Sarvan Kumar 11/12/2022
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Last Updated on 18/12/2022 by Sarvan Kumar

ईशान किशन (Ishan Kishan) का जन्म 18 जुलाई 1998 को बिहार के पटना जिले में हुआ था. उनका पूरा नाम ईशान प्रणव किशन पाण्डेय है। उनके पिता का नाम प्रणव पांडे है वह पेशे से बिल्डर है। ईशान किशन की मां का नाम सुचित्रा सिंह है। आइए जानते हैं ईशान किशन caste, पूरा नाम, Home town, Family और Education.

ईशान किशन caste

ईशान भूमिहार ब्राह्मण परिवार से हैं. भूमिहार को  Babhan (बाभन ) के नाम से भी जाना जाता है। मुख्यतः  बिहार और उत्तरप्रदेश में पाये जाने वाले भूमिहार एक दबंग जाती है.

ईशान किशन का पूरा नाम क्या है?

इस बिहारी भूमिहार क्रिकेटर का पूरा नाम ईशान प्रणव किशन पाण्डेय है।

ईशान किशन Family

ईशान केे भाई का नाम राज किशन है जो पूर्व राज्य स्तरीय क्रिकेट खिलाडी हैं. उनकी कोई बहन नहीं है. ईशान किशन का औरंगाबाद जिले के दाउदनगर अनुमंडल अंतर्गत गोरडीहा गांव में पैतृक आवास है। ईशान की दादी डॉ. सावित्री शर्मा नवादा में सिविल सर्जन थी। ईशान ने पटना में आलिशान घर बनाया है। दादा इलाहाबाद से कनीय अभियंता के पद से सेवानिवृत्त हुए हैं।ईशान जब 12 साल के थे तब उनके परिवार ने पटना को छोड़कर रांची में बसने का फैसला किया था। उनके पिता के मुताबिक ईशान के कोच ने शहर छोड़ने की सलाह दी थी ताकि वे उच्च स्तर पर खेलने के लिए तैयार हो सके। मां इसके लिए तैयार नहीं थी, लेकिन ईशान की जिद के आगे परिवार ने अंत में रांची जाने का फैसला कर लिया।

ईशान को स्कूल से निकाला गया

उन्होने दिल्ली पब्लिक स्कूल, पटना महाविद्यालय/विश्वविद्यालय कॉलेज ऑफ कॉमर्स, पटना से पढ़ाई पूरी की है. पढ़ाई में कमजोर होने के कारण ईशान को स्कूल से निकाल दिया गया था। पढ़ाई के लिए इशान को मां से बराबर डांट मिलती थी। मां चाहतीं थीं कि इशान क्रिकेट के साथ पढ़ाई पर भी ध्यान दें। ऐसे में इशान को पिता प्रणव पांडेय व बड़े भाई राज तथा स्कूटी से मैदान तक पहुंचाने वाले कोच संतोष कुमार का साथ मिला। ईशान को बचपन से ही क्रिकेट का बहुत शौक था और 7 साल की छोटी सी उम्र में ही उन्होंने अलीगढ़ में स्कूल विश्व कप में अपनी स्कूल टीम का नेतृत्व किया। ईशान जब 12 साल के थे तब उनके परिवार ने पटना को छोड़कर रांची में बसने का फैसला किया था। उनके पिता के मुताबिक ईशान के कोच ने शहर छोड़ने की सलाह दी थी ताकि वे उच्च स्तर पर खेलने के लिए तैयार हो सके। मां इसके लिए तैयार नहीं थी, लेकिन ईशान की जिद के आगे परिवार ने अंत में रांची जाने का फैसला कर लिया।

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