Last Updated on 25/05/2022 by Sarvan Kumar
कुशवाहा मुख्य रूप से हिन्दू बृहद समुदाय का हिस्सा हैं जिसका अतीत स्वर्णिम और इतिहास काफी गौरवशाली रहा है. अपने गौरवशाली इतिहास को भूल जाने कारण कुशवाहा समाज को कई तरह की कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है. लेकिन कुशवाहा समाज अब अपनी पहचान वापस पाने के लिए, विकास की मुख्यधारा में आने के लिए और एक राजनितिक शक्ति बनने के लिए संघर्षरत है और सफल भी हो रहे हैं. कुशवाहा अधिकारी आज देश के अलग – अलग भागों में कार्यरत है और ईमानदारी में एक मिसाल बना रहे हैं.कुशवाहा/कच्छवाह समाज की कुलदेवी जमवाय माता (Jamway Mata) हैं. भारत में कुशवाहा समाज की जनसंख्या 9 -10 करोड़ के बीच हो सकती है. आइये जानते हैं कुशवाहा समाज का इतिहास के बारे में 23 बातें.
कौन हैं कुशवाहा?

1. भारत का हिन्दू समुदाय (धर्म) कई जातियों से बना हुआ है. कुशवाहा मुख्य रूप से भारतीय हिन्दू समाज की एक वंश/जाति है. कुशवाहा समुदाय कुशवाह नाम से भी जाना जाता है.
2. कुशवाहा पारंपरिक रूप से कुशल किसान थे इसलिए उन्हें कृषक जाति माना जाता है. इनका मुख्य काम खेती है. कुशवाहा सब्जियाँ उगाने और बेचने, मधुमक्खी पालने और पशुपालन का कार्य करते हैं.
3. कुशवाहा शब्द कम से कम चार उपजातियों (कुशवाह, कछवाहा, कोइरी व मुराओ) के लिए प्रयोग किया जाता हैं. लेकिन काफी लोग ऐसे भी हैं जो सैनी, शाक्य, मौर्या को भी कुशवाहा के अंतर्गत ही मानते हैं.
कुशवाहा कहाँ पाए जाते हैं?
4. अलग-अलग राज्यों में कुशवाहा के सरनेम अलग-अलग हैं मुख्यतः कुशवाहा उत्तर भारत में पाए जाते हैं. इनका निवास क्षेत्र बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखण्ड, और मध्यप्रदेश है.
वर्तमान स्थिति
5. सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़ा होने के कारण कुशवाहा समाज को भारत की सकारात्मक भेदभाव की व्यवस्था (आरक्षण/Positive Discrimination) के अंतर्गत अलग-अलग राज्यों में अन्य पिछड़ा वर्ग या पिछड़ा वर्ग के रूप में वर्गीकृत किया गया है.
6. बिहार में कुशवाहा समाज को “अन्य पिछड़ा वर्ग” के रूप में वर्गीकृत किया गया है.
7. साल 2013 में हरियाणा सरकार ने कुशवाहा, कोइरी व मौर्य जातियों को पिछड़ी जाति में सम्मिलित किया.
कुशवाहा समाज का इतिहास
8. कुशवाहा या कछवाहा खुद को अयोध्या के सूर्यवंशी राजा भगवान राम के पुत्र कुश का वंशज होने का दावा करते हैं.
9. कुशवाहा यह भी मानते हैं की महात्मा बुद्ध, चंद्रगुप्त मौर्य, और सम्राट अशोक कुशवाहा वंश के ही थे.
10. पारंपरिक रूप से किसान रहे कुशवाहा ने 20वीं शताब्दी में खुद को राजपूत वंश या क्षत्रिय वंश बताना शुरू किया.
11. कई स्वतंत्र राज्यों व रियासतों जैसे अलवर, आमेर (वर्तमान जयपुर) और मैहर पर कुशवाहा जाति का शासन रहा .
12 . काछी और कोइरी अफीम की खेती में सहयोग के कारण लंबे समय से ब्रिटिश शासन के करीबी रहे.
भगवान राम के वंशज कुशवाहा

13. वर्तमान समय में कुशवाहा खुद को विष्णु के सातवें अवतार भगवान राम के पुत्र कुश के वंशज और सूर्यवंशी होने का दावा करते हैं. लेकिन पूर्वकाल में कुशवाहा जातियाँ (मौर्य, कुशवाह और कोइरी) शिव और शक्ति के उपासक थे.
14.पारंपरिक रूप से कुशल किसान और खेती करने के कारण कुशवाहा शूद्र वर्ण के माने जाते थे. लेकिन ब्रिटिश शासन के दौरान कुशवाहा समुदाय की जातियों ने ब्रिटिश प्रशासको के समक्ष अपने परंपरागत शूद्र बताये जाने के विरुद्ध चुनौती दी और क्षत्रिय वर्ण में शामिल करने की मांग की.
15 .1910 से काछी और कोइरी जातियों ने एक संगठन बनाकर इन दोनों जातियों को कुशवाहा क्षत्रिय बताने लगे.
16 .1928 में मुराओ जाति ने भी क्षत्रिय वर्ण में सम्मिलित करने के लिए लिखित याचिका दायर की थी.
क्षत्रिय हैं कुशवाहा ?
17. 1921 मे कुशवाहा क्रांति के समर्थक गंगा प्रसाद गुप्ता ने कोइरी, काछी, मुराओ और कछवाहा जातियों के क्षत्रिय होने के साक्ष्यों पर एक किताब प्रकाशित की. गंगा प्रसाद गुप्ता ने अपने किताब में तर्क दिया कि कुशवाहा कुश के वंशज है और बारहवीं शताब्दी में दिल्ली सल्तनत की स्थापना में इन्होने राजा जयचन्द को सैन्य सेवाए दी थी.
18. मुस्लिमों के कारण कुशवाहा समुदाय तितर-बितर होकर अपनी पहचान भूल गए और जनेऊ आदि परंपराए त्याग कर निम्न स्तर के अलग-अलग नामों के स्थानीय समुदायो में विभाजित हो गए.
19. कुछ कुशवाहा सुधारकों ने यह तर्क दिया कि राजपूत, भूमिहार और ब्राह्मण भी खेतों में काम करते है इसलिए किसान होने और खेती करने के कारण कुशवाहा समुदाय को शूद्र वर्ण से नहीं जोड़ा जा सकता है.
20. कोईरी ,मुराव और कछवाहा राजपूत (जो राजपूत जाति में आते है) खुद को राम के पुत्र कुश का वंशज मानते हैं, जिसके अंतर्गत ब्रिटिश काल में चार उपजातियां कुशवाह, कोइरी, मुराव ,कछवाहा को शामिल किया गया था.
21. उसी समय ये चार उपजातियां कुशवाह, कछवाहा, कोइरी और मुराओ ने एक साझा उपनाम कुशवाहा प्रयोग करने पर बल दिया. लेकिन बाद में इस बात पर विवाद होने लगा. कछवाहा से इनकी दूरी बढ़ गयी क्योंकि कछवाहा राजपूत के हिस्सा थे जबकि कुशवाहा एक जाति के रूप में थी.
22. मीमांसा जैसे ग्रंथो और आर्य समाजी विद्वानों के पाठ के आधार पर जेम्स कर्नल टाड , गंगा प्रसाद गुप्ता जैसे कई इतिहासकारों तथा आर्य समाजी विद्वानों का मानना है की कोइली गणराज्य का सम्बन्ध चन्द्रगुप्त मौर्य से था. कोइली गणराज्य कोइरियों का था जो कुशवंशी क्षत्रिय थे. चन्द्रगुप्त मौर्य की माता मुराव अर्थात मोरिय थी जो कुशवाहा समाज की एक उपजाति है.
23 . भागवान बुद्ध की माँ का भी सम्बन्ध कोइली (कोइरी ) गणराज्य से था जिसके कारण कुशवाहा समाज खुद को को बुद्ध, चन्द्रगुप्त मौर्य और सम्राट अशोक से सम्बंधित होने का दावा करते हैं.
सम्राट अशोक के कुशवाहा होने के प्रमाण
सम्राट अशोक के कुशवाहा होने के प्रमाण के रूप में हाथीगुंफा शिलालेख का उल्लेख किया जाता है. सम्राट अशोक के कुशवाहा होने संबंधी प्राकृत अभिलेख के शब्द इस प्रकार हैं:
“ कुसवाणम क्षत्रियानां च सहायतातितां प्राप्त प्राप्त मसिक नगरम्|,
कुसावना क्षत्रियना का सह सहायतावतन फाट मस्की नगरा”
—हाथीगुंफा शिलालेख