Ranjeet Bhartiya 28/09/2021

Last Updated on 23/10/2021 by Sarvan Kumar

जाट मूल रूप से उत्तर भारत और पाकिस्तान में पाया जाने वाला पारंपरिक रूप से कृषकों का एक जाति समुदाय है. इनका इतिहास स्वर्णिम और प्राचीन है. यह एक आदिकालीन प्राचीनतम क्षत्रिय वर्ग है. यह शारीरिक रूप से मजबूत और आकर्षक तथा स्वभाव से उत्साही, मेहनती, बेवाक, अकखड़, स्पष्टवादी, साहसी और दबंग होते हैं. जाट एक प्रमुख कृषक समुदाय है जो अपनी जमीन के मालिक होते हैं. इन्हें 16वीं शताब्दी में बादशाह अकबर के शासनकाल से ही जमींदारों के रूप में जाना जाता है.निष्कपटता, सत्य निष्ठा और ईमानदारी जाटों के सहज गुण हैं. जाटों के चरित्र के बारे में कहा जाता है कि जाट मरते समय अपने उत्तराधिकारी को यह बता कर मरता है कि किस किसका कितना कर्ज चुकाना है.आइए जानते हैं जाटों का इतिहास, जाट शब्द की उत्पत्ति कैसे हुई?

जाट किस कैटेगरी में आते हैं?

पंजाब और हरियाणा में जाटों को आरक्षण का लाभ नहीं मिलता है, यानी कि ये सामान्य वर्ग में आते हैं. साल 2016 में जाटों ने अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) में शामिल करने की मांग को लेकर उग्र आंदोलन किया था. हालांकि 2016 के आंदोलन से पहले इन्हें 7 राज्यों में ओबीसी का दर्जा मिल चुका था. ये 7 राज्य हैं-दिल्ली, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़.

यहां इस बात का उल्लेख करना जरूरी है कि राजस्थान के 2 जिलों भरतपुर और धौलपुर में जाटों को ओबीसी सूची से बाहर रखा गया है, क्योंकि यहां पहले जाट राजाओं का शासन था. इन दो जिलों को छोड़कर जाट राजस्थान में ओबीसी आरक्षण के तहत केंद्र सरकार की नौकरियों में आरक्षण के हकदार हैं.

जाटों की जनसंख्या

भारत में जातिगत जनगणना की व्यवस्था नहीं होने के कारण किसी जाति के सटीक जनसंख्या के बारे में बताना कठिन है.
प्रतिष्ठित अखबार हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक वर्ष 2012 में भारत में जाटों की जनसंख्या 8.25 करोड़ थी. इससे हम अनुमान लगा सकते हैं कि वर्तमान में जाटों की जनसंख्या 10 करोड़ के आसपास हो सकती है.

विभिन्न राज्यों में जाटों की जनसंख्या इस प्रकार है-
पंजाब में जाट 30 से 35% हैं, जबकि हरियाणा में इनकी आबादी 27% के आसपास है. राजस्थान में इनकी जनसंख्या करीब 12%, उत्तर प्रदेश में 6 से 8% और दिल्ली में लगभग 8% है.

जाट कहां पाए जाते हैं?

जाट मुख्य रूप से भारत और पाकिस्तान में पाए जाते हैं.

भारत

भारत में जाट मुख्य रूप से उत्तरी भारत में पाए जाते हैं. हरियाणा, पंजाब, दिल्ली और राजस्थान में जाटों की सघन आबादी है. इन राज्यों के अलावे जाट उत्तर प्रदेश विशेष रूप से पश्चिमी उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर में भी निवास करते हैं. पंजाब में इन्हें जट्ट या जट कहा जाता है. शेष राज्यों में इन्हें जाट कहा जाता है. गुजरात में इसे आँजणा जाट या आंजना चौधरी के नाम से जाना जाता है.

पाकिस्तान में जाट

पाकिस्तान में जाट विशेष रूप से सिंध, पंजाब‌ और बलूचिस्तान प्रांत में पाए जाते हैं. गुजरांवाला, मुल्तान, बहावलपुर,‌ डेरा इस्माइल खान, पाक अधिकृत कश्मीर आदि में इनकी सघन आबादी है.

जाट किस धर्म को मानते हैं?

जाट मूल रूप से हिंदुओं की जाति या समुदाय है. जाटों की धार्मिक पहचान कैसे विकसित हुई इसके बारे में इतिहासकार
कैथरीन असर (Catherine Asher) और सिंथिया टैलबोट (Cynthia Talbot) ने विस्तार से बताया है. उन्होंने कहा है कि पंजाब और अन्य उत्तरी क्षेत्रों में बसने से पहले जाटों का मुख्य धारा के अन्य धर्मों से बहुत कम संपर्क था. अन्य धर्मों के संपर्क में आने के बाद उन्होंने उस क्षेत्र के प्रमुख धर्म को अपनाना शुरू कर दिया है जिनके बीच वह रहते थे.
समय के साथ जाट मुख्य रूप से पश्चिमी पंजाब में मुस्लिम, पूर्वी पंजाब में सिख और दिल्ली‌ और आगरा के बीच रहने वाले जाट हिंदू बन गए.

शोधकर्ता डेरिक ओ. लॉड्रिक ने जाटों के धर्म के आधार पर विभाजन का अनुमान इस प्रकार लगाया: 47% हिंदू, 33% मुस्लिम और 20% सिख.

जाट सरदार 1868., Image Wikimedia Commons

जाट शब्द की उत्पत्ति कैसे हुई?

जाट शब्द की उत्पत्ति के बारे में निम्नलिखित बातें कहीं जाती है-
1.जाट शब्द की उत्पत्ति संस्कृत के शब्द ‘ज्ञात’ से हुई है.
ज्ञात से सब “जात” बना और फिर कालांतर में यह शब्द अपभ्रंश होकर “जाट” बन गया.

2. जाट शब्द “जट्टा” से बना है. जट्टा पशु चराने वाले और ऊंट प्रजनकों को के लिए एक सामान्य शब्द है जो समूह या जत्था में घूमते हैं.

3. तीसरी, पौराणिक मान्यता है कि जाट समाज की उत्पत्ति भगवान शिव के जटाओं से हुई है. इसीलिए जाट शब्द की उत्पत्ति जटा से हुई है.

जाट जाति की उत्पत्ति कैसे हुई?

जाट जाति की उत्पत्ति के बारे में कई मान्यताएं हैं तथा इस विषय पर विद्वानों और इतिहासकारों की अलग-अलग राय है.
आइए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं-

वीरभद्र से जाट समाज की उत्पत्ति

पौराणिक मान्यता के अनुसार जाट जाति की उत्पत्ति भगवान शिव की जटाओं से हुई है. इसका उल्लेख देव संहिता नाम के पुस्तक में मिलता है. इस मान्यता के अनुसार‌, भगवान शिव के ससुर राजा दक्ष ने हरिद्वार के नजदीक “कनखल” में एक बड़े

भगवान शिव के गण वीरभद्र
Image: Wikimedia Commons

यज्ञ का आयोजन किया. उन्होंने इसके लिए भगवान शिव छोड़कर सभी देवी देवताओं को निमंत्रण दिया. जब भगवान शिव की पत्नी माता सती को यज्ञ बारे में खबर मिली तो माता ने बिना निमंत्रण के ही पिता के यज्ञ में जाने के लिए महादेव से आज्ञा मांगी. ना चाहते हुए भी भगवान शिव ने यह कहकर माता को आगे दे दी कि -‘तुम उनकी पुत्री हो और तुम अपने पिता के घर बिना निमंत्रण के भी जा सकती हो’. माता सती जब पिता के घर पहुंची तो राजा दक्ष ने उनके साथ सही व्यवहार नहीं किया. ‌महादेव के लिए कोई स्थान निर्धारित नहीं था, ना ही उनके लिए भाग ही निकाला गया था. राजा दक्ष द्वारा भगवान शिव का अपमान किया गया और उनके बारे में भला-बुरा कहा गया. पिता के अपमान से आहत होकर माता सती ने हवन कुंड में कूद कर अपने प्राण त्याग दिए. जब महादेव ने यह सुना तो क्रोधित होकर उन्होंने अपनी जटा को खोल कर जमीन पर पटका, जिससे वीरभद्र नाम का महाशक्तिशाली और पराक्रमी गण उत्पन्न हुआ. उन्होंने वीरभद्र को राजा दक्ष के यज्ञ को तहस-नहस करने भेजा. वीरभद्र ने जाकर यज्ञ को नष्ट कर दिया और आमंत्रित राजाओं का मानमर्दन किया. वीरभद्र ने राजा दक्ष के सिर काट दिया. फिर भगवान विष्णु, ब्रह्मा और सभी  देवी देवता भगवान शिव को मनाने पहुंचे और उनसे राजा दक्ष को क्षमा करने की याचना की. भगवान शिव ने शांत होकर दक्ष को पुनर्जीवित कर दिया. इस मान्यता के अनुसार, वीरभद्र से ही जाट समाज की उत्पत्ति हुई है. जाट संबंधित Products खरीदने के लिए यहां Click करें।

युधिष्ठिर के वंशज जाट 

कुछ इतिहासकारों और विद्वानों का मानना है कि जाट जाति की उत्पत्ति “ज्येष्ठ” शब्द से हुई है. इस मान्यता के अनुसार, राजसूय यज्ञ के बाद भगवान श्री कृष्ण ने युधिष्ठिर को “ज्येष्ठ” घोषित किया था. कालांतर में युधिष्ठिर के ही वंशज
‘ज्येष्ठ’ से ‘जेठर’ तथा ‘जेटर’ और फिर ‘जाट’ के नाम से जाने जाने लगे.

जाटों का इतिहास 

इतिहासकार विसेंट स्मिथ, कनिंघम और जेम्स टॉड के अनुसार, जाट इंडो-सीथियन मूल के हैं, जो बाहर से भारत में आए. उन्होंने 200 ईसा पूर्व और 600 ईसवी के बीच भारत पर आक्रमण किया और अंत में यही बस गए.

यूनानी इतिहासकार प्लिनी और टॉलेमी का मत है कि जाट मूल रूप से ऑक्सस नदी के तट पर रहते थे, जो ईसा से लगभग एक सदी पहले भारत में आकर बस गए.

कुछ इतिहासकारों का मत है कि जाट मूल रूप से इंडो-आर्यन मूल के हैं. यह भारत के सबसे प्राचीन लोगों में से एक हैं.

हर क्षेत्र में अव्वल हैं जाट

बीसवीं शताब्दी तक, जमींदार जाट पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, राजस्थान और दिल्ली समेत उत्तर भारत के कई हिस्सों में एक प्रभावशाली वर्ग के रूप में उभरे. इन वर्षों में जाटों ने पारंपरिक कृषि कार्य और पशुपालन के साथ-साथ अन्य पेशा अपनाना शुरू कर दिया जैसे परिवहन व्यवसाय, व्यापार, सरकारी और निजी क्षेत्र में सेवाएं जैसे शिक्षक, डॉक्टर, इंजीनियर आदि.

प्राचीन काल से ही युद्ध कला में निपुण रहे जाटों को एक उत्कृष्ट योद्धा माना जाता है. पारंपरिक रूप से कृषि और पशुपालक जाति होने के बावजूद जाट आवश्यकता पड़ने पर हथियार उठाने से संकोच नहीं करते. 17 वी शताब्दी के अंत और 18 वीं सदी के शुरुआत में इन्होंने मुगल साम्राज्य के खिलाफ हथियार उठा लिया था. बता दें कि 17 वीं शताब्दी में औरंगजेब के जीवन काल का अधिकांश वक्त उत्तर भारत में जाट शक्तियों को नियंत्रित करने और दक्षिण भारत में मराठा शक्ति का दमन करने में लगा. आज भी भारतीय सेना, अर्धसैनिक और पुलिस बलों में जाटों की मजबूत उपस्थिति है. भारतीय सेना में इनके नाम पर रेजिमेंट भी है जिसे जाट रेजिमेंट के नाम से जाना जाता है.

 

जाट समाज के प्रमुख व्यक्ति

जाट समाज में एक से बढ़कर एक रत्न पैदा हुए हैं जिन्होंने देश दुनिया में भारत का नाम रोशन किया है. उनमें से प्रमुख नामों का हम यहाँ  उल्लेख कर रहे हैं-

 

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