Sarvan Kumar 21/12/2018

Last Updated on 21/12/2018 by Sarvan Kumar

आजादी के बाद राजे-रजवाड़े समाप्त कर दिये गये तो उनके परिवारों को का क्या हुआ? यह प्रश्न आपके मन में जरूर उठता होगा.15 अगस्त 1947 को जब भारत आजाद हुआ तो देश कई राजे-रजवाड़े में बंटा हुआ था . देश में कुल 565 रजवाड़े थे. इन रियासतों पर ब्रिटिश साम्राज्य का सीधा शासन तो नहीं था लेकिन भारतीय शासकों के द्वारा ब्रिटिश परोक्ष रूप से भारत पर शासन करते थे.छोटे-छोटे रियासतों को मिलाकर एक बड़े देश का निर्माण करना देश के सामने कठिन चुनौती थी. इस चुनौती को देश के प्रथम उप प्रधानमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल ने बखूबी निभाया.

कहाँ गए इन राजे-रजवाड़े का परिवार?

क्या आपने कभी सोचा है की जब रजवाड़ों को भारत में शामिल कर लिया गया और रॉयल्टी को समाप्त हो जाने के बाद उनके परिवारों का क्या हुआ? पूर्व रियासतों के परिवारों ने राजनीति के माध्यम से आज भी अपने अपने क्षेत्र अपना प्रभाव बना रखा है . आइए जानें देश के उन बड़े नेताओं के बारे में जिनका राज परिवारों से रहा है संबंध. राजघराने से आते हैं ये  नेता आज भी जारी है इनका राज-

1. कैप्टन अमरिंदर सिंह

कैप्टन अमरिंदर सिंह के पिता यादविंदर सिंह पंजाब के पटियाला के महाराज थे.
कैप्टन अमरिंदर सिंह कांग्रेस पार्टी के नेता हैं और वर्तमान में पंजाब के मुख्यमंत्री हैं. अमरिंदर सिंह इससे पहले 2002 से 2007 तक पंजाब के मुख्यमंत्री रहे हैं.

2. वसुंधरा राजे सिंधिया

वसुंधरा राजे सिंधिया सिंधिया रॉयल मराठा फैमिली की सदस्य हैं. इनके इनकी माता का नाम विजय राजे सिंधिया और पिता का नाम जीवाजी राव सिंधिया था. वसुंधरा राजे माधवराव सिंधिया की बहन और ज्योतिरादित्य सिंधिया की बुआ हैं.वसुंधरा राजे 1984 में पॉलिटिक्स में आ गई और बीजेपी ज्वाइन कर लिया.वसुंधरा राजे 5 बार राजस्थान विधानसभा में विधायक रही.

काफी लंबा राजनीतिक करियर 

वसुंधरा राजे एक बार धौलपुर से और चार बार झालरापाटन से विधायक रहीं हैं. वसुंधरा राजे 5 बार सांसद भी रह चुकीं हैं. वो 9वीं, 10वीं, 11वीं, 12वीं और 13वीं लोकसभा के लिए चुनी गई.1998 से 1999 तक केंद्र सरकार में विदेश मंत्री रह चुकीं हैं.1999 से 2001 तक वसुंधरा राजे केंद्र सरकार में स्माल स्केल इंडस्ट्रीज और एग्रो और रूलर इंडस्ट्रीज कि राज्य मंत्री रहीं.वसुंधरा राजे दो बार राजस्थान की मुख्यमंत्री बनी. पहली बार वह 8 दिसंबर 2003 से 8 दिसंबर 2008 तक राजस्थान की मुख्यमंत्री रहीं जबकि दूसरी बार वह 8 दिसंबर 2013 से लेकर 11 दिसंबर 2018 तक राजस्थान की मुख्यमंत्री रहीं.

3. दिग्विजय सिंह

दिग्विजय सिंह कांग्रेस पार्टी के कद्दावर नेता है. दिग्विजय सिंह के पिता का नाम बलभद्र सिंह था. बलभद्र सिंह राघोगढ़ के राजा थे जो कि वर्तमान में मध्यप्रदेश का गुना जिला है. दिग्विजय सिंह दो कार्यकाल के लिए (1993 से 2003) तक मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे.

4. कर्ण सिंह-

कर्ण सिंह डोगरा राजवंश से आते हैं. वह जम्मू कश्मीर के अंतिम राजा महाराजा हरि सिंह के पुत्र हैं. 1949 में मात्र 18 वर्ष की आयु में वह राजनीति में आ गए और कांग्रेस पार्टी जॉइन कर लिया.कर्ण सिंह कई बार सांसद रहे. कर्ण सिंह 1967 से 1973 तक केंद्र सरकार में टूरिज्म और सिविल एविएशन में मंत्री रहे.

5. ज्योतिरादित्य सिंधिया

ज्योतिरादित्य सिंधिया ग्वालियर के अंतिम महाराज जीवाजी राव सिंधिया के पोत्र हैं. इनके पिता माधवराव सिंधिया कांग्रेस के बड़े लीडर और केंद्र में मंत्री थे. ज्योतिरादित्य सिंधिया 2002 में पहली बार गुना लोकसभा सीट से जीत कर लोकसभा पहुंचे. अब तक वह चार बार सांसद रह चुके हैं. वो केंद्र में मंत्री भी रहे हैं.ज्योतिरादित्य सिंधिया की गिनती देश के सबसे अमीर नेताओं में की जाती है. उनकी कुल संपत्ति का आकलन करना तो मुश्किल है लेकिन एक आकलन के अनुसार इनकी कुल संपत्ति 20 हजार करोड़ है.

6. आरपीएन सिंह

आरपीएन सिंह कांग्रेस के नेता हैं. इनका पूरा नाम कुंवर रतनजीत प्रताप नारायण सिंह है. इनका संबंध गहड़वाल राजवंश से है. 11वीं और 12वीं सदी में गहड़वाल राजवंश बिहार और उत्तर प्रदेश के भूभाग पर शासन था. इस राजवंश की राजधानी वाराणसी और कन्नौज थी.आरपीएन सिंह के पिता स्वर्गीय सीपीएन सिंह कुशीनगर के एमपी रह चुके हैं. सी पी एन सिंह इंदिरा गांधी की सरकार में रक्षा राज्य मंत्री भी रह चुके हैं.आरपीएन सिंह 1996 से 2009 तक उत्तरप्रदेश के पडरौना से एमएलए रहे.2009 में यह पडरौना लोकसभा सीट से निर्वाचित हुए.2009 से 2011 तक आरपीएन सिंह रोड ट्रांसपोर्ट और हाईवे राज्य मंत्री रहे.2011 से 2013 तक यह पेट्रोलियम और नेचुरल गैस और कॉरपोरेट अफेयर्स राज मंत्री रहे.2013 से 2014 तक यह केंद्र सरकार में गृह राज्य मंत्री रहे.

7. टीएस सिंह देव-

टी एस सिंहदेव का पूरा नाम त्रिभुवनेश्वर शरण सिंह देव है. टी एस सिंह देव सरगुजा के वर्तमान महाराज हैं जिसका मुख्यालय अंबिकापुर है. टी एस सिंह देव अंबिकापुर से छत्तीसगढ़ असेंबली के लिए चुने गए. 2018 में जब कांग्रेस पार्टी को छत्तीसगढ़ में पूर्ण बहुमत मिली तब इनका नाम मुख्यमंत्री पद के मजबूत दावेदारों में था हालांकि मुख्यमंत्री नहीं बन पाए.

8. चंद्रेश कुमारी कटोच

चंद्रेश कुमारी कटोच कांग्रेस पार्टी की नेता हैं. कटोच जोधपुर के महाराजा हनवंत सिंह की पुत्री हैं. इनके पति आदित्य देव चंद कटोच हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा रॉयल फैमिली से है.कटोच 1972 से 1977 , 1982 से 1984 तक हिमाचल प्रदेश विधानसभा की सदस्य रही.1984 में 9 महीने तक यह हिमाचल सरकार में टूरिज्म मंत्री रही.1984 में चंद्रेश वह आठवीं लोकसभा के लिए कांगड़ा लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र क्षेत्र से निर्वाचित हुई.1996 में राजसभा के लिए नॉमिनेट हुई. 2003 से 2007 तक वह हिमाचल प्रदेश विधानसभा के लिए तीसरे तीसरी बार चुनी गई. 2009 में 15वीं लोकसभा के लिए वह जोधपुर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से निर्वाचित हुई.2012 में वो भाव केंद्र सरकार में संस्कृति मंत्री रही.

9. माला राजलक्ष्मी सिंह

माला राजलक्ष्मी सिंह टिहरी गढ़वाल के महाराजा मनुजेंद्र शाह साहिब बहादुर की पत्नी और टिहरी गढ़वाल की वर्तमान रानी हैं.माला राजलक्ष्मी सिंह भारत किए 16वीं लोकसभा में सांसद हैं. 2014 के लोकसभा चुनाव में वह उत्तराखंड के टिहरी गढ़वाल लोकसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर निर्वाचित हुई.

10. दुष्यंत सिंह

दुष्यंत सिंह धौलपुर राजघराने से आते हैं. दुष्यंत सिंह की माता वसुंधरा राजे सिंधिया है. इनके पिता महाराज हेमंत सिंह धौलपुर के आखिरी अंतिम राजा थे. वर्तमान में दुष्यंत सिंह राजस्थान के झालावाड़ बारां लोकसभा सीट से से बीजेपी के सांसद हैं.

11. दीया कुमारी

दीया कुमारी जयपुर के अंतिम राजा सवाई भवानी सिंह और पद्मिनी देवी की पुत्री है. महारानी गायत्री देवी दीया कुमारी की दादी थीं. 2013 में दीया कुमारी गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के उपस्थिति में बीजेपी में शामिल हो गई. रिया कुमारी सवाई माधवपुर कांस्टीट्यूएंसी से एमएलए हैं.

12. इज्यराज सिंह

इज्यराज सिंह राजस्थान के कोटा रॉयल फैमिली से संबंध रखते हैं. यह पेशे से बिजनेसमैन हैं. इनकी शिक्षा अमेरिका में हुई. इनकी पत्नी का नाम कल्पना देवी है जो हिमाचल प्रदेश के सुकेत राजघराने की राजकुमारी हैं. इज्यराज सिंह ने 2009 में राजनीति में पहली बार भाग्य आजमाया और कोटा लोकसभा संसदीय क्षेत्र से चुने गए.

13. प्रियव्रत सिंह

प्रियव्रत सिंह खिलचीपुर राजघराने से तालुकात रखते हैं. मध्य प्रदेश के इस राजघराने की स्थापना 1544 में देवान उग्रसेन ने किया था. वे एक खींची राजपूत थे. प्रियव्रत सिंह खिलचीपुर विधानसभा सीट से दो बार (2003 और 2008 ) में कांग्रेस के विधायक रहे.

14. कुंवर विक्रम सिंह

कुंवर विक्रम सिंह छतरपुर राज घराने से ताल्लुक रखते हैं. यह 2008 से मध्य प्रदेश के राजनगर विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के विधायक रह चुके हैं.

15. जयवर्धन सिंह

जयवर्धन सिंह मध्य प्रदेश के भूतपूर्व चीफ मिनिस्टर दिग्विजय सिंह के बेटे हैं. इनकी शादी बिहार के डुमरिया स्टेट की राजकुमारी श्रीजम्या शाही से हुई है. जयवर्धन सिंह मध्य प्रदेश के राघोगढ़ विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से कांग्रेस के विधायक हैं.

Leave a Reply