Ranjeet Bhartiya 18/03/2023
Jankaritoday.com अब Google News पर। अपनेे जाति के ताजा अपडेट के लिए Subscribe करेेेेेेेेेेेें।
 

Last Updated on 18/03/2023 by Sarvan Kumar

जो समाज अपने महापुरुषों को भूल जाता है वह समय के साथ हर दृष्टि से कमजोर होकर बिखर जाता है. ऐसा इसलिए होता है कि महापुरुषों के जीवन संघर्ष से हमें चुनौतियों की सामना करने की शक्ति मिलती है तथा उनके द्वारा बताए गए सिद्धांतों और आदर्शों पर चलकर हमें आगे बढ़ने का मार्ग मिलता है. नाई समाज के लोग भी अपने महापुरुषों को भूल चुके हैं, जिससे इस समाज को अनेक कठिनाइयों और चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. यहां हम नाई समाज के महापुरुषों के बारे में बता रहे हैं.

नाई समाज के महापुरुष

नाई समाज का एक प्रामाणिक स्वर्णिम इतिहास है, जिससे स्वयं इस समाज के लोग अनभिज्ञ हैं. नाई समाज में कई वीर पराक्रमी सम्राट हुए हैं. कई महान साधु संत हुए हैं जिन्होंने समाज में आध्यात्मिक चेतना का संचार किया है. इस समाज में कई बलिदानी हुए हैं जिन्होंने धर्म की रक्षा के लिए खुद को बलिदान कर दिया. इस समाज में अनेक ऐसे महापुरूषों ने जन्म लिया है जिन्होंने सामाजिक परिवर्तन में महत्वपूर्ण योगदान दिया है और दलित, पिछड़े व वंचित समाज को मुख्य धारा में लाने का काम किया है. इस जाति में कई महान कलाकारों ने भी जन्म लिया है जिन्होंने कला, साहित्य और संगीत के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दिया है. नाई समाज के कुछ महत्वपूर्ण महापुरुषों का उल्लेख नीचे किया जा रहा है-

सम्राट महापद्मनंद  (Mahapadma Nanda)

संपूर्ण भारत पर एकछत्र राज करने वाले महापद्मनंद नन्द वंश के महाप्रतापी सम्राट थे. पुराणों में इन्हें महापद्म और महाबोधिवंश में उग्रसेन कहा गया है. वह नाई जाति के थे. वह नंद वंश के संस्थापक थे. उन्होंने अपने पराक्रम और उत्कृष्ट सामरिक क्षमता के बल पर आसपास के सभी राजवंशों को जीतकर एक विशाल साम्राज्य की स्थापना की और भारत को सर्वांगीण समृद्ध और वैभवशाली बनाया.

भगत सैण (Bhagat Sain)

स्वामी रामानंद के शिष्य संत शिरोमणि भगत सैण जी (1343-1440) एक हिन्दू सन्त थे जिनकी रचनाएँ गुरु ग्रन्थ साहिब में सम्मिलित हैं. भगवान की भक्ति के कारण उनका नाम घर-घर में प्रसिद्ध था. वह रीवा के राजा, राजा राम के शाही दरबार के नाई थे.

साहिब सिंह (Sahib Singh)

जब मुगल शासन के दौरान बादशाह औरंगजेब का आतंक बढ़ रहा था, तब गुरु गोबिंद सिंह जी ने निर्दोषों को धार्मिक उत्पीड़न से बचाने के उद्देश्य से 1699 में बैसाखी के दिन आनंदपुर साहिब में खालसा पंथ की स्थापना की थी. खालसा की स्थापना के लिए गोविन्द सिंह जी को ऐसे लोगों की आवश्यकता थी, जो धर्म की रक्षा के लिए सिर कटवाने से भी पीछे न हटें. पहले पांच ऐसे व्यक्ति जो अना सिर कटवाने के लिए आगे आए, “पंज प्यारे” के नाम से प्रसिद्ध हुए. इसमें साहिब सिंह भी शामिल थे जिनका जन्म नाई जाति में हुआ था. अपने जीवन के अंतिम क्षण तक उन्होंने धर्म की रक्षा की और चमकौर के युद्ध में मुगलों से लड़ते हुए शहीद हो गए.

भिखारी ठाकुर (Bhikhari Thakur)

बहु आयामी प्रतिभा के धनी भिखारी ठाकुर को “भोजपुरी का शेक्शपीयर” कहा जाता है. उन्होंने भोजपुरी भाषा के कवि, नाटककार, गीतकार, अभिनेता, लोक नर्तक, लोक गायक और सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में एक अमिट विरासत छोड़ी है. उनका जन्म बिहार के सारण जिले के एक नाई परिवार में हुआ था.

कर्पूरी ठाकुर (Karpoori Thakur)

जननायक के नाम से मशहूर कर्पूरी ठाकुर दो बार बिहार के मुख्यमंत्री रहे. कर्पूरी ठाकुर दलित, पिछड़े, अति पिछड़े, शोषित, वंचित वर्ग के मसीहा थे. उन्होंने जीवन भर समतामूलक समाज के लिए संघर्ष किया और दलितों, पिछड़ों और वंचितों को समाज में बराबरी का अधिकार दिलाया. कर्पूरी ठाकुर का जन्म बिहार के समस्तीपुर जिले के पितौझिया गांव में एक नाई परिवार में हुआ था.

Disclosure: Some of the links below are affiliate links, meaning that at no additional cost to you, I will receive a commission if you click through and make a purchase. For more information, read our full affiliate disclosure here.

Leave a Reply