Ranjeet Bhartiya 17/08/2022
Jankaritoday.com अब Google News पर। अपनेे जाति के ताजा अपडेट के लिए Subscribe करेेेेेेेेेेेें।
 

Last Updated on 17/08/2022 by Sarvan Kumar

हिंदू धर्म में कुलदेवी की पूजा का विशेष महत्व है.
माना जाता है कि कुलदेवी या कुलदेवता सुरक्षा आवरण की तरह होते हैं जो कुल या वंश की रक्षा करते हैं. कुलदेवी या देवता की नाराजगी से घर बर्बाद होने लगता है. वहीं, अगर इनकी पूजा की जाती है और इन्हें प्रसन्न रखा जाता है तो घर के संकट दूर होते हैं. आइए जानते हैं अग्रवाल समाज की कुलदेवी के बारे में.

अग्रवाल समाज की कुलदेवी

अग्रवाल समुदाय के सामाजिक संगठनों की स्मारिकाओं, सामाजिक पत्र-पत्रिकाओं, ज्योतिषियों और हिंदू धर्म के जानकारों के अनुसार अग्रवाल समाज के कुलदेवी माता महालक्ष्मी हैं. महालक्ष्‍मी माता लक्ष्‍मी का ही एक रूप हैं. देवी महालक्ष्मी की महिमा अपरंपार है. इन्हें धन, स्वास्थ्य, समृद्धि, सुख, शक्ति, भोजन, वैभव, धैर्य, मोक्ष, प्रेम, सौंदर्य, स्त्रीत्व और ​​संतान की देवी माना जाता है. माता के शक्तिपीठों के प्रति पूरे अग्रवाल समाज की आस्था है. जातकर्म, चूड़ाकर्म (मुंडन संस्कार) आदि संस्कार शक्तिपीठों पर संपन्न किए जाते हैं. यहां यह उल्लेख करना जरूरी है कि समाज के कुछ गोत्रों में वंशानुगत माता शक्तिदादी (Shakti Dadi) की मान्यता है. महाराजा अग्रसेन अग्रवाल जाति के पितामह (पितृपुरुष) माने जाते हैं. मान्यताओं के अनुसार, इनका जन्म भगवान विष्णु के अवतार अयोध्या के सूर्यवंशी क्षत्रिय राजा श्री राम के पुत्र कुश के 34वीं पीढ़ी में हुआ था. महाराज अग्रसेन की शिक्षा उज्जैन के समीप अगर नामक स्थान पर ऋषि ताण्डय ऋषि के आश्रम में हुई थी. अग्रसेन भगवान श्रीकृष्ण के समकालीन थे. महाभारत युद्ध के दौरान भगवान श्रीकृष्ण के बुलावे पर अग्रसेन ने अपने पिता महाराज वल्लभ सैन के साथ युद्ध में भाग लिया था. इस युद्ध में अग्रसेन जी के पिता महाराज वल्लभ सैन भीष्म पितामह के हाथो वीर गति को प्राप्त हुए. मात्र 16 वर्ष की आयु में अग्रसेन जी ने महाभारत के 11वें से 18 वें दिन तक युद्ध में भाग लिया था और अपने अतुलनीय शौर्य का प्रदर्शन किया था. भगवान कृष्ण ने अग्रसेन को उपदेश दिया कि तुम्हारे जीवन का उद्देश्य हिंसा नहीं, अहिंसा है. महाराज अग्रसेन ने माता महालक्ष्मी की कठोर तपस्या की थी. तपस्या से प्रसन्न होकर माता महालक्ष्मी ने
महाराज अग्रसेन को अग्रवंश के कुलदेवी बनने का वरदान दिया था कि जब तक संसार में अग्रवंश रहेगा , तब तक महालक्ष्मी अग्रवंश की कुलदेवी होंगी. बता दें कि अग्रवाल समाज के लोगों में अपनी कुलदेवी महालक्ष्मी के प्रति गहरी आस्था है. समाज के लोग महालक्ष्मी की पूजा श्रद्धाभाव और हर्षोल्लास के साथ करते हैं. प्राचीन काल के अग्रेयवंशीय क्षत्रिय ही वर्तममान में अग्रवाल के नाम से जाने जाते हैं. इनकी एक शाखा राजवंशी भी कहलाती है. एक समय के बाद अग्रेयवंशीय क्षत्रियों ने तलवार छोड़ तराजू को थाम लिया. वर्तमान में इस समाज के लोग विभिन्न प्रकार के व्यवसाय से जुड़े हुए हैं. पिछले 2000 सालों से व्यापार और व्यवसाय के माध्यम से इस समुदाय के लोगों का देश के विकास में उल्लेखनीय योगदान रहा है.


References;
•https://www.bhaskar.com/MP-MUR-MAT-latest-morena-news-034504-1278049-NOR.html/

•https://www.bhaskar.com/context-of-the-mahabharata-war-and-the-generation-of-lord-ram-in-agra-bhagwat-katha-053017-2887423.html/

•https://www.naidunia.com/madhya-pradesh/indore-aggarwal-samaj-indore-news-agrasen-statue-will-be-illuminated-with-lamps-maharati-of-kuldevi-mahalakshmi-6562564

•https://www.jagran.com/haryana/sirsa-aggarwal-samaj-welcomed-kul-devi-mahalakshmi-jan-ashirwad-yatra-22498245.html

•https://www.bhaskar.com/MP-IND-HMU-MAT-latest-indore-news-045003-1245745-NOR.html/

Disclosure: Some of the links below are affiliate links, meaning that at no additional cost to you, I will receive a commission if you click through and make a purchase. For more information, read our full affiliate disclosure here.

Leave a Reply