Last Updated on 14/03/2023 by Sarvan Kumar
नाई केश शिल्पियों का एक समुदाय है. प्राचीन काल से ही भारतीय सामाजिक व्यवस्था में इनका महत्वपूर्ण स्थान रहा है. बाल काटने के अपने पारंपरिक काम के अलावा धार्मिक अनुष्ठानों में पंडितों के सहायक के रूप में भी इस समुदाय के लोगों की भूमिका रही है. भारत के सभी राज्यों में इनकी मौजूदगी है और अलग-अलग क्षेत्रों में इन्हें अलग-अलग नामों से जाना जाता है. नाई समाज के पिछड़ेपन को दूर करने के लिए इस जाति को आरक्षित वर्ग में रखा गया है. आइए इसी क्रम में जानते हैं नाई जाति किस कैटेगरी में आती है?
नाई जाति किस कैटेगरी में आती है?
उत्तर भारत के अधिकांश राज्यों में इस समुदाय को नाई के नाम से हीं जाना जाता है. जबकि गुजरात में इन्हें वालंद तथा पश्चिम बंगाल और त्रिपुरा में नापित के नाम से जाना जाता है. पूर्वकाल में, बाल काटने, वैवाहिक संबंध तय करवाने, निमंत्रण देने और हिंदू परिवारों में जन्म, विवाह और धार्मिक अनुष्ठानों में भूमिका के कारण समाज में इनकी बड़ी उपयोगिता थी. कालांतर में लोग अपनी दाढ़ी खुद बनाने लगे, वैवाहिक संबंध मैट्रिमोनी सेवाओं के जरिए तय किए जाने लगे, बाल काटने के लिए बड़े-बड़े सैलून खुल गए जिसमें अन्य जातियों के लोग भी शामिल हो गए. इन सभी परिवर्तनों का नाई समुदाय की सामाजिक उपयोगिता पर सीधा प्रभाव पड़ा और धीरे-धीरे यह समुदाय सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक रूप से हाशिए पर चला गया. भारत सरकार पिछड़े समुदायों के सामाजिक और शैक्षिक पिछड़ेपन को दूर करने के लिए आरक्षण नामक विशेष सकारात्मक भेदभाव की एक प्रणाली का पालन करती है. इस प्रणाली का उद्देश्य सरकारी सेवाओं और संस्थानों में पिछड़े समुदायों की भागीदारी बढ़ाना है. आरक्षण प्रणाली के तहत, नाई जाति को भारत के अधिकांश राज्यों में अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के रूप में सूचीबद्ध किया गया है. इनमें आंध्र प्रदेश, असम, बिहार, चंडीगढ़, छत्तीसगढ़, दादरा और नगर हवेली, दमन और दीव, दिल्ली, गोवा, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, पुडुचेरी, पंजाब, राजस्थान, त्रिपुरा, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल आदि शामिल हैं.