
Last Updated on 28/06/2023 by Sarvan Kumar
पिछड़े वर्ग की जातियों की बात करें तो पढ़ाई-लिखाई के मामले में कुर्मी समाज शुरू से ही काफी आगे रहा है. समय के साथ प्रशासनिक सेवाओं के क्षेत्र में; IAS, IPS और IFS अधिकारी के रूप में; कुर्मी समाज की भागीदारी में लगातार बढ़ोतरी दर्ज की गई है. आज प्रशासन के ऊंचे-ऊंचे पदों पर कुर्मी समाज के लोगों की उपस्थिति है. लेकिन क्या आप जानते हैं भारत के पहले कुर्मी DGP (पुलिस महानिदेशक) होने का रिकॉर्ड किसके नाम है? तो आइए जानते हैं भारत के पहले कुर्मी DGP के बारे में.
भारत के पहले कुर्मी डीजीपी कौन है?
कुर्मी समाज के लोगों का मुख्य और पारंपरिक पेशा कृषि रहा है. लेकिन शिक्षा, स्वास्थ्य, व्यापार और राजनीति के क्षेत्र में भी इस समाज के लोगों ने उल्लेखनीय सफलता अर्जित की है. इस समाज के कई युवा डॉक्टर, इंजीनियर, सैनिक और पुलिस के रूप में देश की सेवा कर रहे हैं. इस समुदाय के कई लोग प्रशासनिक सेवा में हैं, जहां वह अग्रिम पंक्ति में सक्रिय होकर कुशलतापूर्वक, पूरे समर्पण के साथ ना केवल देश की सेवा कर रहे हैं, बल्कि राष्ट्र निर्माण में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं. वर्तमान में कुर्मी समाज के लोग भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS), भारतीय पुलिस सेवा (IPS) और भारतीय विदेश सेवा (IFS) में बड़े-बड़े पदों पर कार्यरत हैं. भारतीय पुलिस सेवा में लगभग हर रैंक पर कुर्मी समाज के जांबाज़ अधिकारियों की उपस्थिति है. सिविल सेवा परीक्षा (Civil Service Exam) पास करने के बाद इंडियन पुलिस सर्विस (IPS) जॉइन करने वाले अधिकारी की जिम्मेदारी कानून-व्यवस्था संभालने की होती है. IPS अधिकारी की डिप्टी एसपी (DSP) से लेकर एसपी, डीआईजी, आईजी, डीजीपी के पोस्ट पर प्रमोशन मिलता है. Director general of police (DGP) को हिंदी में पुलिस महानिदेशक कहते हैं. पुलिस महानिदेशक राज्य या केंद्र शासित प्रदेश के पुलिस बल का मुखिया होता है, यानी कि सर्वोच्च रैंकिंग वाला पुलिस अधिकारी (highest ranking police officer). राज्य के सबसे बड़े पुलिस अधिकारी के रूप में इसे प्रदेश में कैबिनेट मंत्री के समकक्ष दर्ज़ा प्राप्त होता है. DGP को कैबिनेट द्वारा नियुक्त किया जाता है और उसके पास थ्री-स्टार रैंक होता है. आइए जानते हैं उस व्यक्ति के बारे में जिनके नाम भारत के पहले कुर्मी डीजीपी होने का रिकॉर्ड है. अंग्रेजी अखबार ” The Times of India” में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक आशीष रंजन सिन्हा (Ashish Ranjan Sinha) डीजीपी (पुलिस महानिदेशक) कुर्मी समाज से आने वाले पहले अधिकारी थे जो डीजीपी रैंक तक पहुंचे. आशीष रंजन सिंहा का दावा करते हैं कि” मैं नालंदा का पहला कुर्मी आईपीएस अधिकारी था और अभी भी भारत में पहला कुर्मी डीजीपी होने का रिकॉर्ड रखता हूं.” बता दें कि आशीष रंजन सिन्हा 1972 बैच के, बिहार कैडर के आईपीएस अधिकारी हैं. जब 2005 में विधानसभा चुनाव हुए थे और नीतीश कुमार की सरकार बनी थी, तब वह राज्य के डीजीपी थे. उन्होंने 2005 और 2008 के बीच लगभग तीन वर्षों तक बिहार डीजीपी के रूप में कार्य किया था. सेवानिवृत्त होने के बाद वह राष्ट्रीय जनता दल (RJD) में शामिल हो गए थे. नालंदा से उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा चुनाव भी लड़ा था. बाद में वह भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए.

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