
Last Updated on 25/07/2022 by Sarvan Kumar
पाटीदार भारत में पाई जाने वाली एक जाति है. यह परंपरागत रूप से एक जमींदार और कृषक जाति है. गुजरात में हर क्षेत्र में इनका प्रभुत्व है और यह गुजरात राज्य के प्रभावशाली जातियों में से एक हैं. इनकी जीविका मूल रूप से खेती, पशुपालन और डेरी सहकारी क्षेत्र पर आधारित है. वर्तमान में यह आधुनिक नौकरी, पेशा और व्यवसाय में लिप्त होने लगे हैं. अब यह वैश्य के रूप में पहचाने जाने पसंद करते हैं. 19वीं शताब्दी में कई पाटीदार बेहतर अवसरों की तलाश में संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, कनाडा और पूर्वी अफ्रीका में जाकर बस गए. यह मुख्य रूप से गुजरात में निवास करते हैं. मध्यप्रदेश और राजस्थान में भी इनकी आबादी है. भारत के कम से कम 22 राज्यों में इनकी उपस्थिति है. यह हिंदू धर्म का अनुसरण करते हैं. पाटीदार समाज कम से कम तीन उप जातियों में विभाजित है- कड़वा पाटीदार पटेल, लेउवा पाटीदार पटेल और अंजना पाटीदार. यह पटेल उपनाम लगाते हैं. आइए जानते हैं पाटीदार समाज का इतिहास, पाटीदार शब्द की उत्पत्ति कैसे हुई?
पाटीदार शब्द की उत्पत्ति कैसे हुई?
पाटीदार शब्द की उत्पत्ति “पाटी+दार” से हुई है. “पाटी” का अर्थ होता है- “भूमि या जमीन” और “दार” का अर्थ होता है-“धारक”.
पाटीदार समाज का इतिहास
पाटीदार जाति की उत्पत्ति के बारे में दो प्रमुख मान्यताएं हैं. पहली माान्यता : पहली मान्यता के अनुसार, पाटीदार भगवान राम के वंशज होने का दावा करते हैं. इस मान्यता के अनुसार, कड़वा और लेउवा पाटीदार की उत्पत्ति क्रमशः भगवान राम के दो पुत्रों कुश और लव से हुई है. कहा जाता है कि माता सीता ने लव और कुश को किसान बनने का श्राप दिया था, जिसके बाद पाटीदार कथित तौर पर अयोध्या से गुजरात चले गए.
दूसरी माान्यता: दूसरे सिद्धांत के अनुसार, पाटीदार की उत्पत्ति कुणबी हुई है. कुणबी पश्चिमी भारत में पारंपरिक रूप से गैर-कुलीन किसान जातियों के लिए प्रयोग किया जाने वाला एक सामान्य शब्द है. 17 वीं- 18 वीं शताब्दी में जब मराठा साम्राज्य का विस्तार उत्तर की ओर होने लगा तो कुणबी को सैन्य सेवा में शामिल कर लिया गया. जीते गए क्षेत्रों में उन्हें कृषि के लिए जमीन दे दी गई. नए क्षेत्रों में उन्होंने वहां बसे कोइरी जाति पर वर्चस्व स्थापित कर लिया और इस तरह से कुणबी प्रमुख कृषक जाति बन गई. मराठी और गुजराती दोनों भाषाओं का ज्ञान होने के कारण कुणबी को राजस्व संग्रह का काम दिया जाता था. मराठा शासन के अंतिम दिनों में उन्हें देसाई और पटेल की पदवी दी गई. राजस्व संग्रह का काम करने के कारण कई कुणबी प्रभावशाली हो गए और वृहत भूमि के स्वामी बन गए, जिन्हें सामूहिक रूप से “पाटीदार” कहा जाने लगा.
ब्रिटिश शासन के दौरान पाटीदारों को भूमि सुधार से भी फायदा हुआ और यह बड़ी संपादा के मालिक बन गए. इससे इनके सामाजिक स्थिति और प्रतिष्ठा में इजाफा हुआ. कुछ पाटीदार क्षत्रिय का दर्जा प्राप्त करने के लिए ऊंची जातियों के तौर-तरीके और रिती-रिवाज अपनाने लगे. जैसे शाकाहार का पालन करना और विधवा पुनर्विवाह पर पाबंदी.
पाटीदार समाज के प्रमुख व्यक्ति
सरदार वल्लभभाई पटेल: भारत के प्रथम उप प्रधानमंत्री.
चिमन भाई पटेल: गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री
बाबू भाई पटेल: गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री
केशुभाई पटेल: गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री.
आनंदीबेन पटेल: गुजरात की पहली महिला मुख्यमंत्री
करसनभाई पटेल: बिजनेसमैन, उद्योगपति, निरमा ग्रुप के संस्थापक.
पंकज रमनभाई पटेल: अरबपति बिजनेसमैन, कैडिया हेल्थ केयर के संस्थापक
शिवजी ढोलकिया: प्रसिद्ध हीरा व्यवसायी
हार्दिक पटेल: सामाजिक कार्यकर्ता और राजनेता.

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