Ranjeet Bhartiya 16/05/2022
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Last Updated on 16/05/2022 by Sarvan Kumar

जब किसी आम चुनाव में किसी अकेले दल को साफ़ बहुमत नहीं मिलता, तब दल या तो संसदीय बहुमत के समर्थन से गठबन्धन कैबिनेट बनाते हैं, जिसमें एक या अनेक दल हो सकते हैं. भारतीय राजनीति में सर्वप्रथम 1977 के चुनाव के दौरान गठबंधन की घटना सामने आई थी. आइए जानते हैं गठबंधन सरकार के लाभ और हानि के बारे में.

गठबंधन सरकार के प्रमुख लाभ इस प्रकार हैं-

(1). गठबंधन सरकार एक ऐसी व्यवस्था है जिसमें आपसी सहमति से या बहुमत आधारित फैसले लिए जाते हैं.

(2). शासन की इस प्रणाली में क्षेत्रीय आकांक्षाएं (Regional aspirations) पूरी की जाती हैं या उन पर विचार किया जाता है.

(3). विभिन्न राष्ट्रीय, क्षेत्रीय और छोटे राजनीतिक दलों के सरकार में शामिल होने के कारण यह व्यवस्था विभिन्न समूहों और क्षेत्रों को उचित प्रतिनिधित्व देती है.

(4). यह व्यवस्था राष्ट्रवाद (nationalism) को बढ़ावा देती है और क्षेत्रवाद (regionalism) को कम करती है.

(5). यह व्यवस्था सरकार या किसी एक राजनीतिक दल के अत्याचार और निरंकुशता को कम करती है. इस तरह से यह तानाशाही के डर को खत्म करती है.

(6). एक गठबंधन सरकार आम तौर पर एक अधिक जिम्मेदार सरकार होती है.

(7). गठबंधन सरकार न्यूनतम साझा कार्यक्रम के दायरे में काम करती है. न्यूनतम साझा कार्यक्रम (Common Minimum Programme) गठबंधन सरकार के न्यूनतम उद्देश्यों को रेखांकित करने वाला एक दस्तावेज होता है. गठबंधन में शामिल दल इसे आपसी सहमति से बनाते हैं. यह जनता के लिए फायदेमंद है क्योंकि लोगों को स्पष्ट रूप से पता होता है कि सरकार क्या करने वाली है, क्या नहीं करने वाली है.

(8). भारत एक विविधताओं से भरा देश है. यहां विभिन्न संस्कृतियां, भाषाएं, जातियां, धर्म और जातीय समूह हैं. गठबंधन सरकार के कामकाज में विविध हितों को समायोजित किया जाता है. गठबंधन सरकार विभिन्न समूहों की अपेक्षाओं को पूरा करने और उनकी शिकायतों के निवारण के लिए एक माध्यम के रूप में कार्य करती है.

(9). गठबंधन सरकार में अलग- अलग विचारधाराओं वाली विभिन्न पार्टियां शामिल होती हैं. विभिन्न दलों का अलग-अलग एजेंडा होता है. गठबंधन स(रकार सर्वसम्मति आधारित राजनीति को बढ़ावा देती है.

यह व्यवस्था देश और स्वस्थ लोकतंत्र के लिए अच्छी है क्योंकि यह एक विचारधारा या एक व्यक्ति के विचारों को थोपने की अनुमति नहीं देती है,

(10). क्षेत्रीय मांगों के प्रति अधिक संवेदनशील और उत्तरदायी होने के कारण गठबंधन की राजनीति भारतीय राजनीतिक व्यवस्था के संघीय ताने-बाने (federal fabric) को मजबूत करती है.

गठबंधन सरकार के नुकसान इस प्रकार हैं-

(1). अस्थिर सरकार (Unstable government)

यह व्यवस्था सरकार की अस्थिरता की ओर ले जाती है क्योंकि किसी भी राजनीतिक दल द्वारा समर्थन वापस लेने से सरकार गिर सकती है.

(2). निर्णय लेने में बहुत अधिक समय लगता है.

(3). कई बार क्षेत्रीय हितों को पूरा करने के लिए राष्ट्रीय हित को दरकिनार कर दिया जाता है.

(4). गठबंधन सरकार में, कई बार तुष्टीकरण की नीतियां विकास की नीतियों पर हावी हो जाती है, जिसके कारण विकास में बाधा उत्पन्न हो जाती है.

(5). गठबंधन सरकार पार्टियों के बीच आपसी समझ और सहयोग पर निर्भर करती है. आपसी समझ की कमी और किसी प्रकार की गलतफहमी की स्थिति में गठबंधन सरकार कमजोर हो जाती है.

(6). गठबंधन सरकार चलाने के लिए एक मजबूत नेतृत्व की आवश्यकता होती है. एक ऐसा नहीं था जो सभी दलों को साथ लेकर चल सके. लेकिन यहां समस्या उत्पन्न होने लगती है जब नेता बहुत मजबूत होता है और हावी होने का प्रयास करने लगता है. ऐसी स्थिति में गठबंधन में दरार पड़ जाती है. वहीं, अगर बहुत कमजोर होता है तो वह गठबंधन में शामिल सभी सदस्यों को नियंत्रित नहीं कर पाता. और इस तरह से गठबंधन सरकार कमजोर हो जाती है.

(7). अधिकांश गठबंधन सरकारें अस्थिर होती हैं क्योंकि वे विपरीत दलों द्वारा बनाई जाती हैं जिनकी विचारधारा और एजेंडा अलग होता है. बिना सामंजस्य के इनके कभी भी गिरने का खतरा बना रहता है. यह असंतुलन पैदा कर सकता है. एक छोटी सी पार्टी अवसरवादी बन सकती है और सरकार को ब्लैकमेल कर सकती है. और समर्थन वापस ले करके सरकार को गिरा सकती है.

(8). गठबंधन सरकारें जब विरोधी दलों द्वारा बनाई जाती हैं तो कई मुद्दों पर आम सहमति बनाना कठिन हो जाता है. इससे शासन व्यवस्था प्रभावित हो सकती है।

(9). कई बार गठबंधन सरकार में क्षेत्रीय दल या दल हावी हो जाते हैं, जो दूसरों की कीमत पर अपने राज्यों के लिए अधिक सहायता/धन की मांग करते हैं. इससे क्षेत्रवाद को बढ़ावा मिलता है और क्षेत्रवाद की वृद्धि राष्ट्रवादी हितों को प्रभावित कर सकती है.

10). गठबंधन सरकार में प्रधानमंत्री पर हमेशा घटक दलों का दबाव बना रहता है. प्रधानमंत्री को कोई भी बड़ा निर्णय लेने से पहले गठबंधन सहयोगियों से परामर्श करने की आवश्यकता होती है.

(11). गठबंधन सहयोगियों की संचालन समिति या समन्वय समिति ‘सुपर-कैबिनेट’ के रूप में कार्य करती है और इस प्रकार यह सरकारी तंत्र के कामकाज में कैबिनेट की भूमिका और स्थिति को कमजोर करती है.

(12). गठबंधन सरकार के छोटे घटक ‘king-maker’ की भूमिका निभा सकते हैं. ऐसे में वह संसद में ताकत से ज्यादा की मांग करते हैं. इससे सौदेबाजी और भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलता है.

(13). गठबंधन सरकारों के सदस्य प्रशासनिक विफलताओं और खामियों के लिए जिम्मेदारी नहीं लेते हैं. सामूहिक और व्यक्तिगत जिम्मेदारियों से बचकर वह दोषारोपण में लगे रहते हैं.

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