Sarvan Kumar 26/10/2020
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Last Updated on 29/10/2020 by Sarvan Kumar

भारत में खासकर हिन्दू वर्ग में होने वाली शादियां अपने आप में एक अनोखा रस्म होता है। कई चरणों में संपन्न होने वाला शादी दूल्हा -दुल्हन के अग्नि के सात फेरों के साथ समाप्त  होती है। सात फेरों का अपना एक अलग महत्व है। हर फेरा एक वचन से संबंधित होता है आइए जानते हैं क्या है सात फेरों के सातों वचन?

सात फेरों के सातों वचन

卐 पहला वचन 卐

“यदि आप कभी तीर्थ यात्रा के लिए जाओ तो मुझे साथ लेकर जाओगे। कोई व्रत, उपवास या धार्मिक कार्य करते समय मुझे भी साथ रखोगे। यदि यह वचन देते हो तो मैं आपके वाम अंग आना स्वीकार करती हूं।”

卐 दूसरा वचन 卐

“आप जिस तरह अपने माता-पिता का सम्मान करते हैं, उसी तरह मेरे माता-पिता का भी हमेशा सम्मान करेंगे। परिवार की मर्यादा का निर्वाह करते हुए ईश्वर की भक्ति और धर्म अनुष्ठान करते रहेंगे। यदि यह वचन देते हो तो मैं आपके वाम अंग स्वीकार करती हूं।”

卐 तीसरा वचन 卐

“मुझे वचन दो कि जीवन के तीनों अवस्था युवावस्था, प्रौढ़ावस्था,और वृद्धावस्था में मेरा पालन करोगे। यदि यह वचन देते हो तो मैं आपके वाम अंग स्वीकार करती हूं।”

卐 चौथा वचन 卐

“अपने नए कुटुंब की सभी जरूरतों की पूर्ति का भार वहन करने की प्रतिज्ञा करें तो मैं आपके वाम अंग आना स्वीकार करती हूं।”

卐 पांचवा वचन 卐

“घरेलू कामकाज, लेन देन, शादी, विवाह या अन्य घर खर्च से संबंधित काम करते समय मुझसे भी मंत्रणा करने का वचन दे तो मैं आपके वाम अंग आना स्वीकार करती हूं।”

卐 छठा वचन 卐

“यदि मैं अपने सखी सहेलियों के साथ हूं तो उनके सामने आप मेरा किसी भी प्रकार का अपमान नहीं करोगे। खुद को जुआ आदि दुर्व्यसन से दूर रखोगे। यदि यह वचन देते हो तो मैं आपके वाम अंग आना स्वीकार करती हूं।”

卐 सातवाँ वचन 卐

पराई स्त्री को माता के समान समझेंगे और पति पत्नी के आपसी स्नेह के बीच किसी अन्य को नहीं लाएंगे तो मैं आपके वाम अंग आना स्वीकार करती हूं।

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