
Last Updated on 13/01/2022 by Sarvan Kumar
तांती (ततवा) भारत में निवास करने वाली एक हिंदू जाति है. बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड, पश्चिम बंगाल, असम और उड़ीसा में इनकी अच्छी खासी आबादी है. भारत के अलावा बांग्लादेश में भी इनकी आबादी है.आधुनिक युग में जब कपड़ों का उत्पादन कारखानों में किया जाता है, इनके सामने रोजी-रोटी की समस्या उत्पन्न हो गई है. इसके कारण इन्हें अपना परंपरागत काम काम धंधा के अन्य अवसरों की तरफ रुख करना पड़ रहा है.यह मुख्य रूप से हिंदी, बंगाली, भोजपुरी और उड़िया भाषा बोलते हैं. यह हिंदू धर्म को मानते हैं. ऐतिहासिक रूप से यह एक प्रतिष्ठित समुदाय है, क्योंकि इस विशेष समुदाय के लोगों का वर्गीकरण धार्मिक विश्वास या समूह के आधार पर नहीं, बल्कि काम पर आधारित है. आइये जानते हैं, तांती जाति का इतिहास तांती शब्द की उत्पत्ति कैसेे हुई?
तांती शब्द की उत्पत्ति कैसे हुई?
तांती शब्द की उत्पत्ति हिंदी के शब्द तांत से हुई है, जिसका अर्थ होता है-करघा. करघा एक प्रकार का उपकरण है, जिससे कपड़ा बुना जाता है.
तांती जाति का इतिहास
भारतीय पौराणिक कथाओं के अनुसार, तांती की उत्पत्ति भगवान शिव के अश्रुओं से हुई थी.यह जाति पारंपरिक रूप से बुनकर जाति रही है. इनका मुख्य पेशा लुम चलाना ही था. इनका काम गमछी, चादर, कंबल बनाना या रेशम के कपडे बनाना था. यह दक्षिण-एशिया में निवास करने वाले कई समुदायों में से एक हैं, जो परंपरागत रूप से इस शिल्प से जुड़े हैं. बिहार में 1 जुलाई 2015 से जाति के आधार पर तांती का कोई अस्तित्व नहीं है. तांती बिहार में पान/स्ववासी समुदाय की एकमात्र उपाधि है. कहा जाता है कि तांती जाति की उत्पत्ति प्राचीन काल में बंगाल में बुनकरों और कपड़ा प्रदाताओं के रूप में हुई थी. यह बुनाई के महान कौशल, लिनेन साथ-साथ रोजमर्रा के सामान्य कपड़े बनाने की क्षमता के लिए जाने जाते थे.
तांती किस कैटेगरी में आते हैं?
आरक्षण व्यवस्था के अंतर्गत इन्हें विभिन्न राज्यों में अति पिछड़ा वर्ग या अनुसूचित जाति में (Schedule Caste) शामिल किया गया है.
तांती जाति के प्रमुख व्यक्ति
कमल कुमार तांती
इनका (जन्म 1982) असमिया कविता की समकालीन दुनिया में एक प्रसिद्ध युवा आवाज हैं. कमल एक द्विभाषी कवि, आलोचक, लेखक और अनुवादक हैं. यह असमिया और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में लिखते हैं.
