Ranjeet Bhartiya 04/04/2023
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Last Updated on 04/04/2023 by Sarvan Kumar

भारत विविधताओं से भरा देश है. यहां विभिन्न समुदायों के लोग रहते हैं जो विभिन्न धर्मों का पालन करते हैं, विभिन्न भाषाएं बोलते हैं और उनकी जीवन शैली और रीति-रिवाजों में भी विविधता है. भारत में हजारों जातियां रहती हैं, इसलिए भारत को जातियों का देश भी कहा जाता है. आम तौर पर एक जाति को उसके विशेष नाम से पहचाना जाता है. लेकिन कभी-कभी ऐसा भी देखा गया है कि दो या दो से अधिक विभिन्न जातियां मिलते-जुलते या सामान नाम को साझा करती हैं. इसी क्रम में हम यहां जानेंगे कि सेन किस जाति में आते हैं?

सेन किस जाति में आते हैं?

मुख्य विषय पर आने से पहले यह बताना आवश्यक है कि भारतीय उपमहाद्वीप में रहने वाली कुछ जातियाँ अपने उपनाम के रूप में सेन शब्द का प्रयोग करती हैं. ये जातियाँ उत्पत्ति, वितरण, पारंपरिक व्यवसाय और सामाजिक स्थिति में एक दूसरे से भिन्न हैं. आइए जानते हैं कि सेन किस जाति में आते हैं-

बैद्य (Baidya)

बैद्य/वैद्य मुख्य रूप से बंगाल में रहने वाला एक हिंदू समुदाय है। परंपरागत रूप से यह आयुर्वेदिक चिकित्सकों की एक प्रतिष्ठित जाति है, जिसका पश्चिम बंगाल में काफी प्रभाव है. बैद्य समुदाय के लोग सेन शब्द को अपने उपनाम के रूप में प्रयोग करते हैं.

बंगाली कायस्थ (Bengali Kayastha)

बंगाली कायस्थ कायस्थ जाति का एक उपसमूह है जो बंगाल में रहता है. परंपरागत रूप से, बंगाली कायस्थ भी अन्य कायस्थों की तरह लेखक, प्रशासक, मंत्री और रिकॉर्ड-कीपर के रूप में काम करते हैं. बंगाल में, इन्हें पारंपरिक उच्च जातियों में गिना जाता है. बंगाली कायस्थ भी अपने उपनाम के रूप में सेन शब्द का प्रयोग करते हैं.

ब्राह्मण (Brahmin)

‘सेन’ सरनेम का चलन ब्राह्मणों में भी देखा गया है. उपनाम के रूप में ‘सेन’ का प्रयोग सर्वप्रथम वाकाटक वंश के ब्राह्मण राजाओं (c. 250 CE – c. 500 CE) द्वारा किया गया था. बता दें कि वाकाटक वंश के राजाओं ने तीसरी शताब्दी के मध्य से छठी शताब्दी तक शासन किया था. इसी प्रकार सिंध के ब्राह्मण वंश के अंतिम शासक राजा दाहिर सेन थे. बाद में सेन उपनाम का प्रयोग सेन वंश के राजाओं ने भी किया.

नाई (Nai)

नाई नाई की एक व्यावसायिक जाति है. ये पूरे भारत में अलग-अलग नामों से मौजूद हैं. आधुनिक समय में उत्तरी भारत में नाई, संत भगत सैण के अनुयायी होने के कारण, खुद को नाई के बजाय “सेन या सैन” कहते हैं. आमतौर पर शहरों में रहने वाले नाई खुद को सेन कहते हैं और इसलिए नाई समाज को सेन समाज के नाम से भी जाना जाता है.


References:

•Bandyopādhyāẏa, Śekhara (2004). Caste, Culture and Hegemony: Social Dominance in Colonial Bengal. SAGE. p. 24,25, 240. ISBN 978-0-76199-849-5.

•Ronald. B. Inden (January 1976). Marriage and Rank in Bengali Culture : A History of Caste and Clan in Middle Period Bengal. p. 40. ISBN 9780520025691.

•Rabindranath Tagore: The Poet of India by A. K. Basu Majumdar, Indus Publishing, Page 50(Vakatakas and Chalukyas-both of Brahmin origin)

•Resilience and Identity in Urban India

Anthropology of Barmer and Tehri

By Sibir Ranjan Das · 2012

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