Sarvan Kumar 20/08/2018
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Last Updated on 24/08/2020 by Sarvan Kumar

1.शाह बानो केस

शाह बानो इंदौर की रहने वाली एक मुस्लिम महिला थीं. 1932 में उनकी शादी इंदौर के एक अमीर वकील मुहम्मद अहमद खान से हुयी. शादी के 14 साल बाद अहमद खान ने एक दूसरी कम उम्र की महिला से शादी कर लिया. कुछ साल दोनों बीवीयों के साथ रहने के बाद 1978 में मुहम्मद अहमद खान ने इस्लामिक रिवाज से तलाक देकर 62 साल की शाह बानो और उनके पांच बच्चों को घर से निकाल दिया.

लाचार शाहबानो अपने और अपने बच्चों का भरण-पोषण करने में असमर्थ थीं. उन्होंने पति से गुज़ारा लेने के लिये अदालत का दरवाज़ा खटखटाया और एक लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी. मामला सुप्रीम कोर्ट में पंहुचा और फैसला शाहबानो के हक़ में आया. सुप्रीम कोर्ट ने अपराध दंड संहिता की धारा 125 का हवाला देते हुए कहा कि फैसला धारा 125 के अंतर्गत लिया गया है जो कि भारत के प्रत्येक नागरिक पर सामान रूप से लागु होता है चाहे वो किसी भी धर्म, जाति या संप्रदाय का हो. सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि शाह बानो को भरण-पोषण और जीविका चलाने के लिए सहायता दी जाये.

रूढ़िवादी मुसलमानों ने इस्लाम का हवाला देते हुए सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का विरोध करना शुरू कर दिया और आंदोलन की धमकी देने लगे.

1986 में जब कांग्रेस (आई) पार्टी कि पूर्ण बहुमत के साथ सरकार थी और राजीव गाँधी प्रधानमंत्री थे , उन्होंने इस्लामिक कट्टरपंथ के सामने घुटने टेक दिए और वोट बैंक के खातिर सुप्रीम कोर्ट का फैसला पलट दिया.

राजीव गाँधी ने इसे धर्म-निरपेक्षता” के उदाहरण के रूप में पेश करने का प्रयास भी किया. लेकिन शाह बानो केस महिला उत्पीड़न, महिलाओं के अधिकारों का दमन , छद्म-निरपेक्षता, मुस्लिम तुष्टिकरण का अमर उदाहरण बन के रह गया.

२. राजीव गाँधी के फैसले के कारण श्रीलंका में मारे गए 3000 से ज़्यादा भारतीय सैनिक

1987 में भारतीय शांति रक्षा सेना (IPKF) का गठन किया गया और इस दल को श्रीलंका भेजा गया. लक्ष्य था श्रीलंकाई तमिल राष्ट्रवादियों जैसे लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (LTTE) और श्रीलंकाई सेना के बीच श्रीलंकाई गृहयुद्ध को समाप्त करना और शांति स्थापित करना.
लेकिन जानकारों का मानना है कि राजीव गाँधी ने यह फैसला जल्दीबाज़ी में लिया था और उन्हें श्रीलंका कि समस्या कि समझ नहीं थी. भारतीय शांति रक्षा सेना (IPKF) 1987 से 1990 तक श्रीलंका में रहा जिसमे इस दल के 3000 सैनिक बेवजह मारे गए.

3 . बोफोर्स घोटाला

बात 1987 की है जब केन्द्र में कांग्रेस की सरकार थी और राजीव गांधी जिसके प्रधानमंत्री थे. देश में उस समय हड़कंप मच गया था जब ये खुलासा हुआ था कि स्वीडन की हथियार कंपनी बोफोर्स ने भारतीय सेना को तोपें सप्लाई करने का सौदा हथियाने के लिये 80 लाख डालर की दलाली चुकायी थी. बोफोर्स घोटाले में राजीव गांधी परिवार के नजदीकी रहे इटली के व्यापारी ओत्तावियो क्वात्रोक्की ने बिचौलिये की भूमिका निभाई थी. बोफोर्स सौदा 1.3 अरब डालर का था और कंपनी ने इस सौदे के लिए 1.42 करोड़ डालर की रिश्वत बांटी थी जिसका एक बड़ा हिस्सा क्वात्रोची को मिला था. राजीव गाँधी भी इस घोटाले में आरोपी बनाये गए थे.

4 . भोपाल गैस काण्ड

3 दिसम्बर सन् 1984 को मध्यप्रदेश के भोपाल में एक भयानक दुर्घटना हुयी. यूनियन कार्बाइड इंडिया लिमिटेड प्लांट से एक जहरीली गैस मिथाइल ईसोसेनेट लीक होने के कारण 16000 से अधिक लोग मारे गए. इस दुर्घटना से लोग 558,125 सीधे तौर पर प्रभावित हुए और कई हज़ार लोग अपंगता के शिकार हो गये.

कंपनी के चेयरमैन वारेन एंडरसन को गिरफ्तार कर लिया गया और उन्हें घर में नज़रबंद कर दिया गया. लेकिन एंडरसन को जमानत मिल गयी और वो देश छोड़कर चले गए , फिर वापस नहीं आये.
कई रिपोर्ट यह दावा करते हैं की एंडरसन को भगाने में राजीव गांधी की भूमिका थी और अमेरिकी दबाव में आकर राजीव गाँधी ने एंडरसन को देश से जाने दिया जिसके कारण भोपाल गैस त्रासदी के शिकार लोगों को कभी न्याय नहीं मिल पाया.

5 .1984 का सिख नरसंहार

1984 में इंदिरा गाँधी के हत्या के बाद सिख विरोधी दंगे हुए जिसमे हज़ारों सिखों पर अत्याचार किये गए. इस दंगे में 8000 सिख मारे गए. जाँच में CBI ने माना था कि सिख विरोधी दंगे दिल्ली पुलिस के अधिकारिओं और राजीव गांधी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के सहमति से आयोजित किये गए थे.राजीव गाँधी से दंगों के बारे में पूछे जाने पर, उन्होंने कहा था, “जब एक बड़ा पेड़ गिरता है, तब पृथ्वी भी हिलती है”

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