Ranjeet Bhartiya 06/10/2022
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Last Updated on 26/10/2022 by Sarvan Kumar

रामायण केवल एक कहानी नहीं है जो बहुत समय पहले घटी थी; यह भारतीय संस्कृति की अमूल्य निधि है. आपको जानकर हैरानी होगी कि पूरी दुनिया में 300 से भी ज्यादा प्रकार के रामायण उपलब्ध हैं. इनमें से कुछ अधिक लोकप्रिय हैं, जिनके बारे में सभी जानते हैं, लेकिन अधिकांश के बारे में आम जनमानस को पता नहीं है.‌ लेकिन क्या आप रविदास रामायण के बारे में जानते हैं? तो आइए जानते हैं रविदास रामायण के बारे में.

रविदास रामायण

मुख्य विषय पर आने से पहले आइए संक्षिप्त में विभिन्न प्रकार के रामायण तथा इसके महत्व के बारे में समझ लेते हैं. “वाल्मीकि रामायण”  रामायण का सबसे प्राचीन और सबसे लोकप्रिय संस्करण है. इसके अलावा भी रामायण के कई संस्करण उपलब्ध हैं, जिनमें आर्ष रामायण, अद्भुत रामायण, मैथिल रामायण, भुशुण्डि रामायण, अध्यात्म रामायण, श्रीराघवेंद्रचरितम्, योगवाशिष्ठ रामायण, आनंद रामायण, अभिषेकनाटकम्, जानकीहरणम् आदि प्रमुख हैं. ये सभी ग्रंथ भगवान राम के चरित्र के प्रभावशाली चित्रण के माध्यम से जीवन जीने के तरीकों के बारे में बताते हैं. “रविदास रामायण” में संत रविदास जी की जीवनी और अमृतवाणी का वर्णन किया गया है. सुसंस्कृत भाषा के आडंबर को नजरअंदाज करते हुए इसमें हिन्दी की खड़ी बोली तथा अन्य पारम्परिक बोलियों का प्रयोग किया गया है ताकि पाठकों को मूल अर्थ समझने में कठिनाई न हो. इस पुस्तक में संत रविदास जी के जीवन में घटित प्रमुख घटनाक्रमों के माध्यम से समाज के घृणित जातिवादी सोच को उजागर किया गया है. साथ ही यह भी बताया गया है कि कैसे चर्मकार कुल में जन्मे इस महान संत ने अपनी धार्मिक निष्ठा, साधना और सच्ची भक्ति के बल पर समाज के उच्च वर्गों के मैली सोच, धार्मिक आडंबर और ब्राह्मणवादी वर्चस्व का केवल सामना ही नहीं किया बल्कि इन सभी को परास्त किया और समाज को नई दिशा दिखाई. और अंत में समाज के सभी वर्ग ने संत रविदास जी के महत्व को स्वीकारा और उन्हें पूज्य माना. इस पुस्तक के माध्यम से संत रविदास जी के कल्याणकारी चिंतन को जन जन तक पहुंचाने का प्रयास किया गया है ताकि व्यक्ति अपने जीवन के अंधेरे को दूर कर सके और समाज को मार्गदर्शन मिलता रहे. बाजार में रविदास रामायण “श्री रविदास रामायण” के नाम से पुस्तक उपलब्ध हैं. जिसके लेखक और टीकाकार शंभूनाथ मानव हैं. यह पुस्तक रूपेश ठाकुर प्रसाद प्रकाशन की है. इस पुस्तक का ना केवल दार्शनिक और अध्यात्मिक महत्व है बल्कि इसमें जीवन के शाश्वत सिद्धांतों को रेखांकित करने का प्रयास किया गया है. इस पुस्तक में संत रविदास जी की दृष्टि से  जीवन को सफल, सार्थक और सुखी बनाने के उपायों के बारे में बताया गया है.


References;

•A. K. Ramanujan, “Three hundred Rāmāyaṇas: Five Examples and Three Thoughts on Translation”, in Paula Richman (ed.), Many Rāmāyaṇas: The Diversity of a Narrative Tradition in South Asia, Berkeley, California: University of California Press, 1991, p. 48, note 3.

•श्री रविदास रामायण

लेखक और टीकाकार: शंभूनाथ मानव

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