India

Ranjeet Bhartiya 21/12/2022

भारत में सामाजिक स्तरीकरण की एक विशेष व्यवस्था पायी जाती है जिसे वर्ण व्यवस्था के नाम से जाना जाता है. वर्ण व्यवस्था जाति/वर्ण पर आधारित सामाजिक स्तरीकरण की एक प्राचीन व्यवस्था है. इस व्यवस्था के तहत समाज को मुख्य रूप से चार श्रेणियों में बांटा गया है- ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र. आइए इसी क्रम […]

Ranjeet Bhartiya 20/12/2022

पंजाब उत्तरी भारत का एक ऐतिहासिक राज्य है जिसका इतिहास सिंधु घाटी सभ्यता से जुड़ा है. इस क्षेत्र पर कई अलग-अलग साम्राज्यों और जातीय समूहों द्वारा आक्रमण और शासन किया गया है. यह जातीय और धार्मिक विविधता की भूमि है. कई जातियाँ जिन्हें विभिन्न श्रेणियों के तहत वर्गीकृत किया गया है, राज्य में रहती हैं. […]

Ranjeet Bhartiya 17/12/2022

भारतीय समाज के ऐतिहासिक रूप से कमजोर और वंचित वर्गों के उत्थान के लिए भारत में आरक्षण की व्यवस्था शुरू की गई थी. अगर जाति आधारित आरक्षण की बात करें तो 1882 में विलियम हंटर और ज्योतिराव फुले ने मूल रूप से जाति आधारित आरक्षण व्यवस्था की कल्पना की थी. इसी क्रम में आइए जानते […]

Ranjeet Bhartiya 14/12/2022

देवभूमि के नाम से प्रसिद्ध उत्तराखंड भारत के उत्तरी भाग में स्थित एक खूबसूरत राज्य है. यहां कई जातीय समूह रहते हैं जो राज्य की जनसंख्या का गठन करते हैं. यहां हिंदू समुदाय की कई जातियां निवास करती हैं. आइए इसी क्रम में जानते हैं उत्तराखंड की सैनी जाति के बारे में. उत्तराखंड की सैनी […]

Sarvan Kumar 12/12/2022

उत्तर प्रदेश भारत का सबसे अधिक जनसंख्या वाला राज्य है. यहां कई धार्मिक समूहों के लोग निवास करते हैं. लेकिन जनसंख्या की दृष्टि से हिंदू और मुसलमान प्रमुख धार्मिक समुदाय हैं. हिंदू आबादी की बात करें तो राज्य में जातियों और उपजातियों की कोई कमी नहीं है. आइए इसी क्रम में जानते हैं उत्तर प्रदेश […]

Ranjeet Bhartiya 10/12/2022

राजस्थान असंख्य रंगों की भूमि है, जो अपनी बहुलता और विविधता के लिए प्रसिद्ध है. यह विविधता राज्य में रहने वाले विविध जातीय नस्लीय और धार्मिक-सामाजिक समूहों के संदर्भ में परिलक्षित होती है जो राज्य की जनसंख्या का निर्माण करते हैं. हिंदू समुदाय जो विभिन्न जातियों में विभाजित है, राजस्थान की जनसंख्या का महत्वपूर्ण हिस्सा […]

Ranjeet Bhartiya 09/12/2022

जातिगत जनगणना के अपने फायदे और नुकसान हो सकते हैं लेकिन इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि लोकतंत्र में असली ताकत संख्या में होती है. चुनाव में अक्सर विकास के मुद्दे गौण हो जाते हैं और जातिगत समीकरण किसी पार्टी की जीत और हार तय करते हैं. इतना ही नहीं, आमतौर पर […]

Sarvan Kumar 08/12/2022

जाति, जातिवाद और समाज पर पड़ने वाला इसका दुष्प्रभाव सदियों से भारत में बहस का केंद्र रहा है। जाति व्यवस्था का प्रभाव भारत में रहने वाले अन्य धार्मिक समूहों, जैसे- मुसलमान, ईसाई, बौद्ध, जैन एवं सिक्खों की सामाजिक व्यवस्था पर भी दिखाई पड़ता है। ऐसा नहीं है की जाति प्रथा सिर्फ हमें नुकसान ही पहुंचाती […]

Ranjeet Bhartiya 06/12/2022

ब्रह्मर्षि वंश विस्तार (BrahamRishi vansh vistar) स्वामी सहजानंद सरस्वती द्वारा लिखित एक प्रसिद्ध ग्रंथ है. विपुल लेखक, समाज सुधारक और क्रांतिकारी स्वामी सहजानंद सरस्वती का जन्म उत्तर प्रदेश प्रांत के गाजीपुर जिले में एक भूमिहार ब्राह्मण परिवार में हुआ था. यहाँ हम उन घटनाओं के क्रम के बारे में जानेंगे जिनके कारण इस पुस्तक का […]

Ranjeet Bhartiya 04/12/2022

भूमिहार और यादव बिहार की प्रमुख जातियां हैं. दोनों की गिनती ताकतवर जातियों में होती है. अगर हम इतिहास के पन्नों को पलटें तो हम देखेंगे कि ऐसे कई अवसर आए हैं जब दोनो जातियों के बीच संघर्ष हुआ है, जिसके कारण दोनों जातियों के बीच दूरियां भी रहीं हैं. लेकिन आवश्यकता पड़ने पर यह […]

Ranjeet Bhartiya 03/12/2022

भारतीय समाज की सामाजिक संरचना जटिल है. विभिन्न धार्मिक समूह और जातियाँ भारतीय समाज के महत्वपूर्ण घटक हैं. हम भले ही विविधता में एकता का दावा करते रहें, लेकिन असल में जब दो समुदायों या जातियों के बीच हितों का टकराव होता है तो वे एक-दूसरे के दुश्मन बन जाते हैं. आइए इसी क्रम में […]

Ranjeet Bhartiya 28/11/2022

भूमिहार भारत में रहने वाली एक बहुत प्रभावशाली जाति है. इनके प्रभाव के पीछे कई कारण हैं, लेकिन एक महत्वपूर्ण कारण यह है कि इस जाति के लोगों ने विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान दिया है. भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में, और देश की आजादी के बाद राजनीति, सामाजिक-राजनीतिक आंदोलनों, समाज सुधार और साहित्य के […]

Ranjeet Bhartiya 26/11/2022

स्वतंत्र लेखक प्रसन्न चौधरी और पत्रकार श्रीकांत की किताब ‘बिहार सामाजिक परिवर्तन के कुछ आयाम’ में इस घटना का विस्तार से जिक्र है। साल था 1925। बिहार में निचली समझी जाने वाली जातियां एक जगह जुटती थीं और सभी एक साथ जनेऊ धारण करते थे। इसे बिहार में ऊंची समझी जाने वाली जातियों ने खुद […]

Ranjeet Bhartiya 25/11/2022

भारत में जाति आधारित हिंसा का पुराना इतिहास रहा है. जातिगत हिंसा ज्यादातर बिहार, उत्तर प्रदेश, उड़ीसा और बंगाल के ग्रामीण इलाकों में हुई है. तमिलनाडु, राजस्थान, कर्नाटक और मध्य प्रदेश में कुछ राजनीतिक रूप से प्रेरित जाति संघर्ष देखे गए हैं. जातिगत हिंसा के कई सामाजिक-आर्थिक और राजनीतिक कारण रहे हैं. अंतर्जातीय हिंसा के […]

Ranjeet Bhartiya 24/11/2022

वैसे तो दबंग शब्द के कई अर्थ हैं लेकिन इसका मूल अर्थ होता है-प्रभावशाली. आम तौर पर, जाति जो परंपरागत रूप से जाति पदानुक्रम में उच्च होती है, समाज में प्रभुत्व की स्थिति रखती है. भारतीय संदर्भ में, ब्राह्मणों और राजपूतों का पारंपरिक रूप से वर्चस्व रहा है. सांस्कृतिक पहचान देने में धर्म एक व्यक्ति […]