Sarvan Kumar 29/01/2023

Last Updated on 29/01/2023 by Sarvan Kumar

ऋग्वेद के सूक्तों के पुरुष रचियताओं में गृत्समद, विश्वामित्र, वामदेव, अत्रि, भारद्वाज, वशिष्ठ आदि प्रमुख हैं। सूक्तों के स्त्री रचयिताओं में लोपामुद्रा, घोषा, शची, कांक्षावृत्ति, पौलोमी आदि प्रमुख हैं। वेदों में किसी प्रकार की मिलावट न हो इसके लिए ऋषियों ने शब्दों तथा अक्षरों को गिन कर लिख दिया था। कात्यायन प्रभृति ऋषियों की अनुक्रमणी के अनुसार ऋचाओं की संख्या 10580 , शब्दों की संख्या 153426 तथा शौनककृत अनुक्रमणी के अनुसार 432000 अक्षर हैं। शतपथ ब्राह्मण जैसे ग्रंथों में उल्लेख मिलता है कि प्रजापति कृत अक्षरों की संख्या 12000 बृहती थी (12000 × 36)  यानि 432000 अक्षर। आज जो शाकल संहिता के रूप में ऋग्वेद उपलब्ध है उनमें केवल 10552 ऋचाएँ हैं। [बृहती वेदों में प्रयुक्त एक छंद है। इसमें कुल -36 वर्ण होते हैं ] आइए जानते हैं ऋग्वेद के ऋषि का नाम क्या है?

ऋग्वेद के ऋषि का नाम क्या है

ऋषि का तात्पर्य उस मंत्र के निर्माता से है।अधिकांश सूक्तों में एक सूक्त का ऋषि एवं छंद एक ही है। कुछ सूक्तों में अलग-अलग मंत्रों के अलग ऋषि एवं छंद भी हैं. सभी वर्णों के पुरुषों के अतिरिक्त कुछ नारियां भी ऋषि हुई हैं. मंत्रों के साथ ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य एवं शूद्र सभी ऋषि के रूप में संबंधित हैं. ब्राह्मण एवं क्षत्रिय ऋषियों की संख्या ही सर्वाधिक है. वैश्य एवं शूद्र ऋषि एक – एक ही हैं। ऋग्वेद-संहिता के सूक्तों को वर्ण्य-विषय और शैली के आधार पर प्राय: इस प्रकार विभाजित किया जाता है-  देवस्तुतिपरकसूक्त, दार्शनिक सूक्त, लौकिक सूक्त,  संवाद सूक्त ,आख्यान सूक्त आदि।वेद का विभाजन दस मंडलों में किया गया है, प्रत्येक मंडल में बहुत से सूक्त एवं प्रत्येक सूक्त में अनेक ऋचाएं है.इसके 10 मंडल (अध्याय) में 1028 सूक्त है जिसमें 11 हजार मंत्र (10580) हैं। प्रथम और अंतिम मंडल समान रूप से बड़े हैं।

ऋग्वेद के ऋषि का नाम

मंडल सूक्तों की संख्या ऋषि
1 191 मधुच्छन्दा: , मेधातिथि, दीर्घतमा:, अगस्त्य, गोतम, पराशर आदि
2 43 गृत्समद एवं उनके वंशज
3 62 विश्वामित्र एवं उनके वंशज
4 58 वामदेव एवं उनके वंशज
5 87 अत्रि एवं उनके वंशज
6 75 भरद्वाज एवं उनके वंशज
7 104 वशिष्ठ एवं उनके वंशज
8 103 कण्व, भृगु, अंगिरा एवं उनके वंशज
9 114 ऋषिगण, विषय-पवमान सोम
10 191 ऋषिगण, विषय-पवमान सोम
1028

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