
Last Updated on 17/08/2020 by Sarvan Kumar
नई दिल्ली:
नई दिल्ली के बुराड़ी इलाके में 30 जून को जो कुछ हुआ वो हैरान कर देने वाला था. शुरू में ये लगा की ये हत्या थी. पर बाद में लगा की ये एक सामूहिक आत्महत्या थी जो किसी आर्थिक तंगी या किसी दूसरे परेशानी के कारण की गयी है. जैसे-जैसे जाँच आगे बढ़ी और जो कारण सामने आने लगे वो चौंकाने वाले थे.
क्या आत्मा थी बुराड़ी में 11 मौतों की वजह?
पुलिस को घर में कई सारे रजिस्टर मिले और रजिस्टर में लिखी बातों के आधार पर पुलिस ने जो कारण बताया वो लोगो के सोच से परे था. ये सामूहिक आत्महत्या किसी आत्मा के कहने पर की गयी थी .
बुराड़ी के इस घर को अब मुर्दा घर के नाम से जाना जाता है. इस घर के आसपास के लोग डरे हुए हैं. ललित ने जो रजिस्टर में लिखा था उसकी मानें तो उस घर में पांच आत्मायें कैद थी,जो मोक्ष पाना चाहती थीं. इसमें घर के मुखिया ललित के पिता के अलावे चार और आत्मायें थी .
पुलिस की इस थ्योरी में बिलकुल भरोसा नहीं हुआ और न ही थ्योरी भरोसे के लायक थी. अभी तक चल रहे जाँच से ये पता चला है कि 11 सदस्यों वाले इस घर के एक मेंबर ललित पर उस उसके मरे हुए पिता की आत्मा आया करती थी. आत्मा के दिए हुए इंस्ट्रक्शन पर ही सारे मेंबर्स फांसी के फंदे पर झूल गए .
क्या ललित को किया गया था ब्रैनवॉश?
लिहाजा पुलिस से लेकर मीडिया और आम पब्लिक भी इन मौतों के लिए ललित को जिम्मेदार मानने लगी . पर क्या ललित असली दोषी है? भला कोई भी आदमी अपने ही घर के लोगों को बिना कोई ठोस वजह के क्यों फंदे से लटकने के लिए मजबूर कर देगा?
अपने ही बीबी-बच्चों को कोई मरता हुआ क्यों देखना चाहेगा? अगर पुलिस की अब तक की जाँच सही है तो ललित के दिमाग को किसी ने ब्रैनवॉश किया था. ये कोई भी हो सकता है ; कोई नजदीकी ,कोई दुश्मन या कोई तांत्रिक. अगर पुलिस को कोई ऐसा मिल जाता जो इस तरह का इंस्ट्रक्शन दिया था तो असली दोषी उसी को माना जाता. पर किसी भी परस्थिति में अगर ऐसा कोई नहीं मिलता तो ये सारा दोष ललित के माता-पिता के आत्मा को दिया जायेगा . पर क्या आज के दौर में आत्मा जैसी चीजों पे भरोसा किया जा सकता है? जहाँ साइंस इतनी तरक्की कर गया है वहां इन अन्धविश्वासों को जगह मिल सकता है क्या?
साइंस और अंधविश्वास के बीच कन्फ्यूज हम !
हमें हमेशा कन्फ्यूज कर के रखा जाता है. हम घर से तो पूजा-पाठ कर के बहार निकलते है पर बाहर साइंटिस्ट बन जाते है. हमें किसी 1 तरफ ही रहना होगा या हम इन चीजों में यकीन करे या बिलकुल भी ना करे. कंफ्यूजन की स्थिति हमें सही मार्ग से गुमराह कर सकती है.
अगर इस घटना के पीछे किसी शख्स का हाथ नहीं है तो लोग समझ लेंगे ललित के पिता की आत्मा ने सबको मारने के लिए मजबूर किया और पुलिस इस केस के फाइल को ललित के मानसिक हालातो का हवाला देकर बंद कर देगी.
किसी भी स्थिति में ललित को जिम्मेदार मानना सही नहीं रहेगा. अगर ललित किसी मानसिक बीमारी का शिकार था ये लोगो को पता क्यों नहीं चल पाया. घर के किसी सदस्य को इसकी भनक क्यों नहीं लगी. पड़ोस के लोग , रिश्तेदार को ललित में सब कुछ सामान्य क्यों लगा.डायरी में लिखी बातों पर ध्यान दें तो ये किसी घोस्ट नावेल जैसा लगता है .
” कप में पानी तैयार रखना इसके लाल हो जाने तक इंतजार करना अंतिम समय में मैं तुम सबको बचा लूंगा ” .
क्या कोई आम आदमी ऐसा लिख सकता है. ललित का दावा था ये इंस्ट्रक्शंस उसके पिता के आत्मा से मिलती हैं . तो क्या सचमुच कोई आत्मा थी. भगवान और भूतों के अस्तित्व पर काफी बहस होती है हम उस बहस में नहीं जायेंगे . हम आज पढ़े-लिखे और मॉडर्न हैं और हमें इन अन्धविश्वासों को बल नहीं देना होगा.
हो सकता है ललित के मानसिक हालात कुछ Obsessive Compulsive Disorder जैसा रहा होगा, और एक समय वो अपने आप को अपना मारा हुआ पिता समझने लगता होगा और बांकी के मेंबर्स भी उसके झांसे में आ जाते होंगे. तो ऐसे हालात में हमें अपने करीब के लोगो के व्यवहार को सही से समझना होगा ताकि इस तरह घटना से हम बच सके .

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