
Last Updated on 04/07/2022 by Sarvan Kumar
रघुवंश और यदुवंश भारत के मुख्य क्षत्रिय वंश हैं. दोनों ही वंश का इतिहास अत्यंत प्राचीन होने के साथ-साथ बहुत हीं गौरवशाली रहा है. रघुवंश से संबंध रखने वाले को रघुवंशी जबकि यदुवंश से संबंध रखने वाले को यदुवंशी कहा जाता है. आइए विस्तार से जानते हैं कौन हैं रघुवंशी और यदुवंशी? इनमें क्या अंतर है?
“यदुवंशी” और “रघुवंशी” में अंतर
रघुवंशी और यदुवंशी की उत्पत्ति अलग-अलग है.
रघुवंशियो की उत्पत्ति रघु से हुई है, यदुवंशियों की उत्पत्ति यदु से हुई है.
कौन हैं रघुवंशी?
रघुवंशी भारत का एक प्राचीन क्षत्रिय कुल है. भारतवर्ष के सभी क्षत्रिय कुलों में रघुवंशी को सर्वश्रेष्ठ क्षत्रियकुल माना जाता है. श्रीरामचरितमानस के अयोध्याकांड में एक चौपाई है, जिसमें महाराज दशरथ माता कैकेयी से कहते हैं-
झूठेहुँ हमहि दोषु जनि देहू। दुइ कै चारि मागि मकु लेहू॥
रघुकुल रीति सदा चलि आई। प्रान जाहुँ परु बचनु न जाई॥
अर्थात: मुझे झूठ-मूठ दोष मत दो. चाहे दो के बदले चार माँग लो. हमारे वंश में परंपरा रही है कि कोई भी अपने वचनों से नहीं फिर सकता है. रघुकुल में सदा से यह रीति चली आई है कि प्राण भले ही चले जाएँ, पर वचन नहीं जाता.आदिकाल से ही रघुकुल या रघुवंश अपने कर्तव्यपरायणता, धर्मपरायणता, सत्यपरायणता (truthfulness) और वचनपालन के लिए प्रसिद्ध रहा है. रघुकुल को सत्य, मर्यादा, सत्चरित्र, त्याग, शौर्य और पराक्रम का का प्रतीक रहा है. इस वंश की उत्पत्ति के बारे में कहा जाता है कि अयोध्या के सूर्यवंशी सम्राट रघु ने इस वंश की स्थापना की थी. “रघुवंशी” का शाब्दिक अर्थ होता है- “रघु के वंशज”. बौद्ध काल तक रघुवंशियो को इक्ष्वाकु, रघुवंशी तथा सूर्यवंशी क्षत्रिय नामों से संदर्भित किया जाता था.
कौन हैं यदुवंशी?
यदुवंश या यदुवंशी क्षत्रियों की उत्पत्ति पौराणिक राजा यदु से हुई है. हिंदू धर्म ग्रंथों जैसे महाभारत, हरिवंश और पुराण आदि में यदु को राजा ययाति व रानी देवयानी के पुत्र के रूप में वर्णित किया गया है. आधुनिक भारत की अनेक जातियाँ जैसे कि यादव और अहीर इत्यादि स्वयं को यदुवंशी मानते हैं.
रघुवंशी हैं सूर्यवंशी, यदुवंशी हैं चंद्रवंशी
महाराज रघु इक्ष्वाकु वंश का शासक थे. रघुवंश के अनुसार, वह राजा दिलीप और उनकी रानी सुदक्षिणा के पुत्र थे. इक्ष्वाकु वंश की स्थापना महान राजा इक्ष्वाकु ने किया था. इक्ष्वाकु कोसल साम्राज्य के पहले राजा थे और वैवस्वत मनु के दस पुत्रों में से एक थे. हिंदू धर्म के मान्यताओं के अनुसार, वैवस्वत मनु को मानव जाति के प्रणेता व प्रथम पुरुष माना जाता है. वैवस्वत मनु को सूर्य और विश्वकर्मा की पुत्री संज्ञा का पुत्र माना जाता है.
इस प्रकार से, मूल रूप से रघुवंश/ इक्ष्वाकु वंश की उत्पत्ति भगवान सूर्य के पुत्र वैवस्वत मनु से हुई है. भगवान सूर्य के पुत्र होने के कारण मनु सूर्यवंशी कहलाये तथा इनसे चला यह वंश सूर्यवंश के नाम से प्रसिद्ध हुआ. यदुवंश की बात करें तो जैसा कि आप जानते हैं कि इस वंश की उत्पत्ति पौराणिक राजा यदु से हुई है. यदु ययाति के पुत्र थे. पौराणिक कथाओं में ययाति को एक चंद्रवंशी राजा के रूप में वर्णित किया गया है. इस प्रकार से, यदुवंशियों का संबंध चंद्रवंश से है.
भगवान राम हैं रघुवंशी, भगवान कृष्ण हैं यदुवंशी
रघुवंश में एक से बढ़कर एक प्रतापी राजा हुए. अयोध्या के सूर्यवंश में आगे चल कर प्रतापी राजा रघु हुये जिनके नाम पर यह वंश रघुवंश कहलाया. इस महान सूर्यवंश में इक्ष्वाकु, हरिश्चंद्र, सगर, भगीरथ, अंबरीष, दिलीप, रघु, दशरथ, राम, और कुश जैसे प्रतापी राजा हुये हैं.यदुवंश की अगर बात करें तो ययाति के 5 पुत्र हुए- 1. पुरु, 2. यदु, 3. तुर्वस, 4. अनु और 5. द्रुह्मु. ययाति के बाद इन पांचों ने संपूर्ण पृथ्वी पर राज किया और अपने कुल का दूर-दूर तक विस्तार किया. आगे चलकर न, कई पीढ़ियों बाद, इसी वंश में वासुदेव हुए. भगवान विष्णु के अवतार कृष्ण ने वसुदेव और देवकी की 8वीं संतान के रूप में जन्म लिया.

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