
Last Updated on 08/01/2023 by Sarvan Kumar
सैनी राजस्थान, पंजाब और उत्तर प्रदेश सहित कई उत्तर भारतीय राज्यों में पाई जाने वाली एक प्रमुख जाति है. यह पारंपरिक किसानों और जमींदारों का समुदाय है. इस समुदाय के लोगों ने मानव कल्याण, स्वतंत्रता आंदोलन, देश के विकास और समाज सेवा में उल्लेखनीय योगदान दिया है. समय के साथ यह समाज कई समूहों, उपसमूहों और उपजातियों में विभाजित हो गया, जिसे हम इसके वर्तमान स्वरूप में देख सकते हैं. आइए इसी क्रम में जानते हैं गोले सैनी के हिस्ट्री के बारे में.
गोले सैनी के हिस्ट्री
गोले सैनी का इतिहास जानने से पहले आइए सैनी समाज की वर्तमान स्थिति के बारे में जान लेते हैं. एक पारंपरिक कृषक समुदाय होने के कारण आज इस समाज के लोग अपनी आजीविका के लिए मुख्य रूप से कृषि और कृषि संबंधी गतिविधियों पर निर्भर हैं. इस समुदाय का शिक्षा के प्रति काफी सकारात्मक नजरिया है. इस कारण से इस समुदाय में उच्च साक्षरता दर है और सफेदपोश व्यवसायों (White Collar Professions) में इनकी मजबूत उपस्थिति है. आज इस समुदाय के लोग इंजीनियरिंग, डिजाइन, चिकित्सा, शासन, विज्ञान और अनुसंधान सहित विभिन्न क्षेत्रों में काम कर रहे हैं जहां वे अपना बहुमूल्य योगदान देकर देश को सशक्त बनाने के लिए प्रयासरत हैं. सैनी समाज के इतिहास की बात करें तो इनकी उत्पत्ति के विषय में अनेक किंवदंतियाँ प्रचलित हैं, जो इन्हें अनेक महापुरुषों से जोड़ती हैं. सैनी समुदाय के एक वर्ग का दावा है कि वह पहले राजपूत थे. मुस्लिम आक्रमणकारियों के आक्रमण के कारण इन्होंने बागबानी की कला में स्वयं को निपुण किया और राजघरानों में माली के रूप में कार्यरत थे. यही कारण है कि राजस्थान समेत देश के कई हिस्सों में इन्हें फूलमाली के नाम से भी जाना जाता है. रायबहादुर देवचंद चौधरी इस समाज के नेता थे जिनके नेतृत्व में इस समुदाय का नाम बदलकर फूलमाली से सैनी कर दिया गया. सैनी समाज के सामाजिक ढांचे की बात करें तो इस समुदाय के लोग वर्ण व्यवस्था से अवगत हैं और स्वयं को क्षत्रिय के साथ पहचानते हैं. इस समुदाय में सैकड़ों गोत्र या कुल हैं. अकेले राजस्थान में, सैनी के पचास से अधिक गोत्र हैं जो स्वभाव से बहिर्विवाही हैं. कुलों के अलावा, खानदान और भाईभान (bhaibanh) ज्ञात पूर्वजों के वंशज हैं. भारतीय प्रशासनिक सेवा के पूर्व अधिकारी और भारतीय मानव विज्ञान सर्वेक्षण के महानिदेशक के रूप में काम कर चुके कुमार सुरेश सिंह (केएस सिंह) के अनुसार, सैनी समुदाय को देश के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है. उदाहरण के लिए, हरियाणा में माली और सूरसैनी, राजस्थान में फूलमाली आदि के रूप में संदर्भित किया जाता है. यह समुदाय कई उप-समूहों में विभाजित है जैसे बागड़ी, देशवाल (हरियाणा), हिंदू सैनी, सिख सैनी (हिमाचल प्रदेश) आदि. इस समाज की प्रमुख उपजातियाँ हैं- भागीरथी, भारिया, गोले आदि. गोले सैनी मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश के मेरठ, मुजफ्फरनगर, सहारनपुर, शामली आदि में पाए जाते हैं.
References:
•Communities, Segments, Synonyms, Surnames and Titles
By K. S. Singh · 1996
Publisher:Anthropological Survey of India
•Rajasthan Part 2, 1998

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