Ranjeet Bhartiya 29/10/2022
Jankaritoday.com अब Google News पर। अपनेे जाति के ताजा अपडेट के लिए Subscribe करेेेेेेेेेेेें।
 

Last Updated on 03/07/2023 by Sarvan Kumar

चमार दक्षिण एशिया में पाया जाने वाला एक व्यवसायिक जाति समुदाय है. इनका पारंपरिक व्यवसाय चमड़े के जूते-चप्पल तैयार करना रहा है. भारत में इनकी बहुतायत आबादी है. साथ ही पाकिस्तान, नेपाल और बांग्लादेश में भी इस समुदाय के लोग निवास करते हैं. इस समुदाय के लोग अलग-अलग धर्मों को मानते हैं. इसी क्रम में आइए जानते हैं चमार के देवता कौन हैं.

चमार के देवता

चमार जाति समूह के लोग विभिन्न धर्मों का पालन करते हैं जैसे कि हिंदू धर्म, इस्लाम, सिख धर्म, ईसाई धर्म, रविदासिया धर्म और बौद्ध धर्म आदि. इस्लाम का अनुसरण करने वाले चमार (मोची) मुख्य रूप से पाकिस्तान और बांग्लादेश में निवास करते हैं. यह मूल रूप से हिंदू चमार थे जो 14 वीं से 16 वीं शताब्दी ईस्वी के मध्य में धर्म परिवर्तन करके मुसलमान बन गए.

भारत में मुस्लिम मोची मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश और पंजाब में निवास करते हैं. इसी प्रकार से इस समुदाय के कुछ सदस्य धर्म परिवर्तित करके सिख बन गए. रामदासिया ऐतिहासिक रूप से एक सिख हिंदू उप-समूह है जिसकी उत्पत्ति हिंदू चमार जाति से मानी जाती है. इनमें से कुछ मिशनरियों के संपर्क में आकर ईसाई बन गए. इस समुदाय के कुछ सदस्य मिशनरियों के संपर्क में आने के बाद ईसाई बन गए. भारत में निवास करने वाले अधिकांश चमार हिंदू हैं और हिंदू देवी-देवताओं में गहरी आस्था रखते हैं. इनमें से अधिकांश शिव और भागवत संप्रदाय के हैं. यह भगवान शिव और भगवान विष्णु के विभिन्न रूपों जैसे कि राम और कृष्ण आदि की पूजा करते हैं. यह देवता के रूप में बिरोबा (Biroba) और खंडोबा (Khandoba) की पूजा करते हैं जिन्हें भगवान शिव का अवतार माना जाता है. भारत में कई जाति समूहों के अपने व्यक्तिगत देवता भी होते हैं. चमार बाबा बाली और गड्डा की पूजा करते हैं.

अपने समाज  के बारे में जानें AMAZON से ये किताब मंगवाए

 इनमें से कुछ मध्य काल के महान संत रविदास की आध्यात्मिक शिक्षाओं का पालन करते हैं और रविदासिया के नाम से जाने जाते हैं. रविदास पंथ के लोग संत रविदास जी को सद्गुरु के रूप में पूजते हैं. सतनामी पंथ को मानने वाले गुरु घासीदास और गुरु बालक दास के शिक्षाओं का पालन करते हैं. जानकारों का मानना है कि सतनामी पंथ संत रविदास और कबीर दास की शिक्षाओं पर आधारित है.1956 में, दलित विधिवेत्ता भीमराव रामजी अम्बेडकर (1891-1956) ने दलित बौद्ध आंदोलन की शुरुआत की, जिससे दलितों के हिंदू धर्म से बौद्ध धर्म में कई बड़े पैमाने पर धर्मांतरण हुए. हाल के वर्षों में, चमार समुदाय के कुछ समूहों ने बौद्ध धर्म अपना लिया है. इनमें से कई बाबासाहेब आंबेडकर को भगवान के रूप में मानने लगे हैं.


References:

•Chander, Rajesh K I. (2019). Combating Social Exclusion: Intersectionalities of Caste, Class, Gender and Regions. Studera Press. p. 64. ISBN 978-93-85883-58-3.

British Untouchables: A Study of Dalit Identity and Education
By Paul Ghuman

•Jan Gonda (1970). Visnuism and Sivaism: A Comparison. Bloomsbury Academic. ISBN 978-1-4742-8080-8.

•Lamb 2002, p. 52.

•Gary Tartakov (2003). Rowena Robinson (ed.). Religious Conversion in India: Modes, Motivations, and Meanings. Oxford University Press. pp. 192–213. ISBN 978-0-19-566329-7.

•Christopher Queen (2015). Steven M. Emmanuel (ed.). A Companion to Buddhist Philosophy. John Wiley & Sons. pp. 524–525. ISBN 978-1-119-14466-3.

•https://journals.sagepub.com/doi/10.1177/2277436X19845444

Disclosure: Some of the links below are affiliate links, meaning that at no additional cost to you, I will receive a commission if you click through and make a purchase. For more information, read our full affiliate disclosure here.

Leave a Reply