
Last Updated on 02/01/2022 by Sarvan Kumar
धोडिया (Dhodia) भारत में पाई जाने वाली एक जनजाति है. यह स्वभाव से साहसी, निडर और बहादुर होते हैं. यह अपनी वीरता, देश भक्ति, अनूठी संस्कृति और विशिष्ट पहचान के लिए जाने जाते हैं.भारत सरकार के सकारात्मक भेदभाव की प्रणाली आरक्षण (Reservation) के तहत शिक्षा और सरकारी सेवाओं में इनके प्रतिनिधित्व को बढ़ाने के उद्देश्य से इन्हें अनुसूचित जनजाति (Scheduled Tribe, ST) के रूप में वर्गीकृत किया गया है.आइए जानते हैं धोडिया जनजाति का इतिहास, धोडिया की उत्पत्ति कैस हुई?
धोडिया जनजाति कहां पाए जाते हैं?
यह मुख्य रूप से गुजरात में पाए जाते हैं और वापी से तापी तक फैले हुए हैं. यहां यह विशेष रुप से गुजरात के दक्षिणी भाग में केंद्रित है. गुजरात के नवसारी, सूरत और वलसाड जिलों में इनकी अच्छी खासी आबादी है. गुजरात के अलावा यह दादरा और नगर हवेली, दमन और दीव, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक और राजस्थान में भी पाए जाते हैं. महाराष्ट्र में यह मुख्य रूप से ठाणे जिले में निवास करते हैं.
धोडिया जनजाति , धर्म, संस्कृति और भाषा
धर्म
ज्यादातर धोडिया ( Dhodia history in English) हिंदू धर्म को मानते हैं. यह पारंपरिक हिंदू रीति-रिवाजों और मान्यताओं में विश्वास करते हैं.
इनमें से कुछ धर्म परिवर्तन करके ईसाई भी बन गए हैं. कुछ आदिवासी परंपराओं का पालन करते हैं और प्रकृति की पूजा करते हैं.
संस्कृति
अन्य हिंदू जातियों के तरह यह भी हिंदू त्योहारों जैसे होली, शिवरात्रि, जन्माष्टमी,दशहरा, दिवाली आदि को बड़े धूमधाम से मनाते हैं.भोजन की देवी “कनासारी” या “कंसेरी” (माता अन्नपूर्णा माता) में इनकी विशेष आस्था है. फसलों की कटाई के समय यह हर साल “कंसेरी उत्सव” मनाते हैं.धोडिया जनजाति कई उप जातियों या कुलों में विभाजित है. महिलाएं पारंपरिक रूप से मराठी साड़ी जैसे दिखने वाली एक विशेष प्रकार की साड़ी पहनती हैं, जिसे ‘कछेडो’ (Kachhedo) या ‘धड़कू’ (Dhadku) कहा जाता है.
भाषा
यह धोडिया भाषा बोलते हैं. इस भाषा के अपने विशिष्ट शब्द होते हैं, साथ ही इस पर गुजराती और मराठी भाषा का मिश्रित प्रभाव है.
धोडिया जनजाति की उत्पत्ति
वैज्ञानिक और ऐतिहासिक तथ्यों के अभाव के कारण इस जनजाति की उत्पत्ति के बारे में स्पष्ट और प्रमाणिक जानकारी नहीं है. फिर भी इनकी उत्पत्ति के बारे में अनेक मान्यताएं और लोक कथाएं प्रचलित हैं, जिसका विवरण नीचे दिया जा रहा है. एक मान्यता के अनुसार, यह “धूलिया” नामक जगह से आए थे. समय के साथ इस शब्द में कई बदलाव हुए और अंततः इस जनजाति को “धोडिया” के नाम से जाना जाने लगा. दूसरी मान्यता के अनुसार, ढोलका तालुका के आसपास के राजपूतों ने आदिवासी गांवों में स्थानीय महिलाओं से विवाह किया था. बाद में उन्हीं के वंशज धोडिया कहलाए.


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