
Last Updated on 18/09/2022 by Sarvan Kumar
दुनिया में भारत की पहचान साधु-संतों और महापुरुषों की भूमि के रूप में होती रही है. भारतवर्ष की पावन धरा पर ऐसे कई महापुरुषों ने जन्म लिया जिन्होंने प्रेम, भाईचारा, त्याग, परोपकार और शांति का संदेश देकर दुनिया को अपने आध्यात्मिक ज्ञान से प्रकाशित करने का काम किया तथा लोगों को जीने की कला सिखाई. इनमें से कई महापुरुषों ने मानव कल्याण के लिए अपना जीवन न्योछावर कर दिया. इन महापुरुषों के संदेश और विचार आज भी प्रासंगिक हैं और आने वाले समय में भी लोगों को रास्ता दिखाते रहेंगे. इसी कड़ी में आइए जानते हैं वैश्य समाज के महापुरुषों के बारे में-
वैश्य समाज के महापुरुष
महाराज अग्रसेन
द्वापर युग के अंतिम चरण में जन्मे, भगवान श्री कृष्ण के समकालीन, महाराजा अग्रसेन वैश्य समाज के संस्थापक माने जाते हैं. महाराजा अग्रसेन का जन्म क्षत्रिय कुल में हुआ था, लेकिन पशु बलि के विरोध में उन्होंने वैश्य धर्म स्वीकार कर लिया. मान्यताओं के अनुसार, महाराज अग्रसेन एक सूर्यवंशी क्षत्रिय राजा थे. महाराज अग्रसेन (भगवान श्री राम के पुत्र ) कुश के वंशज थे और इनका जन्म भगवान श्री राम की 34 वीं पीढ़ी में हुआ था. महाभारत के युद्ध में, 15 वर्ष की आयु में, इन्होंने अपने पिता के साथ पांडवों की ओर से युद्ध किया था. महाराज अग्रसेन को समाजवाद का प्रणेता माना जाता है. वह एक सच्चे कर्मयोगी थे. समतावादी समाज के निर्माण हेतु उन्होंने अपने राज्य में आकर बसने वालों की सहायता के लिए “एक रुपया और एक ईट” नामक एक अनूठा नियम तैयार किया था. पशु बलि पर रोक लगाकर उन्होंने अहिंसा और शांति का संदेश दिया. लगभग 5000 साल पहले महाराज अग्रसेन द्वारा प्रतिपादित समानता, समाजवाद, अहिंसा, सामाजिक एकता और सद्भाव का संदेश आज भी प्रासंगिक है.
भामाशाह
भामाशाह एक अद्वितीय दानवीर एवं त्यागी पुरुष थे. इनका जन्म राजस्थान के मेवाड़ में 29 अप्रैल 1547 को ओसवाल बनिया परिवार में हुआ था. भामाशाह के उल्लेख बिना महाराणा प्रताप की वीर गाथा अधूरी है. भामाशाह एक योद्धा, प्रसिद्ध सेनापति, मंत्री और महाराणा प्रताप के करीबी सहयोगी थे. कहा जाता है कि जब हल्दी घाटी के युद्ध में पराजित महाराणा प्रताप अपने परिवार के साथ जंगलों में भटक रहे थे, तब भामाशाह ने अपनी समस्त संपत्ति मातृभूमि के सम्मान के रक्षा के लिए तथा महाराणा प्रताप को पुनः स्थापित करने के लिए अर्पित कर दी. इतना ही नहीं महाराणा प्रताप के साथ कंधे से कंधा मिलाकर भामाशाह ने युद्धों में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. भामाशाह के सहयोग से महाराणा प्रताप को बल मिला, उन्होंने एक नए उत्साह के साथ सेना का गठन किया और मुगलों से हारे कई इलाकों को फिर से जीत लिया. भामाशाह देश भक्ति, त्याग, बलिदान और उदारता का पर्याय बनकर इतिहास में अमर हो गए.
महात्मा गांधी
महात्मा गांधी न केवल एक भारतीय स्वतंत्रता सेनानी थे, बल्कि पूरे विश्व के लिए एक प्रेरणा हैं. गांधी जी ने दुनिया को यह बताया कि हम हिंसा के बिना भी अन्याय के खिलाफ लड़ सकते हैं और बिना रक्तपात के क्रांतिकारी परिवर्तन प्राप्त कर सकते हैं. गांधी जी सत्य, अहिंसा, सत्याग्रह, शोषण का अहिंसक प्रतिरोध, सेवा भाव, त्याग, और सत्य के सिद्धांत आज भी प्रासंगिक हैं और आगे भी रहेंगे. बता दें कि महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में एक हिंदू-गुजराती मोध बनिया वैश्य परिवार में हुआ था.
लाला लाजपत राय
लाला लाजपत राय भारत के महान स्वतंत्रता सेनानियों में से एक थे. उन्हें देशभक्ति, क्रांतिकारी विचारों और भारत को एक स्वतंत्र देश बनाने में महत्वपूर्ण योगदान देने के लिए जाना जाता है. भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए उन्हें “पंजाब केसरी” की उपाधि दी गई थी. 1928 में, वह लाहौर में साइमन कमीशन के खिलाफ एक मूक विरोध का नेतृत्व कर रहे थे, पुलिस अधीक्षक जेम्स स्कॉट द्वारा उन पर बेरहमी से लाठीचार्ज किया गया था. कुछ हफ़्ते बाद लगी चोटों से उनकी मृत्यु हो गई. इस प्रकार देश की आजादी के लिए लड़ते हुए लाला लाजपत राय ने अपने प्राणों का बलिदान दे दिया. लालाजी को चन्द्रशेखर आजाद, भगतसिंह, राजगुरु, सुखदेव समेत कई क्रांतिकारी अपना आदर्श मानते थे. लाला लाजपत राय का जन्म एक पंजाबी अग्रवाल बनिया परिवार में हुआ था.
राम मनोहर लोहिया
प्रखर समाजवादी, मौलिक विचारक और देश की राजनीति में गैर-कांग्रेसवाद की अवधारणा को जन्म देने वाले डॉ. राम मनोहर लोहिया ने देश के स्वतंत्रता आंदोलन में उल्लेखनीय योगदान दिया था. वह सियासत में ईमानदारी, सादगी और जरूरतमंदों की आवाज उठाने की हिमायत करते थे. देश में चंद ऐसे नेता हुए जिनमें अपने दम पर समाज की दिशा और शासन का रुख बदलने की क्षमता थी, उनमें से एक राम मनोहर लोहिया थे. राम मनोहर लोहिया की समाजवादी विचारधारा आज भी प्रासंगिक है. राम मनोहर लोहिया का जन्म 23 मार्च 1910 को अकबरपुर, आधुनिक उत्तर प्रदेश के अंबेडकर नगर जिले, में एक बनिया परिवार में हुआ था.
नरेंद्र मोदी
नरेंद्र मोदी की कहानी अत्यंत ही प्रेरणादायक है. अपने दृढ़ निश्चय, कठोर परिश्रम, शानदार सांगठनिक क्षमता और दूरदर्शिता के दम पर, चाय बेचने वाले एक गरीब लड़के से लेकर भारत के प्रधानमंत्री बनने तक नरेंद्र मोदी ने एक लंबी दूरी तय की है. नरेंद्र मोदी का जन्म गुजरात के एक साधारण मोढ़-घांची (तेली) परिवार में हुआ था.
धीरूभाई अंबानी
आज अंबानी परिवार के गिनती दुनिया के सबसे अमीर परिवारों में होती है. लेकिन एक समय था जब रिलायंस इंडस्ट्रीज के संस्थापक धीरूभाई अंबानी गरीबी के कारण हाईस्कूल की शिक्षा भी पूरी नहीं कर पाए. खर्च चलाने के लिए उन्हें गाठिया की रेहड़ी लगाने से लेकर पेट्रोल पंप पर तेल भरने तक का काम करना पड़ा. बाद में उन्होंने अपने मेहनत लगन और काबिलियत के दम पर सफलता की वह कहानी लिखी जो एक किवदंती बन गई. आज रिलायंस इंडस्ट्रीज का मार्केट कैप 16 लाख करोड़ रुपये के अधिक है. हम आपको बता दें कि धीरूभाई अंबानी गुजरात की मोध वाणिक जाति से संबंध रखते हैं.

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