
Last Updated on 11/02/2023 by Sarvan Kumar
मुहावरे, कहावतें और लोकोक्तियां समाज का आईना होती हैं जो हमारी संस्कृति और सभ्यता को दर्शाती हैं. कहावतें एक-दो दिन में नहीं बनतीं, बल्कि इसके पीछे हमारे पूर्वजों का वर्षों के अवलोकन और अनुभव होता हैं. भारत में जाति से जुड़ी कई कहावतें प्रचलित हैं. जाति सम्बन्धी कहावतें समाज में व्याप्त विभिन्न जातियों, उपजातियों और वर्गों की मूल प्रवृत्तियों को दर्शाती हैं. आइए इसी क्रम में जानते हैं कायस्थ जाति से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण कहावतों के बारे में.
कायस्थ कहावत
इस लेख के मुख्य विषय पर चर्चा करने से पहले आइए जानते हैं कायस्थ समाज से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण तथ्यों के बारे में, जिनसे आपको इस समुदाय की मूल प्रवृत्तियों और गुणों को समझने में आसानी होगी. कहा जाता है कि इस समाज के लोग कलम ही खाते हैं और इसी के कलाकार हैं. कलम ही इनका हथियार है. इसका मतलब है कि इस समुदाय के लोग शिक्षा के महत्व को समझते हैं और अपने बच्चों को शिक्षित करने पर विशेष ध्यान देते हैं. मुगल काल, ब्रिटिश शासन और स्वतंत्रता के बाद, इस समुदाय की सत्ता के हर स्तर पर भागीदारी रही है. उच्च पदों पर आसीन होने के कारण कई बार इन्हें अपने कर्तव्यों का निर्वहन कठोरता से करना पड़ता है. इसलिए कई लोग उन्हें निर्दयी, क्रूर और लालची समझने की गलती कर बैठते हैं. हालांकि इस समुदाय के सभी लोग शारीरिक रूप से दुर्बल नहीं होते लेकिन इनकी शारीरिक दुर्बलता के बारे में भी कहावतें हैं. आमतौर पर इस समुदाय के लोग बेवजह के वाद-विवाद में नहीं पड़ते और शारीरिक बल से ज्यादा अपनी बुद्धि-कौशल का इस्तेमाल करने में विश्वास रखते हैं. आइए अब मुख्य विषय पर आते हैं और कायस्थ जाति से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण कहावतों के बारे में जानते हैं-
•कायस्थ का बच्चा पढ़ा भला या मरा भला.
इस कहावत का अर्थ यह है कि कायस्थ का बच्चा या तो पढ़ा लिखा होना चाहिए, अगर अनपढ़ है तो मरे हुए व्यक्ति के समान है.
•कायथ कसाई के कलम तरवारि,
जब एक कलम घस्के, त बावन गाँव खस्के.
उपरोक्त कहावत में कायस्थ की कलम की प्रशंसा की गई है. यदि यह रिकॉर्ड में जरा सा भी हेरफेर कर दें तो कितने ही लोगों का वारा-न्यारा हो जाये.
•हौले-हौले दौड़ के काटें, का जानैं पर पीरा,
पर लोहू के चाखन हारे कायथ औ’ खटकीरा ।
•कहे-सुने से ठाकुर मानै, बाम्हन मानै खाए,
दिए लिए से कायय मानै, सूद मानै लतियाए ।
•जौ पै सिंहवाहिनी निबाहिनी न होती कहूँ,
कायथ कलंकी काके द्वारे गति पावते ।
•कायथ के बाचा, कभी ना साचा.
•छुपुकत आवे छुपुकत जावे ना जाने पर पीरा,
ये दो बीर कहाँ से आये कायथ और खटकीरा.
•कायथ के इयारी, मधि भादो उजारी.
•तीन कायथ जहवाँ, बजर परे तहवाँ.
•नगद कायथ भूत उधार कायथ देवता.
•सात लाला मिलि के एगो मुरई उखरले ह.
References:
•भोजपुरी कहावतें: एक सांस्कृतिक अध्ययन
By Satyadeva Ojhā
•Neeraj Ki Yaadon Ka Karwan/नीरज की यादों का कारवां
By Milan Prabhat ‘Gunjan’/मिलन प्रभात ‘गुंजन’ · 2022
•क्या भूलूं क्या याद करूं, हरिवंश राय बच्चन
By Baccana · 1995

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