पवित्र स्थान होने के कारण ब्राह्मण बीफ खाने से सख्ती से परहेज करते हैं यानी ब्राह्मण बीफ नहीं खाते हैं.
References:
•Donald K. Sharpes (2006). Sacred Bull, Holy Cow: A Cultural Study of Civilization’s Most Important Animal. Peter Lang. pp. 208–. ISBN 978-0-8204-7902-6. Retrieved 4 June 2012.
•मराठी में धर्म शास्त्र विचार, पृष्ठ-180
•Donald K. Sharpes (2006). Sacred Bull, Holy Cow: A Cultural Study of Civilization’s Most Important Animal. Peter Lang. pp. 208–. ISBN 978-0-8204-7902-6. Retrieved 4 June 2012.

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