Ranjeet Bhartiya 02/01/2022
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Last Updated on 02/01/2022 by Sarvan Kumar

लाल बेगी या लालबेगी (Lal Begi or Lalbegi) भारत और पाकिस्तान में पाया जाने वाला एक चूहड़ा (Chuhra) जाति समुदाय है. परंपरागत रूप से यह सफाईकर्मी और मेहतर का काम करके जीवन यापन करते आए हैं. इन दोनों गतिविधियों को अपवित्र कार्य माने जाने के कारण इन्हें सामाजिक भेदभाव और छुआछूत का का सामना करना पड़ता है. आज भी इस समुदाय के कई लोग नगर पालिका और अस्पतालों में सफाईकर्मी के रूप में काम करके अपना जीवन यापन करते हैं. इनमें से कुछ मजदूरी करके अपना घर चलाते हैं. हालांकि, बदलते वक्त के साथ अब यह अपने परंपरागत कार्य को छोड़कर दूसरे नौकरी, पेशा और व्यवसाय को अपनाने लगे हैं. लेकिन विकास की रफ्तार बहुत धीमी है. इस तरह से यह आज भी एक बेहद हाशिए पर रहने वाला समुदाय हैं.आइए जानते हैं लाल बेगी या लालबेगी का इतिहास, लाल बेगी की उत्पति कैसे हुई?

लाल बेगी समाज एक परिचय

आरक्षण व्यवस्था के अंतर्गत इन्हें बाल्मीकि के रूप में अनुसूचित जाति (Schedule Caste, SC) का दर्जा प्राप्त है. भारत में यह मुख्य रूप से बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश में पाए जाते हैं. पाकिस्तान में यह मुख्य रूप से मुल्तान, डेरा गाजी खान और बहावलपुर में निवास करते हैं.धर्म से यह हिंदू या मुसलमान हो सकते हैं. लाल बेगी समुदाय की मुस्लिम शाखा को हसनती (Hasnati) के रूप में जाना जाता है. वहीं, इस समुदाय के हिंदू शाखा को बाल्मीकि (Balmiki)
या कभी-कभी कायस्थ (Kayastha) के नाम से जाना जाता है. यह कायस्थ को उपनाम के रूप में भी प्रयोग करते हैं. यहां यह स्पष्ट कर देना जरूरी है कि यह कायस्थ समुदाय से अलग हैं, जिसे हिंदू धर्म के वर्ण व्यवस्था के अंतर्गत ब्राह्मण और क्षत्रिय वर्ण धारण करने का अधिकार प्राप्त है.

लाल बेगी समाज की उत्पति

इनकी परंपराओं के अनुसार, यह मेहतर इलियास
(Mehtar Ilyas) के अनुयायी हैं. ऐसी मान्यता है कि जन्नत में बुलाए जाने के बाद मेहतर इलियास ने व्यवसाय के रूप में झाड़ू लगाने का काम शुरू किया. एक बार जन्नत में पैगंबरों की बैठक चल रही थी. मेहतर थूकना चाहता था. लेकिन थूकदान
(spittoon) नहीं मिलने के कारण उसने मुंह ऊपर की ओर करके थूक दिया. थूक पैगंबरों पर जाकर गिरा. इस बात से खफा होकर पैगंबरों ने खुदा से शिकायत किया. खुदा ने दंड के रूप में उसे थूक साफ करने को कहा और उसके वंशजों को सफाई कर्मी के रूप में झाड़ू लगाकर जीने का श्राप दिया. एक दिन एक सूफी संत की नजर मेहतर पर पड़ी. उन्होंने उससे पूछा कि तुमने कोट क्यों नहीं पहना है. मेहतर ने जवाब दिया, एक सफाईकर्मी के रूप में उसे कोट की जरूरत नहीं है. लेकिन सूफी संत ने उसे कोट पहनने का हुक्म दिया. मेहतर घड़ा खोलने गया, लेकिन उसे खोल नहीं पाया. इस पर सूफी संत ने कहा कि तुम मेरा नाम लो फिर घड़ा खोलो. मेहतर ने सूफी संत के दिशा निर्देश का पालन किया और घड़ा खुल गया. घड़े से एक जवान लड़का निकला, जिसका नाम था- लाल बेग. मुस्लिम लाल बेगी समुदाय के लोग इसी लड़के का वंशज होने का दावा करते हैं. बिहार और झारखंड में निवास करने वाले हिंदू लाल बेगी संत बाल्मीकि के वंशज होने का दावा करते हैं.

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