Last Updated on 07/08/2022 by Sarvan Kumar
कुर्मी समुदाय भारत में निवास करने वाला एक प्राचीन समुदाय है. वर्तमान में मुख्य रूप से कुशल कृषक के रूप में जाने जाने वाली इस जाति को पौराणिक मान्यताओं के आधार पर वैदिक क्षत्रिय माना जाता है. भारत के विभिन्न भागों में व्यापक रूप से वितरित यह समुदाय कई उपजातियों में बटा हुआ है. आइए जानते हैं चंदेल क्षत्रिय कुर्मी के बारे में-
चंदेल क्षत्रिय कुर्मी
चंदेल कुर्मियों की एक उपजाति है. इन्हें चंदेल कुर्मी या चंदेल क्षत्रिय कुर्मी के नाम से भी जाना जाता है. अपने उपनाम (surname) के रूप में यह चंदेल शब्द का प्रयोग करते हैं. यह पूरे भारत में पाए जाते हैं. लेकिन बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में इनकी उल्लेखनीय उपस्थिति है. उत्तर प्रदेश के बांदा, इलाहाबाद और फतेहपुर आदि जिलों में इनकी आबादी है. अगर बिहार की बात करें तो बिहार के कई जिलों में इनकी उपस्थिति है. बिहार के गोपालगंज, दरभंगा, , पूर्णिया, बेतिया, बक्सर, भभुआ, भागलपुर, भोजपुर, मधुबनी मुजफ्फरपुर रोहतास, सीतामढ़ी और समस्तीपुर में चंदेल कुर्मियों की महत्वपूर्ण उपस्थिति है.बता दें कि भारत के विभिन्न राज्यों में रिजर्वेशन सिस्टम के अंतर्गत कुर्मियों को ओबीसी वर्ग में रखा गया है. यह दयालु, मेहनती और साधन संपन्न माने जाते हैं. इस समुदाय के लोग लगभग सभी क्षेत्रों में बहुत तेजी से विकास कर रहे हैं. इनकी राजनीतिक समझ अद्भुत होती है. इस गुण के कारण कुर्मी समुदाय का राजनीतिक प्रभाव देश में लगातार बढ़ रहा है. गैर यादव ओबीसी जातियों में कुर्मी समुदाय एक बहुत बड़ा वोट बैंक है. उत्तर प्रदेश के प्रभावशाली ओबीसी नेता सोनेलाल पटेल इसी जाति के थे. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश सिंह बघेल, गुजरात के मुख्यमंत्री, भूपेंद्रभाई पटेल, केंद्र सरकार में मंत्री अनुप्रिया पटेल और संतोष गंगवार आदि कुर्मी समुदाय से ही आते हैं. बिहार और उत्तर प्रदेश में इस जाति के कई विधायक और सांसद हैं.