Pinki Bharti 21/04/2023
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Last Updated on 21/04/2023 by Sarvan Kumar

लोटस टेंपल दिल्ली में मौजूद प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों में से एक है. यह स्थान अपनी वास्तुकला और सुंदरता के कारण दुनिया भर के पर्यटकों मैं प्रसिद्ध है. इस मंदिर का निर्माण 1986 में पूरा हुआ था. अगर आप दिल्ली में घूमने के लिए आते हैं तो आपको एक बार इस लोटस मंदिर में जरूर घूमने जाना चाहिए. लोटस टेंपल को कमल मंदिर भी कहा जाता है. यह बहाई विश्वास का प्रचारक है जो संपूर्ण मानव जाति की आध्यात्मिक एकता में विश्वास करता है. आइए  जानते हैं,  लोटस टेंपल इतिहास – बहाई मंदिर को और किस नाम से जाना जाता है?

Lotus Temple

बहाई धर्म क्या है?

बहाई धर्म के आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार

” पूरे इतिहास के दौरान ईश्वर ने मानवजाति के पास ’दिव्य शिक्षकों’ की एक श्रृंखला भेजी है – जो ईश्वर के अवतारों के रूप में जाने जाते हैं – जिनकी शिक्षाओं ने सभ्यता के विकास के लिये आधारभूमि प्रदान की है। इन अवतारों में शामिल हैं अब्राहम, कृष्ण, ज़रतुस्थ, मूसा, बुद्ध, ईसा, मुहम्मद, इन अवतारों में नवीनतम हैं बहाउल्लाह जिन्होंने कहा है कि दुनिया के सभी धर्म एक ही ‘स्रोत’ से आये हैं और सार रूप में ईश्वर की ओर से आये एक ही धर्म के क्रमबद्ध अध्याय हैं.

बहाईयों की मान्यता है कि मानवजाति के सामने जो सबसे बड़ी ज़रूरत आज है वह है समाज के भविष्य को एकसूत्र में पिरोने वाली दृष्टि और जीवन के स्वरूप तथा उद्देश्य को जानने का। ऐसी ही दृष्टि बहाउल्लाह के लेखों में प्रकट होती है ”

Tourists at Lotus Temple

बहाई धर्म के संस्थापक

बहाउल्लाह, बहाई धर्म के संस्थापक थे. वे इरान में जन्मे थे. उन्होने 1863 में इराक़ के बग़दाद शहर में बहाई धर्म की स्थापना की. बहाउल्लाह ने घोषणा की कि वे ही वह बहुप्रतीक्षित अवतार हैं जिसकी प्रतीक्षा विश्व के हर धर्म के अनुयायी कर रहे हैं. बहाईयों का मानना है कि बहाउल्लाह सम्पूर्ण धरती को एक करने के लिए आये हैै और उन्होंने धर्म, जाती, भाषा, देश, रंग आदि के समस्त पूर्वाग्रह को त्याग कर एक हो जाने के लिए अपना अवतरण लिया है. दिल्ली का कमल मन्दिर (लोटस टेम्पल) बहाई धर्म के विश्व में स्थित सात मंदिरों में से एक है. पूरी दुनिया में बहाई धर्मावलंबी हैं, जो बहाउल्लाह को ईश्वरीय अवतार मानते हैं. बहाउल्लाह ने 100 से ज्यादा पुस्तकें और हजारों प्रार्थनाएं लिखी थीं.

कौन है बहाउल्लाह?

लोटस टेंपल की जानकारी देती शिलालेख

बहाउल्लाह (हिंदी अर्थ : ईश्वर का प्रकाश) का जन्म तेहरान (ईरान) में 12 नवम्बर 1817 में हुआ था। वे कभी स्कूल नहीं गए पर उनके पास ज्ञान का अथाह भंडार था. बहाउल्लाह जब 22 साल के थे तब उनके पिता का निधन हो गया था, वे मंत्री थे. इसके बाद प्रधानमंत्री ने बहाउल्लाह को उनके पिता की जगह मंत्री बनाने का प्रस्ताव रखा पर उन्होंने नहीं माना. इसके बाद उन्होंने बहाई धर्म की स्थापना की. बहाउल्लाह का असली नाम मिर्ज़ा हुसैन अली था. बहाउल्लाह का जीवन संघर्षो से भरा रहा और कई यातनाएं और भारी कष्टों को सामना करना पड़ा.

लोटस टेंपल का निर्माण कब शुरू हुआ?

दिल्ली के लोटस टेंपल को विश्व के 7 बहाई मंदिरों में से अंतिम टैम्पल से पहचाना जाता है. दक्षिण अमेरिका में चिली में आठवां निर्माण कार्य चल रहा है. जिन सात स्थानों पर बहाई मंदिर स्थित हैं वे उत्तरी अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, युगांडा, जर्मनी, पनामा, समोआ और भारत हैं. यह इमारत 27 मुक्त-खड़े संगमरमर से बनी “पंखुड़ियों” से बनी है, जिसमें नौ भागों को बनाने के लिए तीन गुच्छों में व्यवस्था की गई है, जिसमें केंद्रीय द्वार पर 40 मीटर से अधिक ऊँचाई और 2,500 लोगों की क्षमता वाले नौ दरवाजे हैं. लोटस टेम्पल ने कई वास्तुशिल्प पुरस्कार जीते हैं. एक ईरानी वास्तुकार  ​​फारिबोरज़ साहबा थे जो अब कनाडा में रहते हैं, लोटस टेम्पल को डिजाइन करने के लिए 1976 में उनसे संपर्क किया गया था और बाद में इसके निर्माण की देखरेख की गई थी।. 18 महीने के दौरान यूके की कंपनी फ्लिंट और नील द्वारा संरचनात्मक डिजाइन तैयार किया गया था, और निर्माण लार्सन एंड टुब्रो लिमिटेड के ईसीसी कंस्ट्रक्शन ग्रुप द्वारा किया गया था.

लोटस टेंपल कहां है?

लोटस टेंपल का पता है:-
लोटस टेम्पल Rd, बहापुर, शंभू दयाल बाग, कालकाजी, नई दिल्ली, दिल्ली 110019.

लोटस टेंपल कैसे पहुंचे?

मेट्रो द्वारा:- निकटतम मेट्रो स्टेशन कालकाजी मेट्रो स्टेशन है.
सड़क मार्ग द्वारा: – आप दिल्ली के किसी अन्य पर्यटक आकर्षण से टैक्सी या ऑटो रिक्शा भी किराए पर ले सकते हैं.
हवाईजहाज से:- लोटस टेंपल से एयरपोर्ट की दूरी 13 किलोमीटर है, यहां से आप कैब बुक कर सकते हैं.

लोटस टेंपल के आसपास के प्रसिद्ध स्थान

कालकाजी देवी मंदिर
इस्कॉन मंदिर
नेहरू प्लेस मार्केट

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