
Last Updated on 28/10/2022 by Sarvan Kumar
चमार एक स्वाभिमानी, धीर-वीर, युद्ध प्रिय, कर्मठ और देशभक्त जाति समुदाय है. दलित जातियों की बात करें तो चमार (Chamar) दलितों में सबसे बड़ा जाति समुदाय है. लगभग पूरे भारत में इस समुदाय की उपस्थिति है. देश के विभिन्न भागों में इन्हें अलग-अलग नामों से जाना जाता है. यह एक छतरी जाति (Umbrella Caste) या जाति समूह (Caste Cluster) है जिसमें चमार और उसकी सैकड़ों उपजातियां शामिल हैं. इसी क्रम में आइए जानते हैं सूर्यवंशी चमार के बारे में.
सूर्यवंशी चमार
सूर्यवंशी चमार (Suryavanshi Chamar) चमार समुदाय की एक उपजाति है. जानकारों का मानना है कि चमार और उसकी उपजातियों की संख्या एक हजार से भी ज्यादा है. अंग्रेजों से आजादी के बाद, भारत सरकार ने अनुसूचित जाति (एससी) शब्द को उत्पीड़ित जातियों के लोगों के लिए एक आधिकारिक श्रेणी के रूप में इस्तेमाल करने का फैसला किया. अनुसूचित जातियों में चमार और उससे संबंधित जातियों की जनसंख्या की बात करें तो उत्तर भारत के ज्यादातर राज्यों में यह 50% से ऊपर हैं. उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ हरियाणा, बिहार, राजस्थान, पंजाब आदि राज्यों में चमार जाति की बहुतायत आबादी है. उत्तर प्रदेश में चमार, जाटव और धुसिया इस समुदाय की प्रमुख उपजातियां हैं. राजस्थान, पंजाब और हरियाणा जैसे राज्यों में भी चमार समुदाय की अनेक उपजातियां निवास करती हैं. चमार की प्रमुख उपजातियों में भाबी, भंभी, चमाडिया, चमारी, चंभार, चामगार, रोहित, समगर, सतनामी , सूर्यवंशी, सूर्यरामनामी और अहीरवार, रैदास आदि शामिल हैं. सूर्यवंशी चमार की बात करें तो यह मुख्य रूप से मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में पाए जाते हैं. कुमार सुरेश सिंह ने अपनी पुस्तक “People of India: India’s communities” में उल्लेख किया है कि सूर्यवंशी चमार के अंतर्विवाही समूहों में से एक है जो मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ क्षेत्र में रहते हैं. उन्हें कभी झरिया (Jharia) के नाम से भी जाना जाता था. लेखक विजय सोनकर शास्त्री के अनुसार- “चर्मकार चमार का पर्याय नहीं है. चर्म-कर्म करने वाला किसी भी वर्ण का व्यक्ति हो सकता है. चमार जाति में अनेक प्राचीन जातियों के विभिन्न वंश और गोत्र के लोग शामिल हैं. चर्मकार शब्द पेशे को संदर्भित करता है, किसी जाति को नहीं. चंवरवंश के सूर्यवंशी और चंद्रवंशी भी चमार जाति में पाए जाते हैं. चमार जाति हिंदू समाज का एक अभिन्न अंग है और इसमें हिंदू समाज की कई गौरवशाली और राजवंशीय जातियां शामिल हैं जिन्हें मुस्लिम आक्रांताओं द्वारा बलपूर्वक चर्म-कर्म में लगाया गया था और चमार बनाया गया था.” संजीव खुदाशाह ने अपनी पुस्तक “सफाई कामगार समुदाय” में उल्लेख किया है कि वर्तमान में चमार समुदाय की कई उपजातियां ब्राह्मणों को पुरोहित नहीं मानती हैं और न ही उनके प्रति श्रद्धा रखती हैं. इन उप-जातियों में चमार, चमारी, सतनामी, रैदास, अहिरवार, सूर्यरामनामी और सूर्यवंशी चमार आदि शामिल हैं. मध्य काल के महान क्रांतिकारी समाज सुधारक संत रविदास जी का जन्म चर्मकार जाति में हुआ था. भविष्य पुराण में रविदास जी को पूर्व जन्म का सूर्यवंशी कहा गया है.
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•Sant Ravidas Ratnawali
By Mamta Jha · 2021
•Sant Raidas
By Yogendra Sinh · 1972


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