
Last Updated on 01/11/2020 by Sarvan Kumar
फ्रांस के लियोन शहर में शनिवार को एक ग्रीक पादरी को चर्च के बाहर गोली मार दी गई. यह घटना उस वक्त हुई जब पादरी चर्च को बंद कर रहे थे. बताया जा रहा कि घायल पादरी की हालत गंभीर है. उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जहां उनका इलाज चल रहा रहा है. 52 साल के पादरी को गोली मारने के बाद हमलावर घटनास्थल से फरार हो गया था, हालांकि उसे बाद में गिरफ्तार कर लिया गया.
अब तक मिली जानकारी के मुताबिक, पादरी को प्वाइंट ब्लैंक रेंज से पेट में दो बार गोली मारी गई है. अब तक यह स्पष्ट नहीं है कि यह हमला क्यों किया गया. जांच अधिकारी का कहना है कि हमलावर अकेला था और उसने हंटिंग राइफल से पादरी को गोली मारी है. पुलिस का कहना है कि हमलावर काला कोट पहने हुआ था तथा अपने कोर्ट के अंदर शार्ट गन को छुपा कर रखा हुआ था. प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि उन्होंने देखा कि एक व्यक्ति अचानक भागने लगा. फिर उन्होंने एक पादरी को घायल अवस्था में चर्च के दरवाजे पर खून से लथपथ देखा. पुलिस ने आसपास के इलाके को सील कर दिया है तथा लोगों को ट्विटर से दूर रहने की सलाह दी है. लोगों से कहा गया है कि वह अपने घरों में ही रहें. बता दें कि इससे पहले नीस शहर में 2 दिन पहले ही एक कैथोलिक चर्च पर इस्लामिक चरमपंथी द्वारा हमला किया गया था. इस हमले में एक महिला का गला काट दिया गया था तथा तीन लोगों की जान गई थी.
आतंकवाद की लड़ाई में फ्रांस को मिला मोदी का साथ
बता दें कि पेरिस में पैगंबर मोहम्मद का कार्टून दिखाने पर एक शिक्षक की हत्या कर दी गई थी. इस घटना के बाद फ्रांस के राष्ट्रपति ने इस्लामिक कट्टरपंथी द्वारा अभिव्यक्ति की आजादी पर हमला करार दिया था. इसके बाद पूरे दुनिया में मुस्लिमों ने फ्रांस के खिलाफ मोर्चा खोल लिया. इस्लामिक मुल्कों में फ्रांस के खिलाफ मुस्लिम समुदाय सड़क पर उतर आया है. वहीं, भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुलकर फ्रांस का साथ देते हुए कहा है कि आतंकवाद की इस लड़ाई में भारत फ्रांस के साथ है. पैगंबर मोहम्मद के कार्टून विवाद पर बयान देते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा है कि आज दुनिया के सभी देशो, सभी सरकारों, सभी पंथो को आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होने की जरूरत है. आतंकवाद और हिंसा से किसी का भला नहीं हो सकता.
हिंसा और कट्टरपंथ के आगे नहीं झुकेगा फ्रांस
फ्रांस के राष्ट्रपति एमैनुएल मैक्रों ने स्पष्ट कहा है कि फ्रांस हिंसा और कट्टरपंथ के आगे नहीं झुकेगा. देश में अभिव्यक्ति की आजादी की रक्षा हर कीमत पर की जाएगी, जिसमें कार्टूनों का छापना भी शामिल है. हालांकि, उन्होंने यह साफ किया है कि इसका अर्थ यह नहीं है कि वह पैगंबर के कार्टून बनाने का समर्थन करते हैं, ना ही प्रांस मुस्लिम विरोधी देश है.फ्रांस में चरमपंथी हमलों की संभावना को देखते हुए सैनिकों की संख्या दोगुनी कर दी गई है. विशेष रूप से स्कूलों और धार्मिक स्थलों के आसपास सैनिकों को तैनात किया गया है.

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