भारत का संविधान समाज के उत्पीड़ित वर्गों के लिए सकारात्मक भेदभाव की व्यवस्था को संचालित करने की अनुमति देता है. इस व्यवस्था को आरक्षण भी कहते हैं. सकारात्मक भेदभाव एक नीतिगत पहल है जिसका उद्देश्य वंचित समूहों को शिक्षा और रोजगार के अवसर प्रदान करके समाज की मुख्यधारा में शामिल करना है. आरक्षण व्यवस्था के अन्तर्गत भारत में निवास करने वाली विभिन्न जातियों को विभिन्न श्रेणियों में रखा गया है. आइए जानते हैं इसी क्रम में कि ब्राह्मण किस कैटेगरी में आते हैं.
आरक्षण प्रणाली के अंतर्गत कई श्रेणियां हैं जैसे अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग आदि. आरक्षण का उद्देश्य सामाजिक, शैक्षिक और आर्थिक रूप से पिछड़ी जातियों को सशक्त बनाना है. इनमें से कई जातियां ऐसी हैं जिन्हें अतीत में जातिगत भेदभाव, सामाजिक बहिष्कार और छुआछूत का दंश झेलना पड़ा है. वास्तव में आरक्षण व्यवस्था का मुख्य उद्देश्य भारतीय समाज में समानता को बढ़ावा देना रहा है. आइए अब निम्न बिंदुओं से जानते हैं कि ब्राह्मण किस कैटेगरी में आते हैं-
अनारक्षित वर्ग (Unreserved category):
ब्राह्मणों की बात करें तो इस समुदाय की शैक्षिक और सामाजिक स्थिति हमेशा से अच्छी रही है. इस समुदाय ने किसी भी प्रकार के सामाजिक/जातिगत भेदभाव और छुआछूत का सामना नहीं किया है. धार्मिक अनुष्ठानों में केंद्रीय भूमिका के कारण यह समुदाय को सामाजिक पदानुक्रम के शीर्ष पर माना जाता है. आमतौर पर एक शिक्षित और साधन संपन्न समुदाय के रूप में इनकी एक पहचान रही है और इस समुदाय के लोगों की हर क्षेत्र में महत्वपूर्ण उपस्थिति रही है. इसीलिए ब्राह्मण मुख्य रूप से अनारक्षित वर्ग (Unreserved category)/ सामान्य वर्ग (General Category) में आते हैं.
EWS:
नरेंद्र मोदी सरकार ने 2019 में 103वें संविधान संशोधन के तहत EWS कोटा लागू किया था. EWS का मतलब आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए आरक्षण है. एससी, एसटी, ओबीसी को इस आरक्षण से बाहर रखा गया है. यह आरक्षण केवल सामान्य वर्ग के लोगों के लिए है आर्थिक रूप से कमजोर बरामद EWS आरक्षण का लाभ उठा सकते हैं.
अन्य पिछड़ा वर्ग (Other Backward Class, OBC):
आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि भारत के विभिन्न राज्यों में ऐसे कई ब्राह्मण और अन्य पुरोहित समुदाय हैं जिन्हें ओबीसी के रूप में वर्गीकृत किया गया है, जिनका विवरण नीचे दिया गया है-
•महाराष्ट्र, केरल और कर्नाटक राज्यों में राजापुर सारस्वत ब्राह्मण.
•राजस्थान, मध्य प्रदेश, हरियाणा, पंजाब और दिल्ली राज्यों में भार्गव डाकोत या जोशी ब्राह्मण.
•राजस्थान राज्य में कट्टा ब्राह्मण.
•तमिलनाडु और केरल राज्यों में सौराष्ट्र ब्राह्मण.
•उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड झारखंड, राजस्थान, गुजरात में गोस्वामी ब्राह्मण.
•चंडीगढ़, दिल्ली, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड राज्यों में धीमन और जांगिड़ ब्राह्मण.
•चंडीगढ़, छत्तीसगढ़, दिल्ली, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, मध्य प्रदेश, उड़ीसा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, और उत्तराखंड राज्यों में बैरागी.
•महाराष्ट्र में गुरव या शैव ब्राह्मण
References:
•”National Commission for Backward Classes”.
•Maryam Aslany (3 December 2020). Contested Capital: Rural Middle Classes in India: Rural Middle Classes in India. Cambridge University Press. p. 57. ISBN 9781108836333.
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