Ranjeet Bhartiya 07/12/2021
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Last Updated on 10/12/2021 by Sarvan Kumar

खंडायत या खंडैत (Khandayat or Khandait) भारत में निवास करने वाली एक जाति है. परंपरागत रूप से यह एक मार्शल यानी कि क्षत्रिय जाति है. यह अपने अनुशासन, युद्ध कौशल, साहस, बहादुरी और वीरता के लिए जाने जाते हैं. प्राचीन से लेकर मध्यकाल तक यह उड़ीसा राज्य की सत्ता में शामिल थे. ऐतिहासिक रूप से यह सामंती प्रमुख, सैन्य जनरल, जमींदार, बड़े भूभाग के मालिक और कृषक थे. यह मुख्य रूप से पूर्वी भारत में स्थित उड़ीसा राज्य में पाए जाते हैं. जनसंख्या के आधार पर यह उड़ीसा की सबसे बड़ी जाति है. उड़ीसा में इनकी जनसंख्या राज्य की कुल जनसंख्या का लगभग 22% है. इन्हें उड़ीसा में सबसे प्रभावशाली जातियों में से एक माना जाता है.यह हिंदू धर्म को मानते हैं.यह उड़िया और हिंदी भाषा बोलते हैं. आइए जानते हैं खंडायत समाज का इतिहास, खंडायत की उत्पत्ति कैसे हुई?

खंडायत शब्द की उत्पत्ति कैसे हुई?

“खंडायत” शब्द की उत्पत्ति संस्कृत के शब्द “खंडा+आयत” से हुई है. खंडा का अर्थ होता है- “तलवार” और आयत का अर्थ होता है “निपुण या माहिर”. इस तरह से खंडायत का अर्थ है-” तलवार चलाने निपुण या तलवार चलाने में महारत हासिल करने वाला”.

खंडायत समाज का इतिहास

सामंती प्रमुखों और सैनिकों के रूप में खंडायतों का प्रारंभिक उल्लेख पूर्वी गंगा राजवंश के शासन के दौरान मिलता है. उड़ीसा के इतिहासकार के.एन. महापात्र के अनुसार, लिंगराज मंदिर की रक्षा करने के लिए भुवनेश्वर और आसपास के क्षेत्रों में खंडायत रणनीतियों की स्थापना की गई थी.उड़िया साहित्य में “कथा सम्राट” के रूप में प्रसिद्ध फकीर मोहन सेनापति ने अबुल फजल का हवाला देते हुए खंडायतों को एक जमींदार जाति के रूप में वर्णित किया है, जो गजपति साम्राज्य के दौरान राजनीति और सेना पर हावी थे. आइन-ए-अकबरी में विभिन्न किलो का उल्लेख किया गया है जिस पर गजपति साम्राज्य के पतन के बाद खंडायत जमींदारों ने अपने राजा मुकुल देव के साथ शासन किया था. 1803 में अंग्रेजों ने उड़ीसा को जीत लिया‌ और कर राजस्व बढ़ाने के उद्देश्य से नया भूमि सुधार कानून लागू किया. खंडायतों को सैन्य सेवाओं के बदले खुर्दा साम्राज्य में कर मुक्त भूमि दी गई. इसे इन के सामाजिक स्तर में इजाफा हुआ.ब्रिटिश शासन के दौरान, पश्चिमी उड़ीसा के कुछ रियासतों के कृषक जातियों के कुछ धनी लोग अपनी सामाजिक स्थिति सुधारने और जमींदार भूमि अधिकार हासिल करने के लिए उद्देश्य से खुद को खंडायत बताने लगे. अंग्रेजों ने इन कर मुक्त जागीरो को बाद में समाप्त कर दिया. जिसके कारण खंडायतों ने 1817 में अंग्रेजो के खिलाफ विद्रोह कर दिया. इस विद्रोह को पाइका विद्रोह के नाम से जाना जाता है.

 

 

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