
Last Updated on 03/11/2021 by Sarvan Kumar
धनगर (Dhangar) भारत में निवास करने वाली एक प्राचीन जाति है. मूल रूप से यह चरवाहों और कंबल बुनकरों की जाति है. इनका पारंपरिक व्यवसाय गाय, भैंस, भेड़, बकरियों को पालना तथा भेड़ के ऊन से कंबल बनाकर बेचना रहा है. यह बकरियों के दूध भी बेचते हैं. साथ ही यह अपने भेड़-बकरियों को मांस के लिए भी बेचते हैं. वर्तमान में यह बुनकर और खेती का काम करते हैं. यह शिक्षा और रोजगार के अवसरों का लाभ उठाकर आधुनिक नौकरी-पेशा और रोजगार में भी अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं. सामाजिक और राजनीतिक रूप से यह समुदाय अव्यवस्थित रहा है. इसका मुख्य कारण यह है कि अपने व्यवसाय के कारण यह समुदाय समाज से अलग जंगलों और पहाड़ियों आदि में भटकते रहे हैं. आइए जानते हैं धनगर समाज का इतिहास, धनगर शब्द की उत्पति कैसे हुई?
धनगर समाज की उप-जातियां
इन्हें विभिन्न राज्यों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है.
उत्तर प्रदेश: गड़रिया, पाल, बघेल
बिहार – झारखंड: गड़रिया, पाल, भेड़िहार, गड़ेरी
हरयाणा – गड़रिया, पाल, बघेल
महाराष्ट्र – धनगर, हटकर, खुटेकर
धनगर कैटेगरी में आते हैं?
भारत सरकार की सकारात्मक भेदभाव की प्रणाली (आरक्षण) के तहत इन्हें गोवा, कर्नाटक, गुजरात, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और दिल्ली में अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के रूप में वर्गीकृत किया गया है. महाराष्ट्र में इन्हें घुमंतू जनजाति के रूप में सूचीबद्ध किया गया है, जो अन्य पिछड़ा वर्ग श्रेणी में आता है.
धनगर कहां पाए जाते हैं?
यह मुख्य रूप से महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, गोवा, दक्षिणी राजस्थान में निवास करते हैं.महाराष्ट्र में इनकी आबादी लगभग 9% है.
धनगर किस धर्म को मानते हैंं?
यह हिंदू धर्म को मानते हैं. महादेव में इनकी विशेष आस्था है. यह अन्य हिंदू देवी देवताओं जैसे-भगवान विष्णु, माता पार्वती, महालक्ष्मी आदि की पूजा करते हैं. यह दिवाली के अवसर पर चींटी-पहाड़ी की पूजा भी करते हैं. दिवाली के अवसर पर यह अपने बकरियों के सिंगो को रंग कर, पैर छूकर पूजा करते हैं.
धनगर शब्द की उत्पत्ति कैसे हुई?
“धनगर” शब्द की उत्पत्ति संस्कृत के शब्द “धनु” से हुई है, जिसका अर्थ है- “गाय”. एक अन्य मान्यता के अनुसार धनगर शब्द “धन” से से लिया गया है. गाय, भैंस, भेड़, बकरियों के झुंड को “पशुधन” कहा जाता है. धनगर शब्द “पशुधन” से संबंधित भी हो सकता है. गड़रिया शब्द एक पुराने हिंदी शब्द “गाडर” लिया गया है, जिसका अर्थ होता है-“भेड़”.
धनगर समाज का इतिहास
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इनके पूर्वजों का निर्माण भगवान शिव ने किया था. कहा जाता है कि पहले भेड़-बकरियां एक चींटी-पहाड़ी से निकली. यह खेतों में फैल गए और फसल का नुकसान करने लगे. असहाय होकर किसानों ने भगवान शिव से उन्हें इनसे बचाने की प्रार्थना की. इसके बाद भगवान शिव ने भेड़-बकरियों को पालने के लिए धनगर को उत्पन्न किया. यही कारण है कि धनगर आज भी चींटी पहाड़ी का सम्मान करते हैं तथा उन्हें अपने खेतों से नहीं हटाते हैं. भेड़ बकरियों को हांकने के लिए यह हर-हर शब्द का प्रयोग करते हैं. हर-हर महादेव का एक नाम है, जिसे भक्त पूजा करने के समय उपयोग करते हैं.

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