
Last Updated on 05/07/2018 by Sarvan Kumar
जानिए क्या है धारा 370 और खुद तय कीजिये कि भारत के अखंडता के लिए क्यों है धारा 370 को हटाना ज़रूरी है!!
जम्मू-कश्मीर में BJP-PDP गठबंधन टूट चुका है. बीजेपी और पीडीपी दोनों एक दूसरे पर आरोप- प्रत्यारोप लगा रहे. बीजेपी का कहना है कि महबूबा मुफ़्ती कश्मीर में अलगाववादियों और पत्थरबाजों से सख्ती से निपटने में रुकावट पैदा कर रही थीं इसलिए गठबंधन तोड़ना पड़ा. वही, महबूबा मुफ़्ती ने कहा कि बीजेपी धारा 370 हटाना चाहती थी जिसके वजह से गठबंधन टूटा. BJP-PDP गठबंधन टूटने पर बोले ओवैसी ने कहा कि ‘कश्मीर में धारा 370 हटाना चाहती है बीजेपी इसलिए ही BJP-PDP गठबंधन टूटा.
क्या है आर्टिकल 370?
आर्टिकल 370 भारत के संविधान का एक विशेष और विवादित अनुच्छेद है जिसके तहत जम्मू एवं कश्मीर राज्य को को भारत के अन्य राज्यों के मुकाबले विशेष अधिकार अथवा (विशेष दर्ज़ा) प्राप्त है. अनुच्छेद 370 जवाहरलाल नेहरू के विशेष हस्तक्षेप से तैयार किया गया था. स्वतन्त्र भारत के लिये कश्मीर का मुद्दा आज तक समस्या बना हुआ है. आर्टिकल 370 जम्मू एवं कश्मीर राज्य को स्वायत्ता देता है जिसके कारण आज़ादी मिलने से के बाद से लेकर अब तक इस मुद्दे पर विवाद होता आया है. राष्ट्रवादी संस्थाएं , भारतीय जनता पार्टी एवं कई राष्ट्रवादी दल आर्टिकल 370 को जम्मू एवं कश्मीर में व्याप्त अलगाववाद के लिये जिम्मेदार मानते हैं और इसे समाप्त करने की माँग करते रहे हैं. बीजेपी हमेशा से कहती आयी है कि जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है , जम्मू-कश्मीर पर भी वही नियम लागू होने चाहिए जो पुरे भारत पर लागू होते हैं.
धारा 370 के प्रावधानों के अनुसार जम्मू-कश्मीर को ये विशेष अधिकार प्राप्त हैं-
1. जम्मू-कश्मीर के नागरिकों के पास दोहरी नागरिकता होती है.
2. जम्मू-कश्मीर का राष्ट्रध्वज अलग होता है.
3. भारत की संसद को जम्मू-कश्मीर के सम्बन्ध में अत्यन्त सीमित क्षेत्र में कानून बना सकती है. संसद को जम्मू-कश्मीर के बारे में केवल रक्षा, विदेश मामले और संचार के विषय में कानून बनाने का अधिकार है .
4. रक्षा, विदेश मामले और संचार विषयों को छोड़कर किसी अन्य विषय से सम्बन्धित क़ानून को लागू करवाने के लिये केन्द्र को राज्य सरकार का अनुमोदन लेना ज़रूरी है.
5. धारा 370 के कारण जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा प्राप्त है जिसके कारण जम्मू-कश्मीर पर संविधान की धारा 356 लागू नहीं होती. इस कारण राष्ट्रपति के पास राज्य के संविधान को बर्ख़ास्त करने का अधिकार नहीं है.
6.. जम्मू-कश्मीर पर शहरी भूमि क़ानून 1976 लागू नहीं होता. शहरी भूमि क़ानून 1976 के तहत भारतीय नागरिक को विशेष अधिकार प्राप्त राज्यों के अलावा भारत में कहीं भी भूमि ख़रीदने का अधिकार है. धारा 370 के कारण भारत के दूसरे राज्यों के लोग जम्मू-कश्मीर में ज़मीन नहीं ख़रीद सकते.
7. धारा 370 के कारण जम्मू-कश्मीर पर धारा 360 लागू नहीं होता. भारत के संविधान की धारा 360 के अन्तर्गत देश में वित्तीय आपातकाल लगाने का प्रावधान है.
8. जम्मू – कश्मीर की विधानसभा का कार्यकाल 6 वर्षों का होता है जबकि भारत के अन्य राज्यों की विधानसभाओं का कार्यकाल 5 वर्ष का होता है.
9. जम्मू-कश्मीर के अन्दर भारत के राष्ट्रध्वज या राष्ट्रीय प्रतीकों का अपमान अपराध नहीं होता है.
10. भारत के उच्चतम न्यायालय के आदेश जम्मू-कश्मीर के अन्दर मान्य नहीं होते हैं.
11. जम्मू-कश्मीर की कोई महिला यदि भारत के किसी अन्य राज्य के व्यक्ति से विवाह कर ले तो उस महिला की नागरिकता समाप्त हो जायेगी. इसके विपरीत यदि वह पकिस्तान के किसी व्यक्ति से विवाह कर ले तो उसे भी जम्मू-कश्मीर की नागरिकता मिल जायेगी.
12.. धारा 370 की वजह से कश्मीर में आरटीआई (RTI) और सीएजी (CAG) जैसे कानून लागू नहीं होते है.
13. कश्मीर में महिलाओं पर शरियत कानून लागू है.
14. कश्मीर में पंचायत को अधिकार प्राप्त नहीं है.
15. कश्मीर में अल्पसंख्यकों [हिन्दू-सिख] को 16% आरक्षण नहीं मिलता.
16. धारा 370 की वजह से ही कश्मीर में रहने वाले पाकिस्तानियों को भी भारतीय नागरिकता मिल जाती है.
अब आप खुद तय कीजिये कि धारा 370 को हटाना ज़रूरी है या नहीं?

Disclosure: Some of the links below are affiliate links, meaning that at no additional cost to you, I will receive a commission if you click through and make a purchase. For more information, read our full affiliate disclosure here. |
See List of: |