Last Updated on 10/08/2022 by Sarvan Kumar
राजनीति के क्षेत्र में नीतीश कुमार ने ऐतिहासिक सफलता अर्जित की है. नीतीश कुमार को बिहार की राजनीति का चाणक्य या शिल्पकार कहा जाता है. वह केंद्र सरकार में कृषि मंत्री और रेल मंत्री के रूप में काम कर चुके हैं. बिहार की राजनीति में नीतीश कुमार पिछले कई सालों से शिखर पर हैं. वह कई बार बिहार के मुख्यमंत्री रहे हैं. कुर्मी समाज से आने वाले नीतीश कुमार पिछले चार दशकों से बिहार की राजनीति की धुरी बने हुए हैं. राज्य की राजनीति के साथ-साथ राष्ट्रीय राजनीति में भी इनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है. बिहार की राजनीति मुख्य रूप से तीन राजनीतिक दलों के इर्द-गिर्द घूमती है- भारतीय जनता पार्टी, लालू प्रसाद यादव की राष्ट्रीय जनता दल और नीतीश कुमार की जनता दल यूनाइटेड. कई बार जनता दल यूनाइटेड को बिहार विधानसभा चुनाव में कम सीटों से संतोष करना पड़ा है और इसके तुलना में बीजेपी और आरजेडी ज्यादा सीटें जीतने में कामयाब रही है. लेकिन कम सीटें जीतने के बावजूद भी बिहार की राजनीति में नीतीश कुमार का कद कभी कम नहीं हुआ. चाहे बिहार में आरजेडी के साथ महागठबंधन की सरकार हो या बीजेपी के साथ एनडीए की सरकार, पिछले 20-22 सालों से नीतीश कुमार मुख्यमंत्री पद के लिए पहली पसंद रहे हैं. आइए जानते हैं नीतीश कुमार स्टोरी, उन 10 बातों के बारे में जो नीतीश कुमार को बिहार की राजनीति का सबसे बड़ा खिलाड़ी बनातीं हैं-
नीतीश कुमार स्टोरी
10 बातें जो नीतीश कुमार को बनातीं हैं बिहार की राजनीति का सबसे बड़ा खिलाड़ी
(1) सुशासन और विकास
नीतीश कुमार शायद बिहार के पहले ऐसे मुख्यमंत्री हैं जिन्होंने सुशासन और न्याय के साथ विकास के संकल्प पर चलकर साबित किया है कि बिहार जैसा बीमारू और पिछड़ा राज्य भी तरक्की कर सकता है. नीतीश कुमार के काम करने का तरीका, सुशासन और कार्यशैली की सराहना देश विदेश में होती है. उन्होंने बहुत से ऐसे कार्य किए हैं जिसके कारण उनकी स्वीकार्यता सभी वर्गों एवं सभी तबकों में देखने को मिलती है. जनता में उनकी छवि विकास के एक नायक के रूप में है.
(2) कभी नहीं की जाति की राजनीति
बिहार की राजनीति में जातिवाद का बोलबाला है. नितीश कुमार ने बिहार में विकास को पहली बार राजनीति का एजेंडा बनाया. लव-कुश समीकरण (कुर्मी-कुशवाहा) के सहारे सत्ता की सीढ़ी पर चढ़ने वाले नीतीश कुमार पर कभी भी जातिवाद का आरोप नहीं लगा. सार्वजनिक रूप से उन्होंने हमेशा विकास की राजनीति पर ही जोड़ दिया.
(3) सही समय पर सही काम करने में माहिर
राजनीति में वही हिट है जो सही समय और सही स्थान पर सही कार्य करने की कला रखता हो. नीतीश कुमार इस कला में माहिर हैं.
4.पाला बदलने से संकोच नहीं
कहते हैं कि राजनीति में ना कोई स्थाई दुश्मन होता है, ना दोस्त. नीतीश कुमार इस बात को बखूबी जानते हैं. इसीलिए इन पर आरोप लगाया जाता है कि यह अवसरवादी हैं और पलटी मारने में माहिर हैं. लेकिन राजनीति में अवसर का फायदा कौन नहीं उठाना चाहता? अपना फायदा नुकसान देखकर पाला को नहीं बदलता? अभी तक का इतिहास रहा है कि जब-जब नीतीश कुमार ने पाला बदला है, यह उनके फायदे में रहा है.
(5) आवश्यकता अनुसार दोस्त ढूंढने में माहिर
जरूरत के हिसाब से दोस्त ढूंढ लेने की अद्भुत क्षमता के कारण नीतीश कुमार पिछले कई दशकों से खुद को राजनीतिक रूप से प्रासंगिक बनाए हुए हैं.
(6) विकट परिस्थितियों में संभावनाओं को तलाश लेने की क्षमता
नीतीश कुमार ने अपने राजनीतिक जीवन में कई उतार-चढ़ाव देखे हैं और मुश्किल वक्त का सामना किया है. जर्मन राजनेता ओटो वॉन बिस्मार्क (Otto Von Bismarck) का एक प्रसिद्ध कथन है- “Politics is the art of the possible.” कठिन परिस्थितियों में भी संभावनाओं को तलाश कर लेना नीतीश कुमार को बखूबी आता है.
(7) काफी सोच समझ कर फैसला लेने वाला दिलेर नेता
नीतीश कुमार कोई भी कदम उठाने से पहले अपने विकल्पों को तौलने के लिए जाने जाते हैं. और आवश्यकता पड़ने पर जोखिम लेने से भी नहीं हिचकते.
(8) लोक कल्याणकारी योजनाओं के लिए जाने जाते हैं नीतीश कुमार
स्कूल जाने वाली लड़कियों के लिए मुफ्त साइकिल और स्कूल यूनिफॉर्म जैसे अनेक योजनाओं को लाने के कारण नीतीश कुमार का जनाधार काफी मजबूत हुआ. इससे उन्हें अपनी सियासी जमीन मजबूत करने में सहायता मिली.
(9) धर्मनिरपेक्ष विचारधारा, ईमानदार छवि
नीतीश कुमार हमेशा धर्मनिरपेक्षता के पक्षधर रहे हैं. बीजेपी के साथ गठबंधन करने के बाद भले ही इनके धर्मनिरपेक्ष छवि थोड़ी धूमिल हुई, लेकिन फिर भी एक सेकुलर नेता के रूप में उनकी स्वीकार्यता बनी रही. इसी तरह से, लालू प्रसाद चारा घोटाले के मामले में भ्रष्टाचार के दोषी पाए गए. लेकिन राष्ट्रीय जनता दल से गठबंधन करने के बावजूद भी नीतीश कुमार की छवि एक ईमानदार नेता के रूप में बनी रही. धर्मनिरपेक्ष और ईमानदार छवि के कारण हीं नीतीश कुमार दूसरे नेताओं की तुलना में भारी पड़ते हैं और बिहार की राजनीति में इनका विकल्प ढूंढना मुश्किल हो जाता है.
(10) तोलमोल कर बोलते हैं नीतीश कुमार
नीतीश कुमार कभी भी गैर जिम्मेदार बयान नहीं देते. विवादास्पद मुद्दों पर कभी टिप्पणी नहीं करते हैं. उन्हें किस बात की समझ है कि कब क्या बोलना है. किसी मुद्दे पर कितना बोलना है और कितना छोड़ देना है. कुमार केवल आवश्यकता पड़ने पर ही टिप्पणी करते हैं और स्पष्ट रूप से अपनी बात रखते हैं. इस गुण के कारण नीतीश कुमार को घेरना मुश्किल हो जाता है, और ज्यादातर मौकों पर विरोधी इनके किसी बयान का राजनीतिक लाभ उठा नहीं पाते.
Disclosure: Some of the links below are affiliate links, meaning that at no additional cost to you, I will receive a commission if you click through and make a purchase. For more information, read our full affiliate disclosure here. |
See List of: |