
Last Updated on 27/05/2023 by Sarvan Kumar
ब्राह्मण भारत में पाई जाने वाली एक प्रमुख हिंदू जाति है जिसकी उपस्थिति पूरे भारत में है. ब्राह्मण समुदाय के धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं, भौगोलिक वितरण, भाषा, रीति-रिवाजों और खान-पान में काफी विविधता है. ब्राह्मणों के आहार की बात करें तो आमतौर पर कहा जाता है कि ब्राह्मण केवल शाकाहारी होते हैं. लेकिन यह तथ्यात्मक रूप से सही नहीं है क्योंकि ब्राह्मणों के कुछ समूह मांसाहारी भोजन भी करते हैं. आइए इसी क्रम में जानते हैं कि क्या कश्मीरी ब्राह्मण मांस खाते हैं?
क्या कश्मीरी ब्राह्मण मांस खाते हैं?
कश्मीरी एक इंडो-आर्यन जातीय-भाषाई समूह हैं. इनमें से ज्यादातर कश्मीर घाटी में रहते हैं. कश्मीर में मुसलमानों की बहुसंख्यक आबादी है जबकि हिंदू अल्पसंख्यक हैं. कश्मीरी ब्राह्मण/कश्मीरी पंडित (Kashmiri Brahmin/Kashmiri Pandit) कश्मीर घाटी के मूल निवासी कश्मीरी हिंदुओं का एक समूह है. यह समूह वृहद् सारस्वत ब्राह्मण समुदाय का एक हिस्सा है, जो कश्मीर में सर्वोच्च सामाजिक स्थिति रखता है. कल्हण की राजतरंगिणी (12वीं सदी) में सारस्वत का उल्लेख विंध्य के उत्तर में रहने वाले पांच पंच गौड़ ब्राह्मण समुदायों में से एक के रूप में किया गया है.
कश्मीरियों के भोजन की बात करें तो कश्मीरी मांस का जमकर सेवन करते हैं. कश्मीर में हर साल मांस के लिए लाखों की संख्या में भेड़-बकरियों का वध किया जाता है. इस क्षेत्र में मांस खाने की परंपराओं का उल्लेख ऋग्वेद और कश्मीर के एक प्राचीन ग्रंथ नीलमत पुराण में मिलता है. कश्मीरी ब्राह्मणों की बात करें तो ब्राह्मण होने के बावजूद कश्मीरी पंडितों में मांस खाने की परंपरा है और अधिकांश कश्मीरी ब्राह्मण मांसाहारी हैं. जहां कश्मीरी मुसलमान बकरी का मांस खाना पसंद करते हैं, वहीं कश्मीरी ब्राह्मण मेमने का मांस खाना पसंद करते हैं. कश्मीरी ब्राह्मण मांस को नेनी (Neni) कहते हैं जबकि मुसलमान मांस को माज़ (Maaz) कहते हैं. कश्मीरी पंडित मटन के अलावा मछली भी खाते हैं, लेकिन शास्त्रों में वर्जित जानवरों के मांस जैसे गोमांस और सूअर के मांस को खाने से परहेज करते हैं.
References:
•M K, KAW (2017). Kashmiri Pandits: Looking to the Future. APH Publications. pp. 32–33. ISBN 9788176482363.
•Michael Witzel (September 1991). “THE BRAHMINS OF KASHMIR” (PDF): 44. Retrieved 25 January 2021.
•Frederick J. Simoons (1994). Eat Not this Flesh: Food Avoidances from Prehistory to the Present. University of Wisconsin Press. p. 284. ISBN 9780299142506

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