
Last Updated on 19/04/2022 by Sarvan Kumar
दिल्ली में स्थित हुमायूं का मकबरा (Humayun’s Tomb) ऐतिहासिक रूप से एक महत्वपूर्ण मकबरा है. 1570 में निर्मित इस मकबरे का विशेष सांस्कृतिक महत्व है, क्योंकि यह भारतीय उपमहाद्वीप का पहला उद्यान-मकबरा (garden-tomb) था. पुरातत्व और वास्तुकला के जानकारों का मानना है कि इस मकबरे ने कई वास्तुशिल्प नवाचारों को प्रेरित किया, जिसकी परिणति ताजमहल के निर्माण में हुई. यह मकबरा इस्लामी दुनिया में इससे पहले बने किसी भी मकबरे से कहीं अधिक भव्य था. इस मकबरे का निर्माण 1560 के दशक में हुमायूँ के बेटे महान मुगल सम्राट अकबर के देखरेख में किया गया था. इसके निर्माण में फारसी और भारतीय शिल्पकार शामिल थे. 27.04 हेक्टेयर के परिसर में स्थित इस मकबरे को मुगल वास्तुकला का उत्कृष्ट नमूना माना जाता है. इस परिसर में 16 वीं शताब्दी के अन्य महत्वपूर्ण मुगलकालीन उद्यान-मकबरे स्थित है जैसे नीला गुंबद, ईसा खान, बू हलीमा, अफसरवाला, नाई का मकबरा और अरब सराय, जिसमें हुमायूं के मकबरे के निर्माण के लिए नियोजित कारीगर रहा करते थे. आइए जानते हैं, हुमायूं के मकबरे के संरक्षण में भारत सरकार और अन्य एजेंसियों द्वारा उठाए गए कदमों के बारे में.

हुमायूं के मकबरे के संरक्षण में भारत सरकार और अन्य एजेंसियों द्वारा उठाए गए कदम
समय और मौसम की मार के कारण यह स्मारक जीर्ण-शीर्ण अवस्था में था. यह मकबरा वर्षों से देश में ऐतिहासिक स्मारकों का संरक्षक रूप में काम करने वाले संस्था “भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI)” के उपेक्षा का शिकार था, क्योंकि ASI के पास बड़े पैमाने पर मरम्मत और पुनर्निर्माण कार्य के लिए आवश्यक संसाधन नहीं थे. सरकार ने 2008 में इस यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल के नवीनीकरण के लिए आगा खान ट्रस्ट फॉर कल्चर (AKTC) को आमंत्रित किया. इसे जीर्णोद्धार करने में 5 (2008 से 2013) साल लगे. इस ऐतिहासिक के मूल गौरव को पुनर्स्थापित करने में इस संरक्षण कार्य में आर्किटेक्ट, इंजीनियर, वैज्ञानिक, बढ़ई, कॉपरस्मिथ और गिल्डर शामिल थे. इसमें 200 शिल्पकार और 200,000 कार्य दिवस लगे.इस दौरान कारीगरों के सामने सबसे बड़ी चुनौती मरम्मत कार्य के दौरान हुमायूं के मकबरे का मूल डिजाइन बरकरार रखना था.
हुमायूं के मकबरे के संरक्षण करने वाले संस्थाओं के नाम
हुमायूं के मकबरे के संरक्षण में भारत सरकार की संस्थाओं समेत अन्य एजेंसियों ने योगदान दिया. इस सरंक्षण कार्य में शामिल प्रमुख संस्थाओं के नाम इस प्रकार हैं- भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, केंद्रीय लोक निर्माण विभाग, दिल्ली नगर निगम (जिसे अब दक्षिण दिल्ली नगर निगम कहा जाता है), आगा खान ट्रस्ट फॉर कल्चर, सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट और टाइटन कंपनी लिमिटेड. इस दौरान जिन महत्वपूर्ण स्मारकों का जीर्णोद्धार किया गया, उसमें प्रमुख हैं- हुमायूं का मकबरा, नीला गुंबद, ईसा खान के बगीचे के मकबरे, बू हलीमा के बगीचे के मकबरे, अरब सराय के प्रवेश द्वार, सुंदरवाला महल और बुर्ज, बताशेवाला स्मारकों के समूह, चौसठ खंभा और हजरत निजामुद्दीन बावली.
हुमायूं के मकबरे के संरक्षण अभियान के दौरान किए गए प्रमुख कार्य इस प्रकार हैं-
1. छत से दस लाख किलोग्राम से अधिक कंक्रीट को हटाना, जिसे 20वीं शताब्दी में बिछाया गया था और इस स्मारक पर अनावश्यक बोझ था.
2.12,000 वर्गमीटर के मूल चरित्र की बहाली. भारी क्वार्टजाइट फ़र्श को उठाकर और नीचे चूना कंक्रीट की परत जोड़ने के बाद इसे रीसेट किया गया.
3. ऊपरी मंच पर बलुआ पत्थर की पुन: स्थापना. 6,150 वर्ग मीटर के कुल क्षेत्रफल का लगभग 60 प्रतिशत फिर से बिछाया गया था, और संरचनात्मक दरारें और गुहाएँ चूने के कंक्रीट से भरी हुई थीं.
4.निचले अलकोव के सीमेंट प्लास्टर को चूने के प्लास्टर से बदलना और मूल स्टार पैटर्न को बहाल करना. मकबरे की छतरियों पर सजावटी टाइलवर्क की बहाली.
5. मुख्य हॉल के ऊँचे गुम्बद वाले कक्ष से सीमेंट प्लास्टर और लाइमवॉश की परतों को हटाना.
6.बगीचों तक बेहतर पहुंच के लिए रैंप और बलुआ पत्थर के पुलों की स्थापना. बाड़े की दीवार की मरम्मत.

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