
Last Updated on 12/12/2022 by Sarvan Kumar
उत्तर प्रदेश भारत का सबसे अधिक जनसंख्या वाला राज्य है. यहां कई धार्मिक समूहों के लोग निवास करते हैं. लेकिन जनसंख्या की दृष्टि से हिंदू और मुसलमान प्रमुख धार्मिक समुदाय हैं. हिंदू आबादी की बात करें तो राज्य में जातियों और उपजातियों की कोई कमी नहीं है. आइए इसी क्रम में जानते हैं उत्तर प्रदेश के सैनी समाज के बारे में.
उत्तर प्रदेश के सैनी समाज
अपनी जनसंख्या के कारण उत्तर प्रदेश भारतीय राजनीति के केंद्र में रहा है. यह राज्य बहुत बड़े क्षेत्र में फैला हुआ है. प्रदेश में जाति और धर्म दो महत्वपूर्ण बुनियादी सामाजिक विभाजक हैं. राज्य में अनुसूचित वर्ग, अन्य पिछड़ा वर्ग और सामान्य वर्ग की कई जातियां रहती हैं. यदि हम राज्य में विभिन्न जातियों के वितरण पैटर्न को देखें तो हम पाएंगे कि कुछ जातियाँ ऐसी हैं जो पूरे राज्य में समान रूप से वितरित हैं जबकि कुछ जातियाँ ऐसी हैं जो राज्य के विशेष क्षेत्र में केंद्रित हैं. दलित समुदाय राज्य में समान रूप से वितरित सामाजिक समूहों में से एक है, जिसकी उत्तर प्रदेश के लगभग सभी जिलों में महत्वपूर्ण उपस्थिति है. भूमिहार और जाट जैसी जातियां मुख्य रूप से क्रमशः राज्य के पूर्वी और पश्चिमी हिस्से में केंद्रित हैं. पिछड़ी जातियों की बात करें तो राज्य में अहीरों की उपस्थिति काफी व्यापक है, जबकि कुर्मी मुख्य रूप से राज्य के पूर्वी और उत्तर मध्य जिलों तक ही सीमित हैं. सैनी समुदाय की बात करें तो राज्य में उत्तर प्रदेश में इन्हें अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के रूप में सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में प्रतिनिधित्व दिया जाता है. जाटों की तरह, सैनी समुदाय भी एक किसान जाति है जो मुख्य रूप से कृषि और संबद्ध गतिविधियों में शामिल है. पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, मेरठ, बुलंदशहर, शामली, बिजनौर, अमरोहा और मुरादाबाद जिलों में सैनी समाज की महत्वपूर्ण आबादी है. इन जिलों में यह समुदाय सामाजिक और राजनीतिक रूप से मजबूत माना जाता है. यूपी की राजनीति में शाक्य, सैनी, कुशवाहा और मौर्य समाज मिलकर जनसंख्या के लिहाज से काफी प्रभावी हैं और राजनीतिक क्षेत्र में भी इस समाज का प्रतिनिधित्व धीरे-धीरे बढ़ रहा है. 1931 की जातिगत जनगणना के आधार पर देखा जाए तो वर्तमान में इस समाज की जनसंख्या उत्तर प्रदेश में लगभग 6 से 8 प्रतिशत है. सैनी पश्चिमी उत्तर प्रदेश में राजनीतिक रूप से काफी असरदार हैं. यहां की 10 से ज्यादा सीटों पर सैनी वोट बैंक का सीधा असर है, जबकि एक दर्जन से ज्यादा सीटों पर यह चुनाव नतीजों को प्रभावित करने की ताकत रखते है. यहां एक बात स्पष्ट कर देना जरूरी है कि पश्चिमी यूपी में सैनी समुदाय कभी भी किसी एक पार्टी का वोटर नहीं रहा है. कभी बीएसपी के कट्टर वोटर माने जाने वाला यह समुदाय कुछ जगहों पर सपा के साथ भी रहा है, लेकिन फिलहाल बीजेपी के साथ हैं. धरम सिंह सैनी सैनी समाज के बड़े नेता माने जाते हैं.
References:
•Loktantra Ka Naya Lok
By Arvind Mohan · 2009
•https://www.aajtak.in/elections/up-assembly-elections/story/western-up-caste-equation-saini-kashyap-tyagi-valmiki-bsp-sp-rld-alliance-bsp-political-power-ntc-1394629-2022-01-18
•https://www.patrika.com/elections-news/up-election-2022-obc-vote-bank-importance-in-up-politics-7271972/

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