
Last Updated on 12/10/2022 by Sarvan Kumar
बुन्देलखण्ड मध्य भारत का एक प्राचीन क्षेत्र है। इसका प्राचीन नाम जेजाकभुक्ति है। इसका विस्तार उत्तर प्रदेश तथा मध्य प्रदेश में है. मध्यप्रदेश से दतिया, सागर, छतरपुर, टीकमगढ़, दमोह और पन्ना जिला शामिल है। वहीं उत्तरप्रदेश से झांसी, बांदा, ललितपुर, हमीरपुर, जालौन, महोबा और चित्रकूट शामिल है. वीरों की धरती कहे जाने वाले बुंदेलखंड में जन्म लेने वाले आल्हा उदल, महाराजा छत्रसाल, वीरांगना लक्ष्मी बाई और दुर्गावती ने युद्ध के दौरान वीरता की जो मिसाल कायम की है उसे इतिहास कभी भुला नहीं सकता. इसी क्रम में एक और नाम आता है वीर बोधन दौआ का. बोधन दौआ, दौआ समुदाय से आते हैं जो मुख्य रूप से अहीर या यादवों का अंग रहा है. आइए जानते हैं दौआ समुदाय का इतिहास, दौआ शब्द की उत्पत्ति कैसे हुई.
दौआ शब्द की उत्पत्ति कैसे हुई?
श्री कृष्ण,बलराम और आल्हा ऊदल के वंशज का एक समूह है जिसे दाऊ ,दौवा या दाऊआ अहीर(यादव) के नाम से जाना जाता है, इनका बुंदेलखंड में बहुत ही गौरवपूर्ण इतिहास रहा है और आज भी इनकी बहुत अच्छी स्थिति है और इन्हे दाऊ साहब और ठाकुर साहब कहकर लोग सम्मान देते हैं. दाऊ वंशी यादव बुंदेला से बहुत पहले ही राज्य स्थापित कर चुके थे. बुंदेलखंड तथा सटे चंबल संभाग में द्वारकाधीश श्री कृष्ण के जेष्ठ भ्राता श्री बलराम जी के वंशजों का भिन्न-भिन्न गोत्रों के कई ठिकाने आबाद है. यह सभी मिलकर दाऊ वंशी अहीर कहे जाते हैं तथा यहां के अन्य यदुवंशियों की तरह ठाकुर के खिताब का ही बहुतायत में इस्तेमाल करते हैं. इस वंश की छोटी बड़ी कई रियासतें जागीरदारी तथा जमींदार घराने रहे हैं जिनमें सबसे प्रमुख छतरपुर स्थित नौगांव रुबाई स्टेट (Naigaon Rebai State) है. लेकिन ज्यादातर दाऊ वंशी अहीर अन्य यादवों की तरह सूर्यवंशी बुंदेला शासन में उनके राज्य के सम्मानित सरदार, मंत्री आदि थे. विशेष तौर पर दाऊ वंश के वीरों को श्री राम जी के वंशज सूर्यवंशी बुंदेला महाराज बहुत ज्यादा सम्मान देते थे. जिस प्रकार भगवान श्री कृष्ण जी के नस्लें के यादवों को दाऊ वंशज बड़े भाई लगते हैं. शायद इसलिए सूर्यवंशी बुंदेला महाराज भी इन्हें स्नेह और आदर से दाऊ जी कहकर ही संबोधित करते थे और तभी से यह शब्द बुंदेलखंड के दाऊ वंशजों के लिए लोकप्रिय हुआ.बुंदेलखंड तथा चंबल संभाग में दाऊ वंशी अहीर क्षत्रियों के 84 गोत्रों के भिन्न भिन्न ठिकाने और घराने आबाद हैं जो अपना निकास मथुरा स्थान और भगवान बलभद्र जी से मानते हैं।
दाऊ भैया बलराम का मंदिर
मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड अंचल के पन्ना जिले में भगवान कृष्ण के दाऊ भैया बलराम का एकमात्र मंदिर है जो बेहद खूबसूरत और अनोखा है. कृष्ण को विष्णु तो बलराम को शेषनाग का अवतार माना जाता है. जब कंस ने देवकी वसुदेव के 6 पुत्रों को मार डाला तब देवकी के गर्भ में भगवान बलराम पधारे.
योगमाया ने उन्हें आकर्षित करके नंद बाबा के यहां निवास कर रहे श्री रोहिणी जी के गर्भ में पहुंचा दिया. दाऊ भैया बलराम जी का यह मंदिर चर्च के स्टाइल में बना है. माना जाता है कि पाश्चात्य और बुंदेली स्थापत्य कला को समेटे इस मंदिर में स्वयं हलधर भगवान बलराम विराजमान है. यह मंदिर लंदन के सेंट पॉल चर्च की तर्ज पर बनाया गया है. यह मंदिर राजे रजवाड़े जमाने का बना हुआ है जिसे पन्ना के राजा महाराज रुद्र प्रताप ने सन 1933 में बनवाया था.
दौआ समुदाय के प्रसिद्घ व्यक्ति
1.दाऊ वंशी बलवंत सिंह दाऊ
2. लक्ष्मण सिंह जूदेव.
3.ठाकुरानी दुलया बाई.
4.श्री ठाकुर बोधन सिंह दाऊ

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