
Last Updated on 04/12/2021 by Sarvan Kumar
खोंड या कोंध (Khond or Kondha) भारत में पाया जाने वाला एक आदिवासी जनजातीय समुदाय है. परंपरागत रूप से यह एक शिकारी-संग्रहकर्ता समुदाय है. यह मुख्य रूप से पहाड़ियों और जंगलों में निवास करते हैं. हालांकि, शिक्षा, चिकित्सा सुविधाओं, सिंचाई और वृक्षारोपण आदि में विकास के हस्तक्षेप के कारण इनके परंपरागत जीवन शैली, परंपरागत अर्थव्यवस्था, सामाजिक संरचना, मापदंड और मूल्यों आदि में बदलाव आया है और अब यह आधुनिक जीवनशैली और दृष्टिकोण अपनाने लगे हैं. इनकी अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से शिकार, जंगली उत्पादों (जैसे आम, कटहल, जड़ी बूटी) को इकट्ठा करने और कृषि पर निर्भर है. डोंगरिया खोंड उत्कृष्ट फल किसान हैं. खोंड अपनी बहादुरी और शिकार कौशल के लिए जाने जाते हैं. प्रथम और द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान अंग्रेजों द्वारा इन्हें बड़ी संख्या में प्राकृतिक जंगल युद्ध विशेषज्ञों के रूप में ब्रिटिश सेना में भर्ती की गई थी. आज भी काफी संख्या में खोंड अपनी बहादुरी साबित करने का अवसर तलाशने के उद्देश्य से राज्य पुलिस या भारत के सशस्त्र बलों में शामिल होते हैं. खोंड जनजाति के लोगों ने अन्याय और अत्याचार के खिलाफ कई बार आवाज उठाया है. उदाहरण के तौर पर इन्होंने, 1817 में और फिर 1836 में ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ विद्रोह किया था. आइए जानते हैं खोंड जनजाति का इतिहास, खोंड शब्द की उत्पति कैसे हुई?
खोंड जनजाति की कैटगरी
आरक्षण व्यवस्था के अंतर्गत इन्हें भारत के आंध्र प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, उड़ीसा, झारखंड और पश्चिम बंगाल राज्यों में अनुसूचित जनजाति (Scheduled Tribe, ST) के रूप में सूचीबद्ध किया गया है.
खोंड जनजाति की जनसंख्या, भाषा, कहां पाए जाते हैं?
मुख्य रूप से यह उड़ीसा के पहाड़ियों और जंगलों में पाए जाते हैं. 2011 की जनगणना में, उड़ीसा में इनकी कुल आबादी 16,27,486 दर्ज की गई थी. झारखंड, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश में भी इनकी आबादी है. खोंड कुई भाषा को अपनी मूल भाषा के रूप में बोलते हैं. यह उड़िया और हिंदी भाषा भी बोलते हैं.लोदु सिकका (Lodu Sikaka): उड़ीसा राज्य में डोंगरिया कोंध आदिवासी नेता हैं।
खोंड जनजाति किस धर्म को मानते हैं?
परंपरागत रूप से यह जीववाद को मानते आए हैं. यह प्रकृति की पूजा करते हैं. खोंड पृथ्वी को दुनिया का निर्माता और पालनकर्ता मानते हैं. यह धरती को सर्वोच्च महत्व देते हैं और पृथ्वी देवी के रूप में पूजते हैं. यह धरणी देव और भारतबरसी देवता (शिकार देवता) को भी पूजते हैं.लेकिन वर्तमान में अधिकांश खोंड हिंदू धर्म को मानते हैं. यह दुर्गा और काली समेत अन्य हिंदू देवी देवताओं की पूजा करते हैं. इनके रीति-रिवाजों पर पारंपरिक आदिवासी प्रथाओं तथा हिंदू संस्कृति का मिश्रित प्रभाव है. कुछ ने ईसाई धर्म अपना लिया है, तो कुछ धर्मांतरण करके मुसलमान भी बन गए हैं.

Disclosure: Some of the links below are affiliate links, meaning that at no additional cost to you, I will receive a commission if you click through and make a purchase. For more information, read our full affiliate disclosure here. |