Sarvan Kumar 26/12/2022
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Last Updated on 26/12/2022 by Sarvan Kumar

हर साल 25 दिसंबर को ईसा मसीह के जन्म को याद करने के लिए क्रिसमस दिवस के रूप में बहुत धूमधाम के साथ मनाया जाता है, जिन्हें ईसाई मानते हैं कि वे ईश्वर के पुत्र हैं. लेकिन वीरता और सर्वोच्च बलिदान की कहानियों की चर्चा कभी नहीं हुई जो सिख समुदाय ने दिखाई है. सिख धर्म में दिसंबर का अंतिम सप्ताह शहीदी दिवस  (Shaheedi week) के रूप में जाना जाता है. यही वह सप्ताह है जब गुरू गोबिंद सिंह साहब ने अपने मुट्ठीभर सैनिकों के साथ मुगलिया सल्तनत को घुटने टेकने के लिए मजबूर कर दिया था. इसी दिन गुरू गोबिंद साहब ने अपनी मां, पत्नी और बच्चों समेत सभी की कुर्बानी दी थी। शहीदी दिवस 22 दिसंबर से 29 दिसंबर तक मनाया जाता है. आइए जानते हैं शहीदी दिवस किसलिए मनाया जाता हैं, गुरु गोविंद सिंह के बच्चों को किसने मारा था?

Shaheedi week (शहीदी दिवस)

22 दिसंबर –  चमकौर की लड़ाई (1704) शुरू हुई और गुरु साहिब के बड़े बेटे अजीत सिंह (17 वर्ष )और छोटे बेटे जुझार सिंह (14 वर्ष ) और उनके 11 अन्य साथी मुगलों से धर्म और देश की रक्षा करते हुए युद्ध के मैदान में शहीद हो गए.

23 दिसंबर – गूंगा ब्राह्मण ने पहले गुरु साहिब की माता गुजरी और उनके दोनों छोटे बेटों से गहने लूटे और फिर इसकी जानकारी चौधरी गनी खान और मनी खान को दी और उन्हें गिरफ्तार कर लिया.

24 दिसम्बर – गुरु जी और माता गुजरी के दोनों छोटे पुत्रों को सरहिंद ले जाया गया और ठंडे बुर्ज में बंदी बनाकर रखा गया.

25 / 26 – दिसंबर गुरु जी के छोटे पुत्रों को नवाब वजीर खान के दरबार में पेश किया गया और उन्हें धर्म बदलने का लालच दिया गया.

27 दिसम्बर- गुरु जी के छोटे पुत्रों ज़ोरवर सिंह और फतेह सिंह को मुगलों द्वारा प्रताड़ित किया गया और उनके खिलाफ फतवा (धार्मिक फरमान) जारी किया गया. उन्हें दीवार में जिंदा गाड़ दिया गया और उन्हें बर्बर तरीके से मारने के लिए उनका गला रेत दिया गया. अपने शहीदों के बारे में सुनकर माता गुजरी ने अपने प्राण त्याग दिए.

इस तरह इस सप्ताह (Shaheedi week) के दौरान, गुरु गोबिंद सिंह के चार पुत्रों और माता ने अपने प्राणों की आहुति दी. यह सप्ताह हमें अंदर तक रुला देती है और इन शहीदों के सम्मान में सिर झुक जाता है.

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