Ranjeet Bhartiya 25/05/2023
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Last Updated on 26/05/2023 by Sarvan Kumar

देश में ब्राह्मणों को लेकर विवाद होते रहे हैं. ब्राह्मणों की उत्पत्ति और मूल निवासस्थान के सम्बन्ध में विद्वानों में मतभेद है. कुछ विद्वान ब्राह्मणों को भारत का मूल निवासी मानते हैं, अर्थात ब्राह्मण बाहर से नहीं आए थे. जबकि कुछ विद्वान ब्राह्मणों को विदेशी मानते हैं जो बाहर से भारत आए. आइए इसकी पड़ताल करते हैं और जानते हैं कि क्या ब्राह्मण विदेशी हैं?

क्या ब्राह्मण विदेशी हैं?

ब्राह्मणों को भारतीय मूल का बताने वाले निम्नलिखित तर्क देते हैं-

•ब्राह्मणों को भारत का मूलनिवासी बताने वाले विद्वानों का तर्क है कि हिन्दुओं के वेदों, पुराणों या अन्य ग्रंथों में कहीं भी आर्यों के बाहर से आने का वर्णन नहीं है.

•यह तर्कसंगत नहीं लगता कि आर्य अपना मूल स्थान भूल गए जबकि प्राचीन मिस्र और फारसियों को अपने मूल देश की याद रहा.

•हरियाणा के हिसार जिले के राखीगढ़ी में हड़प्पा सभ्यता की खुदाई में मिले 5000 साल पुराने नर कंकालों के डीएनए परीक्षण से भी यह बात सामने आई है कि आर्य ब्राह्मण भारत के मूल निवासी थे, बाहर से नहीं आए थे.

ब्राह्मणों के विदेशी होने के सन्दर्भ में निम्नलिखित बातों का उल्लेख मिलता है-

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 •1901 में जब भारत की जनगणना चल रही थी, तब जनगणना आयुक्त, सर हर्बर्ट रिस्ले ने देखा कि उच्च जाति के हिंदू गोरे थे और उनकी नाक तीखी थीं. चूंकि ये “श्वेत लोगों” की विशिष्ट विशेषताओं में से हैं, उन्होंने सोचा कि दोनों के बीच एक संबंध हो सकता है. इसे और वैज्ञानिक बनाने के लिए उन्होंने लोगों के नाक लंबाई और चौड़ाई को मापा. नाक की लंबाई को नाक की चौड़ाई से विभाजित करके “नेजल इंडेक्स” की गणना की गई. निष्कर्ष यह निकला कि उच्च जाति के हिंदू अंग्रेजों के दूर के रिश्तेदार हैं.

•वैज्ञानिकों द्वारा किए गए एक विवादास्पद अध्ययन के अनुसार, उच्च जाति के भारतीय यूरोपीय मूल के हैं जबकि निचली जाति के लोग एशियाई मूल के हैं.

अमेरिका के यूटा विश्वविद्यालय (University of Utah) में वैज्ञानिकों की एक टीम ने आज के यूरोपीय और पूर्वी एशियाई लोगों के साथ विभिन्न जातियों के आधुनिक भारतीयों के आनुवंशिक हस्ताक्षरों की तुलना की. जेनोम रिसर्च नामक एक अमेरिकी जर्नल में प्रकाशित अध्ययन के परिणाम का निष्कर्ष है कि उच्च-जातियां आनुवंशिक रूप से यूरोपीय लोगों के करीब हैं और निम्न-जातियां एशियाई लोगों के करीब हैं.

•कैंब्रिज विश्वविद्यालय के द मैकडॉनल्ड इंस्टीट्यूट फॉर आर्कियोलॉजिकल रिसर्च के डॉ. पीटर फोस्टर का कहना है कि “यह निष्कर्ष कि उच्च जातियों का पश्चिम यूरेशियाई लोगों से अधिक आनुवंशिक संबंध है, उनके आनुवंशिक डेटा के आधार पर अच्छी तरह से स्थापित है”.

निष्कर्ष:

क्या ब्राह्मण विदेशी हैं. हाल के वर्षों में ब्राह्मणों के खिलाफ नफरत फैलाना एक आम बात हो गई है. इसके कई उदाहरण हैं, जैसे जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय की दीवारों पर ‘ब्राह्मण भारत छोड़ो’ का नारा लिख दिया जाता है. आए दिन राजनीति से जुड़े लोग अपने राजनीतिक फायदे के लिए ब्राह्मणों को विदेशी बताकर देश से बाहर निकालने की बात करते रहते हैं. ब्राह्मणों के नाम पर गंदी राजनीति करने से समाज में अराजकता फैलेगी और देश कमजोर होगा.

ब्राह्मण सदियों से भारत में रहते आए हैं. इस समुदाय ने भारतीय संस्कृति को आकार देने, राष्ट्र निर्माण में और देश के विकास में ब्राह्मणों की अग्रणी भूमिका रही है. ब्राह्मण विदेशी है या भारत के मूलनिवासी एक रिसर्च का मुद्दा है. इस पर और शोध किए जाने की आवश्यकता है.


References:

•https://www.indiatoday.in/magazine/science-and-technology/story/20010730-controversial-study-says-upper-caste-indians-are-of-european-descent-lower-castes-of-asians-773932-2001-07-29

https://www.jagran.com/lite/uttar-pradesh/bagpat-indian-origin-19492964.html

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