
Last Updated on 08/04/2023 by Sarvan Kumar
“यादव” राजा यदु के वंशज, कि कई शाखाएं हैं. इन्हीं में से एक है वृष्णि या वृष्णि गोप नारायण, इसी कुल में आगे चल कर भगवान कृष्ण का जन्म हुआ. कृष्ण के ही वंशज कृष्णौत Krishnaut कहलाये. कृष्णौत या कृष्णावत यादव जाति की उप शाखा है, यह मुख्य रूप से बिहार, झारखंड, नेपाल और पूर्वी उत्तर प्रदेश के थोड़े से भाग में मिलते हैं. कृष्णौत संख्यात्मक रूप से बिहार के पटना, सारण और वैशाली जिले की दियारा भूमि में अन्य उप-जातियों से अधिक है. आइए जानते हैं कृष्णौत (Krishnaut) यादव वंश का इतिहास, कृष्णौत शब्द की उत्पति कैसे हुई?
कृष्णौत शब्द की उत्पति कैसे हुई?
कृष्णौत शब्द कृष्ण +उत से बना है जिसका अर्थ कृष्ण से उत्पन्न. पुराणों के अनुसार 8वें अवतार के रूप में भगवान विष्णु ने द्वापर युग में श्रीकृष्ण के रूप में देवकी के गर्भ से मथुरा के कारागार में जन्म लिया था. पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान कृष्ण की 16108 पत्नियां और उनके डेढ़ लाख से भी ज्यादा पुत्र थे. हालांकि ऐसा क्यों कहा जाता है, इसकी भी वजह है. पुराणों में उल्लेख है कि एक दानव भूमासुर ने अमर होने के लिए 16 हजार कन्याओं की बलि देने का निश्चय कर लिया था. श्री कृष्ण ने इन कन्याओं को कारावास से मुक्त कराया और उन्हें वापस घर भेज दिया. जब वो घर पहुंचीं तो परिवारवालों ने चरित्र के नाम पर उन्हें अपनाने से इनकार कर दिया. तब श्री कृष्ण ने 16 हजार रूपों में प्रकट होकर एक साथ उनसे विवाह रचाया था. असल में कृष्ण ने केवल 8 बार ही शादी थी. उनकी केवल 8 पत्नियां थीं. जिनके नाम रुक्मणि, जाम्बवन्ती, सत्यभामा, कालिन्दी, मित्रबिन्दा, सत्या, भद्रा और लक्ष्मणा था. इन आठ महिलाओं से उनको 80 पुत्र मिले थे. इन आठ महिलाओं को अष्टा भार्या कहा जाता था.
भगवान कृष्ण के पुत्रों के नाम
माता रुक्मिणी – प्रद्युम्न, चारुदेष्ण, सुदेष्ण, चारुदेह, सुचारू, चरुगुप्त, भद्रचारू, चारुचंद्र, विचारू और चारू।
माता सत्यभामा : भानु, सुभानु, स्वरभानु, प्रभानु, भानुमान, चंद्रभानु, वृहद्भानु, अतिभानु, श्रीभानु और प्रतिभानु।
माता जाम्बवंती : साम्ब, सुमित्र, पुरुजित, शतजित, सहस्त्रजित, विजय, चित्रकेतु, वसुमान, द्रविड़ और क्रतु।
माता सत्या : वीर, चन्द्र, अश्वसेन, चित्रगु, वेगवान, वृष, आम, शंकु, वसु और कुन्ति।
माता कालिंदी : श्रुत, कवि, वृष, वीर, सुबाहु, भद्र, शांति, दर्श, पूर्णमास और सोमक।
माता लक्ष्मणा : प्रघोष, गात्रवान, सिंह, बल, प्रबल, ऊर्ध्वग, महाशक्ति, सह, ओज और अपराजित।
माता मित्रविन्दा : वृक, हर्ष, अनिल, गृध्र, वर्धन, अन्नाद, महांस, पावन, वह्नि और क्षुधि।
माता भद्रा : संग्रामजित, वृहत्सेन, शूर, प्रहरण, अरिजित, जय, सुभद्र, वाम, आयु और सत्यक
कृष्णौत यादव वंश का इतिहास
गांधारी के शाप के चलते भगवान श्री कृष्ण के कुल का नाश हो गया था. श्रीकृष्ण ने मथुरा से जाकर द्वारका में अपना स्थान बनाया था. श्रीकृष्ण वृष्णि यादव वंश से थे. महाभारत युद्ध के बाद 36वां वर्ष प्रारंभ हुआ तो युद्ध पर चर्चा करते हुए सात्यकि और कृतवर्मा में विवाद हो गया. सात्यकि ने गुस्से में आकर कृतवर्मा का सिर काट दिया. इससे उनमें आपसी युद्ध भड़क उठा और वे समूहों में विभाजित होकर एक-दूसरे का संहार करने लगे. इस लड़ाई में श्रीकृष्ण के पुत्र प्रद्युम्न और मित्र सात्यकि समेत सभी यदुवंशी मारे गये थे, केवल बभ्रु और दारूक ही बचे रह गये थे दारुक भगवान श्रीकृष्ण के सारथी थे. यदुवंश के नाश के बाद कृष्ण के ज्येष्ठ भाई बलराम समुद्र तट पर बैठ गए और एकाग्रचित्त होकर परमात्मा में लीन हो गए. इस प्रकार शेषनाग के अवतार बलरामजी ने देह त्यागी और स्वधाम लौट गए. बलरामजी के देह त्यागने के बाद जब एक दिन श्रीकृष्ण पीपल के नीचे ध्यान की मुद्रा में लेटे थे एक बहेलिए ने बिना कोई विचार किए वहीं से एक तीर छोड़ दिया जो कि श्रीकृष्ण के तलवे में जाकर लगा. जब वह पास गया तो उसने देखा कि श्रीकृष्ण के पैरों में उसने तीर मार दिया है. इसके बाद उसे बहुत पश्चाताप हुआ और वह क्षमायाचना करने लगा. तब श्रीकृष्ण ने बहेलिए से कहा कि जरा तू डर मत, तूने मेरे मन का काम किया है. अब तू मेरी आज्ञा से स्वर्गलोक प्राप्त करेगा और श्री कृष्ण भी स्वधाम लौट जाते हैं. श्रीकृष्ण और बलराम के स्वधाम गमन की सूचना इनके प्रियजनों तक पहुंची तो उन्होंने भी इस दुख से प्राण त्याग दिए. देवकी, रोहिणी, वसुदेव, बलरामजी की पत्नियां, श्रीकृष्ण की पटरानियां आदि सभी ने शरीर त्याग दिए. इसके बाद अर्जुन ने यदुवंश के निमित्त पिण्डदान और श्राद्ध आदि संस्कार किए. महाभारत और पुराणों के अनुसार इन संस्कारों के बाद यदुवंश के बचे हुए लोगों को लेकर अर्जुन इंद्रप्रस्थ लौट आए. वहाँ सबको यथायोग्य बसाकर अनिरुद्ध के पुत्र वज्र का राज्याभिषेक कर दिया. कृष्ण के प्रपौत्र वज्र अथवा वज्रनाभ द्वारिका के यदुवंश के अंतिम शासक थे, जो यदुओं की आपसी लड़ाई में जीवित बच गए थे उन्हें हस्तिनापुर में मथुरा का राजा घोषित किया. वज्रनाभ के नाम से ही मथुरा क्षेत्र को ब्रजमंडल कहा जाता है. कृष्णौत यादव प्राचीन यदुवंशी कुलों के सात मूलों का समूह हैं जो श्रीकृष्ण के वंशज कहे जाते हैं. पहले चार मूल के कृष्णौत दिल्ली और इंद्रप्रस्थ के यदुवंशी राजाओं के वंशज है जो मध्य काल में बिहार आ गए और अन्य तीन प्राचीन काल में मथुरा से ही विस्थापित हो कृष्णौत यदुवंशियों ने नेपाल में यादव राजवंश की स्थापना की.
कृष्णौत वंश के राजा और जमींदार
बिहार, नेपाल और झारखंड में अहीर (यादव) जाति के कई शासक और जमींदार थे. अहीर जमींदार मुख्य रूप से बिहार के उत्तरी और पूर्वी भागों में पाए जाते थे. उनमें से ज्यादातर अहीर के कृष्णौत और मझरौत वंश के थे.
● नेपाल के गोपाला अभीरा शासक
● किशनौत अहीर जागीरदार या परसादी एस्टेट और परसौना (सारण) के जमींदारों ने 16वीं शताब्दी से स्वतंत्रता तक शासन किया
●रुइदास-पटना के अहीर प्रमुख
● गौरोर किले, पटना के अहीर राजा
● गोसाईंपुर दरबार
● हाजीपुर की रहीमापुर एस्टेट
● दूधिया दरबार, दरभंगा
● कन्हेली एस्टेट, अररिया
● सहरसा की खुरासेन जागीर
कृष्णौत यादव संस्कृति
कृष्णौत लोग बीर कुआर ( Bir Kuar) बख्तौर बाबा को अपने देवता के रूप में पूजते हैं. वे बिहार में लोरिकायन गाते हैं. कृष्णौत यादव दूध, घी या मक्खन कभी नहीं बेचते और काफी हद तक वे किसान हैं.
कृष्णौत यादव समाज सरनेम
कृष्णौत और बिहार में अहीरों की अन्य उप-जातियों द्वारा आमतौर पर इस्तेमाल की जाने वाली उपाधियाँ यादव, राउत, गोप, रे/राय/रॉय, मंडल, प्रसाद, ठाकुर, सिन्हा, सिंह हैं.
कृष्णौत यादव समाज के प्रसिद्ध व्यक्ति
● बीर कुआर- अहीर के देवता.
● संत बाबा कारू खिरहरी- (Sant baba karu khirher) – एक लोक देवता.
● बख्तौर बाबा (Baba Bakhtor) – एक लोक देवता.
● रणजीत सिंह अहीर- 1857 के भारतीय विद्रोह के एक विद्रोही. सरदार रणजीत सिंह यादव जिन्होंने 80 साल के वीर योद्धा बाबू कुंवर सिंह के साथ मिलकर अंग्रेजों को इतना खौफजदा कर दिया की अंग्रेजों की हिम्मत नहीं पड़ी की वो शाहाबाद के लोगों एवं यादवों से कर वसूल कर सकें.
● विशु राउत (Vishu Raut) – कोसी संभाग और बिहार के भागलपुर जिले के एक लोक देवता.
● बद्री अहीर, एक स्वतंत्रता सेनानी.
● जिरियावती देवी- एक बहादुर महिला स्वतंत्रता सेनानी, जिन्होंने 16 अंग्रेज सैनिकों को मार डाला.
● नरसिंह गोप- एक स्वतंत्रता क्रांतिकारी और गोविंदपुर के जमींदार.
● जियालाल मंडल- एक स्वतंत्रता सेनानी और राजनीतिज्ञ.
● दरोगा प्रसाद राय- बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री.
● राम लखन सिंह यादव- एक राजनीतिज्ञ.
● राम जयपाल सिंह यादव- एक स्वतंत्रता सेनानी और बिहार के तीसरे उप मुख्यमंत्री.
● उदय नारायण राय- एक राजनीतिज्ञ.
● हुकुमदेव नारायण यादव- कैबिनेट कपड़ा और खाद्य प्रसंस्करण के पूर्व केंद्रीय मंत्री और भारत के तीसरे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म भूषण के प्राप्तकर्ता.
● नंद किशोर यादव- वर्तमान में पटना साहिब विधानसभा के विधायक लगातार सात बार बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता रह चुके हैं.
● दिनेश चंद्र यादव, वर्तमान में मधेपुरा से सांसद और बिहार सरकार के पूर्व मंत्री.
● सुरेंद्र प्रसाद यादव, एक लोकप्रिय राजनीतिज्ञ, वर्तमान में बिहार सरकार के सहकारिता मंत्री हैं.
● डॉ. रामानंद यादव- वर्तमान में बिहार सरकार में मंत्री हैं.
● जितेंद्र कुमार राय, वर्तमान में बिहार सरकार के मंत्री हैं.
Refrences:
●इस लेख को लिखने के लिए हमारे एक प्रिय पाठक ने प्रेरणा दिया और कृष्णौत (Krishnaut) यादव वंश इतिहास को समझने में हमारी सहायता की हम उनके दिल से आभारी हैं.
●https://hindi.webdunia.com/mahabharat/son-of-lord-shri-krishna-118061800045_1.html
●BhagwdpuranBhagwat Puran
●Wikipedia

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