
Last Updated on 26/05/2023 by Sarvan Kumar
कुर्मी भारत में निवास करने वाला एक समुदाय हैं. पारंपरिक रूप से कृषक इस समुदाय को पिछड़े वर्ग की जातियों में प्रभावशाली माना जाता है. यह वृहद समुदाय कई उपजातियों में विभाजित है. आइए जानते हैं अवधिया कुर्मियों के बारे में.
“यहां पर एक महत्वपूर्ण बात का उल्लेख कर देना जरूरी है. ऐतिहासिक तथ्यों के विपरीत कुछ लोगों का मानना है कि अवधिया एक अलग जाति है और इसका कुर्मी जाति से कोई संबंध नहीं है. बिहार के जातिगत जनगणना में भी अवधिया को एक अलग जाति के रूप में नहीं दिखाया गया है. इसके कारण कुछ लोगों में नाराजगी है. वे इस मामले को अदालत में ले गए हैं “
अवधिया कुर्मियों का इतिहास
भाषा, खानपान, कार्य, श्रम विभाजन, रीति रिवाज, भौगोलिक स्थानांतरण और सांस्कृतिक विविधता के आधार पर जातियों में कई विभाजन देखे गए हैं.
कुर्मी समाज में सैकड़ों उपजातियां पाई जाती हैं जिन्हें विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है.अवधिया कुर्मी एक उपजाति है. पौराणिक मान्यताओं के आधार पर यह भगवान विष्णु के अवतार अयोध्या के सूर्यवंशी राजा श्री राम के पुत्र लव के वंशज होने का दावा करते हैं. परंपरागत रूप से यह उत्तर भारत में गंगा के मैदानों के उपजाऊ क्षेत्रों में निवास करते हैं. बिहार, उत्तर प्रदेश और झारखंड जैसे राज्यों में इनकी उपस्थिति है. एक अनुमान के मुताबिक, अवधिया कुर्मियों की जनसंख्या 21 लाख के आसपास है. इसमें से 15 लाख बिहार में निवास करते हैं, जबकि 6 लाख उत्तर प्रदेश में रहते हैं. उत्तर प्रदेश में यह मुख्य रूप से गोरखपुर, आजमगढ़, देवरिया, बस्ती, बलिया और कुशीनगर जिले में निवास करते हैं. बिहार के पटना, सारण (छपरा), नालंदा (बिहार शरीफ), सिवान, भोजपुर (आरा), वैशाली (हाजीपुर), बक्सर, गोपालगंज और भागलपुर जिलों में इनकी आबादी है. झारखंड के मुख्य रूप से रांची, बोकारो और जमशेदपुर में इनकी उपस्थिति है. साठ के दशक में जब अविभाजित बिहार का औद्योगिकीकरण हो रहा था तो पढ़े-लिखे कुर्मी बिहार के आरा, छपरा और उत्तर प्रदेशप्रदेश ठठडखके बलिया से माइग्रेट करके वर्तमान झारखंड के शहरों में जाकर बस गए थे. आइए अब अवधिया कुर्मियों के इतिहास की बात करते हैं. अवधिया का अर्थ होता है- अयोध्या के रहने वाले. ऐतिहासिक रूप से इनका संबंध उत्तर प्रदेश के अवध या अयोध्या से है. कहा जाता है कि यह मूल रूप से अयोध्या या अवध के निवासी थे जो विभिन्न कारणों से यहां से विस्थापित होकर भारत के अलग-अलग प्रांतों में जाकर बस गए. एक मान्यता के अनुसार, यह बाबर के युग में अयोध्या से पूर्वांचल और भोजपुरी भाषी क्षेत्रों के क्षेत्रों में चले गए. इनकी एक विशेषता यह है कि यह समुदाय अत्यधिक अंतर्विवाही (endogamous) है. यह अवधिया जाति के भीतर ही विवाह करते हैं और आमतौर पर कुर्मी क्षत्रियों की अन्य जातियों में विवाह नहीं करते. यह आर्यन नस्ल के माने जाते हैं.अवधिया कुर्मियों को काफी प्रभावशाली माना जाता है.
शिक्षा, सरकारी नौकरियों और राजनीति समेत विभिन्न क्षेत्रों में इनकी अच्छी खासी भागीदारी है. इनकी गिनती कुर्मियों के सर्वोच्च रैंक वाली उपजातियों में किया जाता है. बिहार की बात करें तो यहां कुर्मी समुदाय अवधिया, समसवार, जसवार जैसी कई उपाजतियों में विभाजित है. कुर्मी पढ़ाई लिखाई के क्षेत्र में अन्य पिछड़ी जातियों की तुलना में शुरू से ही आगे रहे हैं. यह काफी बुद्धिमान माने जाते हैं. इनमें से कई कुशल प्रशासक रहे हैं जैसे कि आईएएस अधिकारी आरसीपी सिंह और आईपीएस अधिकारी लिपि सिंह. कुर्मी समाज के विकास में तथा बिहार की राजनीति में कुर्मी समुदाय को प्रभावशाली बनाने में अवधिया उपजाति का महत्वपूर्ण योगदान रहा है. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अवधिया हैं.
अवधिया कुर्मियों के उपनाम
अवधिया कुर्मी सिंह, सिन्हा, पटेल, चौधरी, अवधिया और कुमार सरनेम का प्रयोग करते हैं.
अवधिया कुर्मियों के महत्वपूर्ण व्यक्ति
नीतीश कुमार: बिहार के मुख्यमंत्री और पूर्व रेल मंत्री
रामचंद्र प्रसाद सिंह (आर सी पी सिंह): राज्यसभा सदस्य, जनता दल यूनाइटेड के नेता
References;
•Nitish Kumar Aur Ubharta Bihar
By Arun Sinha
•https://www.aajtak.in/india/bihar/story/nitish-kumar-rcp-singh-kurmi-caste-politics-decide-future-bjp-rjd-optional-ntc-1495594-2022-07-08
•https://www.aajtak.in/elections/bihar-assembly-elections/story/bihar-assembly-election-2020-nitish-kumar-love-kush-caste-formula-kurmi-koeri-caste-political-equation-1130601-2020-09-16

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